इस्लामपुर (नालंदा दर्पण)। नालंदा जिले के इस्लामपुर नगर परिषद क्षेत्र में वुढ़ानगर के प्राचीन सूर्य मंदिर की महिमा और उससे जुड़ा सूर्य सरोवर आज भी भक्तों के लिए आस्था का केंद्र है। यह पवित्र स्थल, जिसे स्थानीय लोग छोटकी औंगारी धाम के नाम से पुकारते हैं, न केवल भगवान भास्कर की भक्ति का प्रतीक है, बल्कि किवदंतियों और लोक कथाओं का भी एक जीवंत संगम है। यहाँ हर रविवार को भक्तों की भीड़ उमड़ती है, और छठ पर्व के अवसर पर यह स्थल भक्ति और उत्सव के रंगों से सराबोर हो जाता है।
स्थानीय लोक कथाओं के अनुसार वुढ़ानगर का सूर्य मंदिर और सूर्य सरोवर का इतिहास सैकड़ों वर्ष पुराना है। एक प्रचलित कथा के अनुसार, प्राचीन काल में इस क्षेत्र में एक साधु ने भगवान सूर्य की कठोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान भास्कर ने उन्हें दर्शन दिए और इस सरोवर को अमृतमय जल से भर दिया।
कहा जाता है कि इस सरोवर में स्नान करने और यहाँ भगवान सूर्य को अर्घ्य देने से भक्तों की मनोकामनाएँ पूरी होती हैं। यही कारण है कि यहाँ न केवल छठ पर्व पर, बल्कि विवाह और अन्य शुभ कार्यों के लिए भी लोग दूर-दूर से आते हैं।
एक अन्य लोक कथा में बताया जाता है कि इस सरोवर का जल इतना पवित्र है कि यह रोगों को हरने की शक्ति रखता है। पुराने समय में जब इस क्षेत्र में महामारी फैली थी, तब यहाँ के जल से कई लोगों का जीवन बचा था। इस तरह की कथाएँ इस स्थल को और भी रहस्यमयी और आकर्षक बनाती हैं।
यहां छठ पर्व के दौरान सूर्य सरोवर और इसके आसपास के घाट भक्तों की आस्था और उत्साह से जीवंत हो उठते हैं। इस्लामपुर प्रखंड में कुल 12 छठ घाट हैं, जिनमें वुढ़ानगर का सूर्य सरोवर, कोविल, पचलोवा पंचायत का चौरमा पोखर, ढेकवाहा पंचायत के कस्तूरी बिगहा और बाल्मत बिगहा के जलवार नदी, चंधारी पंचायत का हनुमानगढ़ी घाट, इचहोस पंचायत का बीराकुआर घाट, सुढ़ी पंचायत का पैमार नदी घाट, कोचरा पंचायत का वैरा पोखर घाट, वेले पंचायत का छिलकापर घाट, मोहनचक पंचायत का अमनावा मुसहरी पोखर घाट और संडा पंचायत के सूर्य मंदिर के पास का घाट शामिल हैं।
सूर्य सरोवर पर छठ व्रतियों का उत्साह देखते ही बनता है। सुबह और शाम के अर्घ्य के समय सरोवर के किनारे भक्तों की भीड़ उमड़ती है। महिलाएँ और पुरुष रंग-बिरंगे सूप और डालों में फल, ठेकुआ और अन्य प्रसाद सजाकर भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित करते हैं। यह दृश्य इतना मनमोहक होता है कि इसे देखने के लिए भी लोग दूर-दूर से आते हैं।
इस्लामपुर के सीओ किशोरी चौधरी ने बताया कि सभी छठ घाटों पर गोताखोरों की व्यवस्था की गई है ताकि किसी भी अप्रिय घटना को रोका जा सके। इसके अलावा नगर परिषद के सफाई निरीक्षक संतोष कुमार उर्फ पूटू ने जानकारी दी कि वुढ़ानगर, कोविल और अन्य घाटों की साफ-सफाई के साथ-साथ बैरिकेडिंग, चेंजिंग रूम, रोशनी और पेयजल की उत्तम व्यवस्था की गई है। प्रशासन द्वारा शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए भी ठोस कदम उठाए गए हैं।
इसी तरह आत्मा गाँव में भगवान भोलेनाथ के मंदिर के पास तालाब में भी बड़ी संख्या में छठ व्रती अर्घ्य अर्पित करते हैं। ग्रामीण सुनील साव, सतीश कुमार, अवधेश राम, राजेश कुमार, जयपाल और सर्वेश कुमार ने बताया कि गाँववासियों के सहयोग से घाटों की साफ-सफाई की गई है, ताकि व्रतियों को किसी भी तरह की असुविधा न हो।
यह सूर्य सरोवर केवल एक धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि सामाजिक एकता का प्रतीक भी है। यहाँ विवाह समारोहों का आयोजन भी होता है और दूर-दराज से लोग अपने शुभ कार्यों के लिए इस मंदिर को चुनते हैं। छठ पर्व के दौरान यहाँ का माहौल सामुदायिक सहभागिता का अनूठा उदाहरण प्रस्तुत करता है, जहाँ सभी धर्मों और समुदायों के लोग एक साथ मिलकर उत्सव मनाते हैं।
वुढ़ानगर का सूर्य सरोवर और प्राचीन सूर्य मंदिर इस्लामपुर की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का एक अनमोल हिस्सा है। यहाँ की किवदंतियाँ, लोक कथाएँ और छठ पर्व की भव्यता इसे एक विशेष स्थान प्रदान करती हैं। चाहे वह भगवान भास्कर की भक्ति हो, मन्नतों का पूरा होना हो या सामुदायिक एकता का प्रदर्शन। यह स्थल हर दृष्टिकोण से अद्वितीय है।
इस छठ पर्व पर एक बार फिर यह सूर्य सरोवर आस्था और उत्सव का केंद्र बनेगा, जहाँ भक्तों की प्रार्थनाएँ और सरोवर का पवित्र जल एक साथ मिलकर एक अविस्मरणीय दृश्य प्रस्तुत करेंगे।
