बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) के शिक्षक भर्ती परीक्षा (BPSC TRE) का आयोजन शिक्षकों की नियुक्ति के लिए किया जा रहा है। लेकिन हाल के घटनाक्रम ने इस परीक्षा प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। BPSC TRE-2 में पेपर लीक की घटना के बाद अब BPSC TRE-3 में भी पेपर लीक का मामला सामने आया। जिसने पूरे राज्य को हिलाकर रख दिया।
नालंदा जिले में नगरनौसा के पास रामघाट और धरमपुर के बीच एक ढाबे पर एक पिकअप वैन में रखे गए प्रश्नपत्रों को लीक किया गया। यह घटना सुनियोजित तरीके से की गई थी। जिसमें वैन के चालक रामभवन पासवान को 7 हजार रुपए की रिश्वत देकर इस घिनौने काम को अंजाम दिया गया। यह पेपर लीक सिर्फ एक सामान्य घटना नहीं, बल्कि एक बड़ी साजिश का हिस्सा बन गया।
इस पूरे पेपर लीक कांड का मुख्य मास्टरमाइंड संजीव मुखिया और उसका बेटा डॉ. शिव था। डॉ. शिव पहले से ही एक और पेपर लीक मामले में शामिल था और पुलिस द्वारा उज्जैन से अपनी गर्लफ्रेंड और अन्य साथियों के साथ गिरफ्तार किया जा चुका था।
डॉ. शिव वर्तमान में बेउर जेल में बंद है। जेल में रहते हुए भी उसने अपने सहयोगियों को फोन कर सबूत मिटाने के निर्देश दिए थे। इसके तहत करण नामक व्यक्ति ने राहुल का मोबाइल फॉर्मेट कर सभी सबूत मिटा दिए।
इस दौरान डॉ. शिव का आपराधिक नेटवर्क इतना मजबूत रहा कि वह जेल के अंदर से भी अपनी साजिश को अंजाम दे रहा था। उसने जेल से ही अपने सहयोगियों को निर्देश दिया कि सारे डिजिटल सबूत नष्ट कर दिए जाएं। ताकि जांच में पुलिस के हाथ कोई ठोस जानकारी न लग सके।
वेशक बिहार में BPSC जैसे महत्वपूर्ण आयोगों की परीक्षाओं में बार-बार पेपर लीक होने की घटनाएं शिक्षा व्यवस्था की गंभीर समस्याओं की ओर इशारा करती हैं। ऐसे मामलों में संलिप्त लोगों पर सख्त कार्रवाई और परीक्षा प्रणाली में सुधार बेहद जरूरी है। ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।
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