बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की शिक्षक भर्ती परीक्षा (BPSC TRE) में पेपर लीक के मामले ने एक बार फिर राज्य में शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस घोटाले के तार अब कोचिंग संस्थानों तक पहुंच गए हैं। बिहार आर्थिक इकाई (EOU) ने शिक्षक भर्ती परीक्षा के दूसरे और तीसरे चरण (TRE-2 और TRE-3) को लेकर पटना के तीन प्रमुख कोचिंग संचालकों को जांच के घेरे में लिया है।
EOU की जांच में यह खुलासा हुआ है कि TRE-3 के पेपर लीक मामले में इन कोचिंग संचालकों की भूमिका संदिग्ध है। इन संस्थानों में परीक्षा के प्रश्नपत्र पहले से ही सॉल्व कराए गए थे। संजीव मुखिया और उसके गिरोह ने इन कोचिंग संस्थानों को पेपर उपलब्ध कराए थे। इतना ही नहीं पेपर लीक माफिया संजीब उर्फ लुटन मुखिया के नेटवर्क ने इन संस्थानों में कई उम्मीदवारों को भी भेजा था। जिससे पेपर लीक का पूरा खेल रचा गया।
लुटन मुखिया पहले से ही आय से अधिक संपत्ति के मामले में जांच का सामना कर रहा है। इस पूरे पेपर लीक प्रकरण का मुख्य आरोपी माना जा रहा है। EOU की जांच में उसकी संलिप्तता को लेकर कई अहम सुराग मिले हैं।
मुखिया और उसके गिरोह पर आरोप है कि उन्होंने न केवल पेपर लीक किए, बल्कि विभिन्न कोचिंग संस्थानों के माध्यम से इन्हें सॉल्व भी कराया और उम्मीदवारों तक पहुँचाया।
बता दें कि TRE-3 की परीक्षा 15 मार्च 2024 को आयोजित की गई थी। लेकिन माफियाओं द्वारा पेपर लीक होने के कारण इसे रद्द करना पड़ा। इसके बाद 19 से 22 जुलाई 2024 के बीच दोबारा परीक्षा आयोजित की गई। 13 नवंबर 2024 को इस परीक्षा का परिणाम घोषित किया गया। जिसमें 44,704 उम्मीदवार सफल हुए। हालांकि पेपर लीक की इस घटना ने परीक्षा की पारदर्शिता पर गहरा धब्बा लगा दिया।
इस मामले में EOU ने 16 मार्च 2024 को केस दर्ज किया था। जिसके बाद से अब तक 266 से अधिक लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। इन गिरफ्तारियों में कई मुख्य आरोपी और माफिया शामिल हैं। वे परीक्षा में धांधली करने के लिए जिम्मेदार माने जा रहे हैं। EOU अब इन कोचिंग संस्थानों के संचालकों की कुंडली भी खंगाल रही है, जो इस पूरे प्रकरण के केंद्र में हैं।
क्योंकि इस पेपर लीक कांड ने बिहार की शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। परीक्षा की निष्पक्षता और पारदर्शिता को बनाए रखना अब एक बड़ी चुनौती बन गया है। सरकार को इस मामले में सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों और योग्य उम्मीदवारों को उनके मेहनत का सही फल मिल सके।
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