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A unique view of nature: बिहारशरीफ बना खुली चोंच वाले सारसों का बसेरा

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण) बिहारशरीफ नगर के हरे-भरे परिदृश्य में इन दिनों एक अनूठा मेहमान अपनी उपस्थिति (A unique view of nature) से लोगों का ध्यान आकर्षित कर रहा हैं। एशियाई ओपनबिल स्टॉर्क (Asian Openbill Stork), जिसे हिंदी में खुली चोंच वाला सारस कहा जाता हैं, उसने नगर के कई विशाल और पुराने पेड़ों पर अपना बसेरा बना लिया हैं। इन पक्षियों की मौजूदगी न केवल प्रकृति प्रेमियों के लिए बल्कि आम नागरिकों के लिए भी कौतूहल और आकर्षण का केंद्र बन गई हैं।

A unique view of nature: Bihar Sharif has become the home of open-beaked cranes
A unique view of nature: Bihar Sharif has become the home of open-beaked cranes

बता दें कि एशियाई ओपनबिल स्टॉर्क की पहचान इसके विशिष्ट लक्षणों से होती हैं। इनका शरीर भूरा-सफेद, पंख काले और चोंच विशिष्ट रूप से खुली होती हैं। जोकि इनके नाम का कारण भी हैं। इस चोंच का बीच का हिस्सा थोड़ा खुला रहता हैं, जो इन्हें कीड़े, घोंघे और छोटे जलचर जीवों को आसानी से पकड़ने में मदद करता हैं। ये पक्षी सामान्यतः झुंड में रहते हैं और सुरक्षित स्थानों को ही अपना ठिकाना बनाते हैं। इनकी उड़ान और समूह में विचरण की शैली देखते ही बनती हैं।

इन दिनों बिहारशरीफ नगर के विभिन्न क्षेत्रों में इन सारसों की उपस्थिति देखी जा रही हैं। नगर निगम परिसर, कोर्ट परिसर, महिला थाना, नालंदा कॉलेज के आसपास के पेड़ और अन्य कई स्थानों पर ये पक्षी अपने घोंसलों के साथ देखे जा सकते हैं।

स्थानीय लोगों के अनुसार ये पक्षी सुबह और शाम के समय अधिक सक्रिय रहते हैं, जब ये अपने भोजन की तलाश में आसपास के जलाशयों और खेतों की ओर उड़ान भरते हैं। इनके घोंसलों का निर्माण भी एक अनोखा दृश्य प्रस्तुत करता हैं, क्योंकि ये सूखी टहनियों और पत्तियों का उपयोग कर बेहद सावधानी से अपने घोंसले बनाते हैं।

इन खूबसूरत पक्षियों की उपस्थिति ने स्थानीय लोगों में उत्साह पैदा किया हैं। बच्चे और युवा विशेष रूप से इनके व्यवहार और उड़ान को देखने के लिए उत्साहित रहते हैं।

नालंदा कॉलेज के पास रहने वाले एक छात्र रवि प्रकाश ने बताया कि हम रोज सुबह इन पक्षियों को देखते हैं। इनकी चोंच और उड़ने का तरीका बहुत अनोखा हैं। यह हमारे शहर के लिए गर्व की बात हैं कि इतने सुंदर पक्षी यहां आ रहे हैं।

वहीं स्थानीय निवासी और प्रकृति प्रेमी शालिनी सिन्हा ने कहा कि यह देखकर खुशी होती हैं कि हमारे शहर में प्रकृति अभी भी जीवंत हैं। इन पक्षियों की सुरक्षा के लिए हमें जागरूक रहना चाहिए।

एशियाई ओपनबिल स्टॉर्क की उपस्थिति बिहारशरीफ के पर्यावरणीय स्वास्थ्य का भी संकेत देती हैं। ये पक्षी स्वच्छ जलाशयों और हरे-भरे वातावरण को पसंद करते हैं। हालांकि शहरीकरण और पेड़ों की कटाई इनके प्राकृतिक आवास के लिए खतरा बन सकती हैं।

पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना हैं कि इन पक्षियों के संरक्षण के लिए स्थानीय प्रशासन और समुदाय को मिलकर काम करना होगा। नगर निगम द्वारा पेड़ों की सुरक्षा और जलाशयों की स्वच्छता पर ध्यान देना इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता हैं।

नगर निगम के अधिकारियों का कहना हैं कि वे इन पक्षियों की उपस्थिति को एक सकारात्मक संकेत मानते हैं और उनके संरक्षण के लिए कदम उठाने पर विचार कर रहे हैं।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हम इन पक्षियों के आवास को सुरक्षित रखने के लिए स्थानीय समुदाय के साथ मिलकर जागरूकता अभियान चलाने की योजना बना रहे हैं। साथ ही पेड़ों की सुरक्षा और जलाशयों की सफाई पर भी ध्यान दिया जाएगा।

जानें एशियाई ओपनबिल स्टॉर्क की विशेषताएं, व्यवहार और महत्वः एशियाई ओपनबिल स्टॉर्क (Anastomus oscitans) को हिंदी में खुली चोंच वाला सारस कहा जाता हैं। यह एक विशिष्ट और आकर्षक जलचर पक्षी हैं, जो दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में पाया जाता हैं। यह पक्षी अपनी अनूठी चोंच, सामाजिक व्यवहार और पर्यावरणीय महत्व के लिए जाना जाता हैं।

एशियाई ओपनबिल स्टॉर्क एक मध्यम आकार का पक्षी हैं, जिसकी कुछ प्रमुख शारीरिक विशेषताएं हैं-

चोंच: इसकी सबसे विशिष्ट विशेषता इसकी चोंच हैं, जिसमें ऊपरी और निचली चोंच के बीच एक खुला स्थान होता हैं। यह खुलापन केवल वयस्क पक्षियों में देखा जाता हैं, क्योंकि युवा पक्षियों की चोंच पूरी तरह बंद रहती हैं। यह संरचना इसे घोंघे, मोलस्क और अन्य छोटे जलचर जीवों को आसानी से पकड़ने में मदद करती हैं।

रंग और आकार: इसका शरीर मुख्य रूप से सफेद या भूरा-सफेद होता हैं, जबकि पंख काले रंग के होते हैं, जिनमें हरी-नीली चमक होती हैं। इसकी लंबाई लगभग 68-81 सेमी होती हैं, और पंखों का फैलाव 120-150 सेमी तक हो सकता हैं।

पैर: इसके पैर लंबे और गुलाबी-लाल रंग के होते हैं, जो इसे जलाशयों और दलदली क्षेत्रों में चलने के लिए उपयुक्त बनाते हैं।

आवासः एशियाई ओपनबिल स्टॉर्क मुख्य रूप से नम और जलमग्न क्षेत्रों जैसे दलदल, नदियों, तालाबों, और धान के खेतों में पाया जाता हैं। यह पक्षी भारत, श्रीलंका, बांग्लादेश, म्यांमार, थाईलैंड और वियतनाम जैसे देशों में आम हैं। भारत में यह विशेष रूप से गंगा के मैदानी क्षेत्रों, पूर्वोत्तर भारत और दक्षिणी राज्यों में देखा जाता हैं।

सामाजिक व्यवहार: ये पक्षी सामाजिक होते हैं और अक्सर बड़े झुंडों में रहते हैं। प्रजनन के मौसम में ये कॉलोनियों में घोंसले बनाते हैं, जहां कई जोड़े एक साथ घोंसले बनाते हैं।

भोजन: इनका मुख्य आहार घोंघे, मोलस्क, केकड़े, मेंढक और छोटे जलचर जीव हैं। इनकी खुली चोंच उन्हें घोंघों के कठोर खोल को तोड़ने में सहायता करती हैं। ये धान के खेतों और जलाशयों में भोजन की तलाश करते हैं।

प्रजनन: प्रजनन का मौसम मुख्य रूप से मानसून के दौरान होता हैं। ये सूखी टहनियों और पत्तियों से घोंसले बनाते हैं, जो आमतौर पर ऊंचे पेड़ों पर होते हैं। मादा पक्षी 2-4 अंडे देती हैं, जिन्हें दोनों माता-पिता मिलकर सेते हैं। अंडों से चूजे 25-30 दिनों में निकलते हैं।

प्रवास: ये पक्षी स्थानीय रूप से प्रवासी होते हैं और मौसम के आधार पर भोजन और प्रजनन के लिए उपयुक्त स्थानों की तलाश में थोड़ी दूरी तय करते हैं।

एशियाई ओपनबिल स्टॉर्क पारिस्थितिकी तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं-

कीट नियंत्रण: ये घोंघों और अन्य छोटे जीवों को खाकर कृषि क्षेत्रों में कीटों को नियंत्रित करते हैं, जो किसानों के लिए लाभकारी हैं।

जैव विविधता का संकेतक: इनकी उपस्थिति स्वच्छ जलाशयों और स्वस्थ पर्यावरण का संकेत देती हैं। यदि ये पक्षी किसी क्षेत्र में बड़ी संख्या में मौजूद हैं तो यह उस क्षेत्र के पारिस्थितिक स्वास्थ्य को दर्शाता हैं।

पर्यावरण जागरूकता: इनके आकर्षक स्वरूप और व्यवहार के कारण ये स्थानीय समुदायों में पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने में सहायक होते हैं।

आवास संरक्षण: पुराने और विशाल पेड़ों को संरक्षित करना और नए वृक्षारोपण को बढ़ावा देना इनके लिए सुरक्षित घोंसले बनाने में सहायक होगा।

जलाशयों की स्वच्छता: स्वच्छ जल स्रोतों को बनाए रखना इनके भोजन और अस्तित्व के लिए आवश्यक हैं।

जागरूकता अभियान: स्थानीय समुदायों, विशेष रूप से स्कूलों और कॉलेजों में इन पक्षियों के महत्व और संरक्षण के बारे में जागरूकता फैलाना उपयोगी होगा। नगर निगम और वन विभाग को इनके आवास की निगरानी और संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।

बहरहाल, बिहारशरीफ जैसे क्षेत्रों में इनकी उपस्थिति स्थानीय समुदाय के लिए गर्व का विषय हैं। इनके संरक्षण के लिए सामुदायिक और प्रशासनिक प्रयासों की आवश्यकता हैं ताकि ये खूबसूरत पक्षी भविष्य में भी इस क्षेत्र की शोभा बढ़ाते रहें।

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