
चंडी (नालंदा दर्पण)। नालंदा जिले के चंडी प्रखंड मुख्यालय में वर्ष 2014 में बना नवनिर्मित पशु चिकित्सालय का भवन बिना चालू के 10 वर्षों से जर्जर हालत में है। इस कारण स्थानीय पशुपालकों को अपने पशुओं के इलाज में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। क्योंकि इस क्षेत्र में किसानों एवं बेरोजगारों के लिए पशुपालन एक प्रमुख आजीविका का स्रोत है।
इस भवन का निर्माण भवन निर्माण विभाग द्वारा किया गया था, लेकिन कई कार्य आधे-अधूरे रह जाने और विभाग द्वारा पशुपालन विभाग को भवन हस्तांतरित न किए जाने के कारण यह सुविधा उपयोग में नहीं लाई जा सकी है। अब जाने-माने समाजसेवी और आरटीआई कार्यकर्ता उपेंद्र प्रसाद सिंह ने इस मामले को एक बार फिर गंभीरता से उठाया है और प्रधानमंत्री से इस चिकित्सालय को चालू करवाने की मांग की है।
जिला पशुपालन कार्यालय, नालंदा के पत्र (पत्रांक-782, दिनांक 09.06.2022) के अनुसार चंडी पशु चिकित्सालय के भवन का स्थल निरीक्षण किया गया, जिसमें कई खामियां सामने आईं। निरीक्षण प्रतिवेदन के अनुसार मुख्य गेट का ग्रिल मौजूद है, लेकिन पूरब दिशा के कमरे में दरवाजा नहीं है। बिजली की वायरिंग अनुपस्थित है और सभी बोर्ड टूटे हुए हैं। किसी भी कमरे में सीलिंग फैन नहीं है। शौचालय खराब है और टंकी का ढक्कन गायब है। सभी खिड़कियों के कांच टूटे हुए हैं। बोरिंग तो किया गया है, लेकिन समरसेबल मोटर उपलब्ध नहीं है।
वहीं पशु चिकित्सक के आवास में रसोईघर में सिंक नहीं है। दोनों शौचालय खराब हैं और टंकी का पाइप कनेक्शन नहीं है। सभी खिड़कियों के कांच टूटे हुए हैं। किसी भी कमरे में सीलिंग फैन नहीं है। छत पर पानी की टंकी मौजूद है, लेकिन ढक्कन नहीं है और पाइप का कनेक्शन अधूरा है।
वहीं पशु शेड की स्थिति ठीक है, लेकिन बाकी सुविधाओं की कमी के कारण इसका उपयोग सीमित है। निरीक्षण में यह भी उल्लेख किया गया कि संवेदक की मृत्यु के कारण निर्माण कार्य पूरा नहीं हो सका और भवन पशुपालन विभाग को हस्तांतरित नहीं किया गया।
इसके पूर्व नालंदा भवन प्रमंडल, बिहारशरीफ के कार्यपालक अभियंता विनय कुमार सिंह ने अपने पत्र (पत्रांक-460, दिनांक 03.09.2020) में भी बताया था कि भवन का निर्माण वर्ष 2014 में पूर्ण किया गया था, लेकिन उपयोग में न लाए जाने के कारण यह जर्जर हो गया है। पत्र के अनुसार PHE फिटिंग और पाइप टूट गए हैं। खिड़कियों के कांच टूटे हैं और भवन में आंशिक मरम्मत की आवश्यकता है। इसके लिए प्राक्कलन तैयार कर स्वीकृति हेतु भेजा गया है और निधि उपलब्ध होने पर मरम्मत कार्य शुरू किया जा सकता है।
वहीं पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग, बिहार के संयुक्त निदेशक डॉ. प्रवीण कुमार पाठक ने अपने पत्र (पत्रांक-2428, दिनांक 19.07.2022) में उल्लेख किया था कि चंडी के प्रथम वर्गीय पशु चिकित्सालय के निर्माण के लिए वर्ष 2008-09 में स्वीकृति प्रदान की गई थी। हालांकि भवन निर्माण विभाग द्वारा इसे पशुपालन विभाग को हस्तांतरित नहीं किया गया। क्योंकि भवन में कई त्रुटियां बनी हुई थी। उन्होंने भवन निर्माण विभाग से इसे हस्तांतरित करने का अनुरोध किया था।
चंडी के जाने-माने आरटीआई कार्यकर्ता और समाजसेवी उपेंद्र प्रसाद सिंह ने इस मुद्दे को कई बार प्रशासन के समक्ष उठाया है। उन्होंने भारत सरकार के केंद्रीकृत लोक शिकायत निवारण एवं अनुश्रवण प्रणाली (CPGRAMS) के माध्यम से अपनी शिकायत दर्ज की (QR Code No. PMOPG/E/2019/0141924) है। श्री सिंह ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया है कि इस भवन की मरम्मत करवाकर इसे शीघ्र चालू करवाया जाए। ताकि चंडी प्रखंड के पशुपालक अपने पशुओं का समय पर इलाज करवा सकें।
बता दें कि चंडी प्रखंड क्षेत्र में पशुपालन एक प्रमुख आजीविका है और इस चिकित्सालय की जर्जर स्थिति के कारण पशुपालकों को अपने पशुओं के इलाज के लिए दूर-दराज के केंद्रों पर जाना पड़ता है। इससे न केवल समय और धन की बर्बादी होती है, बल्कि कई बार समय पर इलाज न मिलने से पशुओं की मृत्यु तक हो जाती है। स्थानीय पशुपालकों का कहना है कि यदि यह चिकित्सालय चालू हो जाए, तो क्षेत्र के सैकड़ों गांवों के पशुपालकों को लाभ होगा।
सच पुछिए तो चंडी प्रखंड पशु चिकित्सालय का भवन लंबे समय से उपेक्षा का शिकार है। भवन निर्माण विभाग और पशुपालन विभाग के बीच समन्वय की कमी के कारण यह सुविधा पशुपालकों के लिए उपयोगी नहीं हो पा रही है। समाजसेवी उपेंद्र प्रसाद सिंह की पहल और प्रशासनिक पत्राचार से यह स्पष्ट है कि इस समस्या का समाधान संभव है, बशर्ते त्वरित कार्रवाई की जाए।









