बिहारशरीफ में शिक्षकों का भड़का आक्रोश, डीईओ कार्यालय को घेरा

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहार के नालंदा जिले में प्राथमिक शिक्षकों की लंबे समय से चली आ रही समस्याओं ने एक नया मोड़ ले लिया है। परिवर्तनकारी प्रारंभिक शिक्षक संघ के सदस्यों ने जिला शिक्षा कार्यालय (डीईओ) का जोरदार घेराव किया है, जिससे सरकारी अमला में हड़कंप मच गया है।
सैकड़ों शिक्षकों ने अपनी 24 सूत्री मांगों को लेकर सड़क पर उतरने का फैसला किया, जो न केवल उनकी आर्थिक और प्रशासनिक परेशानियों को उजागर करता है, बल्कि जिला शिक्षा व्यवस्था की खामियों पर भी सवाल खड़े करता है। यह प्रदर्शन शिक्षकों के धैर्य का अंतिम इम्तिहान साबित हुआ, जब जिला शिक्षा पदाधिकारी आनंद विजय ने बार-बार वार्ता से मुंह मोड़ लिया।
जिला शिक्षा कार्यालय के बाहर शिक्षकों की भीड़ जमा हो गई। जिलाध्यक्ष रौशन कुमार के नेतृत्व में यह धरना-प्रदर्शन शुरू हुआ, जबकि संचालन का दायित्व माध्यमिक शिक्षक संघ के सचिव राणा रंजीत ने संभाला।
रौशन कुमार ने मंच से गुस्से भरे लहजे में कहा कि हमारी समस्याओं को हल करने के लिए 7 जुलाई और 4 सितंबर को हमने जिला शिक्षा पदाधिकारी को आवेदन दिया था। लेकिन आनंद विजय साहब शिक्षकों की तकलीफों से बिल्कुल बेपरवाह हैं। न तो वार्ता का समय दिया, न ही हमें कार्यालय आने की इजाजत। अब तो सीधे डीईओ कार्यालय आने पर भी रोक लगा दी गई है।
शिक्षकों की शिकायतें सुनने लायक हैं। वे बताते हैं कि अपनी समस्याओं को बीईओ (ब्लॉक शिक्षा अधिकारी) के माध्यम से ही आवेदन दे सकते हैं, लेकिन इन आवेदनों का निपटारा कब होगा, इसका कोई समय सीमा निर्धारित नहीं है। खासकर प्रभारित बीईओ वाले प्रखंडों में तो हालात और भी बदतर हैं, जहां अधिकारी नियमित रूप से उपस्थित ही नहीं होते। इससे शिक्षकों को भटकना पड़ता है, और उनकी दैनिक जद्दोजहद बढ़ जाती है।
रौशन कुमार ने आगे कहा कि नियोजित शिक्षकों को स्नातक ग्रेड में प्रमोशन, 12 वर्ष की सेवा पूरी करने वालों को कालबद्ध प्रमोशन, ई-शिक्षाकोष पोर्टल पर दर्ज ग्रिवांशों का त्वरित समाधान जैसे मांगें सालों से लंबित हैं।
घेराव की मुख्य मांगों में नौ महीने पहले नियोजित से विशिष्ट शिक्षक बने लोगों को पूर्ण वेतन संधारण का भुगतान, तीन महीने पहले स्थानांतरित शिक्षकों और बीपीएससी से नियुक्त प्रधान शिक्षकों को दुर्गा पूजा से पहले वेतन और बकाया राशि का भुगतान शामिल है।
इसके अलावा अपर मुख्य सचिव के पत्र के अनुसार रिक्त बीईओ पदों पर प्रखंड स्तर के पर्यवेक्षकीय पदाधिकारियों की प्रतिनियुक्ति, सत्र 2025-26 में कक्षा 1 से 8 तक के शेष 40 प्रतिशत छात्रों को पाठ्यपुस्तकें और एफएलएन किट उपलब्ध कराना, स्कूलों में अधूरे मरम्मत कार्य, समरसेबल और शौचालय निर्माण को पूरा कराना, 15 वर्षों से एक ही प्रखंड में अटके डाटा एंट्री ऑपरेटरों का स्थानांतरण और सक्षमता 02 परीक्षा उत्तीर्ण शिक्षकों को प्रमाण-पत्र वितरण जैसी 24 मांगें उठाई गईं।
घेराव में संघ के महासचिव मो. इरफान मल्लिक, सचिव सुनील कुमार, उपाध्यक्ष सुनैना कुमारी, पंकज कुमार, सूचित कुमार, संयुक्त सचिव अति उत्तम कुमार, शशिकांत कुमार वर्मा, मुकेश कुमार, अभिषेक कुमार पांडेय, राकेश कुमार, मनोज कुमार, दयानन्द कुमार, संजय कुमार, मिथिलेश कुमार, अखिलेश कुमार, जन्म जय कुमार शाही, रूपा कुमारी, मिंकु कुमारी, गणिता कुमारी, शशि वर्मा, माध्यमिक शिक्षक संघ अध्यक्ष संजीत कुमार शर्मा, राणा रंजीत, विनायक प्रसाद सहित सैकड़ों शिक्षक शामिल थे। महिलाएं भी पूरी ताकत से मैदान में उतरीं, जो दर्शाता है कि यह संघर्ष समग्र समुदाय का है।
डीईओ आनंद विजय की अनुपस्थिति में स्थापना डीपीओ आनंद शंकर से वार्ता हुई। दूरभाष पर डीईओ से संपर्क करने के बाद संघ को 27 सितंबर को वार्ता का समय दिया गया। इस आश्वासन पर शिक्षकों ने धरना स्थगित कर दिया, लेकिन चेतावनी दी कि अगर मांगें पूरी नहीं हुईं तो आंदोलन और तेज होगा।
यह घटना नालंदा जिले की शिक्षा व्यवस्था में व्याप्त अव्यवस्था को उजागर करती है। क्या 27 सितंबर की वार्ता से समस्याओं का समाधान होगा या यह सिर्फ एक और वादा साबित होगा? नालंदा के शिक्षक समुदाय आशा की किरण की प्रतीक्षा में है, लेकिन उनका गुस्सा शांत होने वाला नहीं लगता। जिला प्रशासन को अब गंभीरता से कदम उठाने होंगे, वरना यह आंदोलन पूरे बिहार में फैल सकता है।









