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इस्लामपुर के 4 स्वास्थ्य केंद्रों पर लटका ताला,11 कर्मियों का वेतन रोका

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं को सशक्त बनाने की सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद जमीनी हकीकत बेहद निराशाजनक बनी हुई है। नालंदा जिले के इस्लामपुर प्रखंड में हुए हालिया निरीक्षण ने स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही की परतें खोल कर रख दी हैं। सरकार जहां एक ओर प्राथमिक और अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को आधुनिक सुविधाओं से लैस करने का दावा कर रही है, वहीं दूसरी ओर स्वास्थ्य कर्मियों की उदासीनता और गैर-जिम्मेदाराना रवैया इस कोशिश को पलीता लगा रहा है।

डिस्ट्रिक्ट प्रोग्राम मैनेजर (डीपीएम) श्याम कुमार निर्मल ने इस्लामपुर प्रखंड के चार स्वास्थ्य उपकेंद्रों बैरा कोचरा, केवाली, परसुराय और एपीएचसी धमौली का औचक निरीक्षण किया। इस दौरान बैरा कोचरा, केवाली और परसुराय के उपकेंद्रों पर दोपहर 12 बजे तक ताले लटकते मिले। जबकि धमौली के अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर और एएनएम दोनों नदारद पाए गए।

स्थानीय ग्रामीणों की मानें तो स्वास्थ्य कर्मियों की उपस्थिति अस्थायी और संदेहास्पद है। वे बताते हैं कि डॉक्टर और नर्स कब आते हैं और कब चले जाते हैं, इसकी कोई जानकारी नहीं होती। इस वजह से गांवों के लोगों को मामूली इलाज के लिए भी दूर पीएचसी या जिला अस्पताल का रुख करना पड़ता है।

बैरा कोचरा सेंटर की एएनएम से जब मोबाइल पर संपर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि वे ड्यूटी पर तो आई थीं, लेकिन 11 बजे ही लौट गईं। इससे साफ जाहिर होता है कि ड्यूटी के प्रति गंभीरता का नितांत अभाव है।

डीपीएम ने बताया कि इन केंद्रों पर 3 से 4 स्वास्थ्य कर्मी नियुक्त हैं, लेकिन निरीक्षण के समय कोई भी उपस्थित नहीं था। इस लापरवाही के आलोक में कुल 11 स्वास्थ्य कर्मियों का वेतन अगले आदेश तक के लिए रोक दिया गया है। साथ ही सभी को कारण बताओ नोटिस (शोकॉज) जारी किया गया है।

यदि उनका जवाब असंतोषजनक पाया गया तो विभागीय कार्रवाई की जाएगी। जिऩमें बैरा कोचरा) सीएचओ राकेश कुमार, एएनएम विमला कुमारी, एएनएमआर संगम सरिता कुमारी), केवाली (सीएचओ हिमांशु कुमार, एएनएम गीता कुमारी, एएनएमआर सोनी कुमारी), परसुराय (सीएचओ चंदन राजा, एएनएम सुप्रभा कुमारी, एएनएमआर कुमकुम कुमारी), धमौली (चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. धीरेंद्र कुमार, एएनएम कुमारी अंजू) शामिल हैं।

एक और बड़ी चिंता का विषय यह है कि बायोमेट्रिक (एफआर) उपस्थिति प्रणाली के बंद हो जाने के बाद स्वास्थ्य कर्मियों की लापरवाही और अधिक बढ़ गई है। बिना किसी मॉनिटरिंग के अब सेंटर तक खोलना भी कर्मियों की मर्जी पर निर्भर हो गया है।

बहरहाल, स्वास्थ्य व्यवस्था की सुदृढ़ता केवल भवन निर्माण और उपकरणों की उपलब्धता से नहीं, बल्कि जिम्मेदार कर्मियों की उपस्थिति और समर्पण से सुनिश्चित होती है। यदि समय रहते इन लापरवाहियों पर सख्त कार्रवाई नहीं हुई तो ग्रामीण इलाकों की स्वास्थ्य सेवाएं सिर्फ कागजों पर ही सशक्त बनी रहेंगी।

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