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विकास की नई राह बनेगी नालंदा-पटना को जोड़ने वाली यह सड़क

नालंदा दर्पण डेस्क। नालंदा-पटना जिले के बीच एक नई सड़क परियोजना की योजना ने क्षेत्रीय विकास की नई संभावनाओं को जन्म दिया है। यह प्रस्तावित सड़क NH-431 फतुहा से चंडी रोड के होरिल बिगहा से शुरू होकर नूरी चक, अशरफपुर, अरियावा, मुर्दलीचक, डांगरा, नगमा, रामघाट, पभेड़ी, खड्सरिया, भोभी, लच्छु बिगहा, लोहंडा, वासो पुल, केवई पुल, कचहरिया, नूरसराय, नारायणपुर, पीलिच्छ, और बड़ी मठ होते हुए NH-33 बिहार-एकंगरसराय-अरवल रोड से जुड़ेगी। यह सड़क अंततः बेन-इस्लामपुर रोड पर जैतीपुर में समाप्त होगी। यह परियोजना न केवल दो जिलों को जोड़ेगी, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों के लिए एक सुलभ संपर्क मार्ग के रूप में भी काम करेगी।

यह प्रस्तावित सड़क किसानों, मजदूरों, छोटे व्यापारियों, बच्चों और नौजवानों के लिए एक क्रांतिकारी कदम साबित हो सकती है। इस मार्ग के बनने से नालंदा और पटना के बीच आवागमन आसान होगा, जिससे स्थानीय लोगों को अपनी उपज को बाजार तक पहुंचाने, नौकरी के अवसरों तक पहुंचने और शिक्षा-स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठाने में सुविधा होगी। यह सड़क पंचायतों और प्रखंडों को जोड़ते हुए क्षेत्रीय एकीकरण को बढ़ावा देगी।

वर्तमान में इस मार्ग पर अधिकांश स्थानों पर 3.5 मीटर चौड़ी सड़क मौजूद है, लेकिन इसे 5.5 मीटर चौड़ा करने की आवश्यकता है। यह अपग्रेडेशन न केवल यातायात को सुगम बनाएगा, बल्कि सड़क सुरक्षा को भी बढ़ाएगा।

जाने-माने समाजसेवी उपेन्द्र प्रसाद सिंह ने मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री से लेकर राष्ट्रपति तक को लिखे पत्र में आगे कहा है कि जिस तरह पर्यटकों के लिए डबल डेकर और फोर-लेन सड़कों का निर्माण किया जा रहा है, उसी तर्ज पर इस प्रस्तावित मार्ग को भी अपग्रेड कर 5.5 मीटर चौड़ा किया जाए। यह सड़क नालंदा और पटना के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी बन सकती है, जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के साथ-साथ क्षेत्रीय विकास को गति देगी।

यह सड़क परियोजना नालंदा और पटना को न केवल भौगोलिक रूप से जोड़ेगी, बल्कि सामाजिक और आर्थिक रूप से भी एकीकरण को बढ़ावा देगी। यह मार्ग स्थानीय व्यापार, कृषि, और शिक्षा के क्षेत्र में नए अवसर पैदा करेगा। विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों के युवाओं को रोजगार के लिए शहरों तक पहुंचने में आसानी होगी, और किसानों को अपनी उपज को बड़े बाजारों तक ले जाने में मदद मिलेगी।

प्रस्तावित सड़क परियोजना नालंदा और पटना के लिए एक मील का पत्थर साबित हो सकती है। इसके माध्यम से न केवल दो जिलों के बीच की दूरी कम होगी, बल्कि यह क्षेत्रीय विकास की नई कहानी लिखेगी। स्थानीय समुदाय इस परियोजना के शीघ्र कार्यान्वयन की प्रतीक्षा में है, ताकि उनकी जिंदगी में सुगमता और समृद्धि का नया अध्याय शुरू हो सके।

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