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सतत व्यवसायिक विकास योजनाः शिक्षकों की प्रशिक्षण में भाषा कौशल पर जोर

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण) सतत व्यवसायिक विकास योजना के अंतर्गत बिहार के पांच जिलों नालंदा, भागलपुर, मोतिहारी, सासाराम और शेखपुरा के मास्टर ट्रेनरों के लिए दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

Continuous Professional Development Scheme Emphasis on language skills in teacher training
Continuous Professional Development Scheme Emphasis on language skills in teacher training

इस प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य प्राथमिक स्तर के बच्चों में पठन और शब्द निर्माण के माध्यम से भाषा कौशल का विकास करना है। ताकि मास्टर ट्रेनर अन्य शिक्षकों को इस दिशा में प्रशिक्षित कर सकें।

यह प्रशिक्षण जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों (डायट) में संचालित किया गया। जिसमें नूरसराय (नालंदा) के डायट में 16 मास्टर ट्रेनरों ने भाग लिया।

कार्यशाला का संचालन शिक्षा क्षेत्र की विशेषज्ञ डॉ. निर्मला और डॉ. अर्चना नाथ के मार्गदर्शन में किया गया। डायट नूरसराय की प्रभारी प्राचार्या डॉ. फरहत जहां ने बताया कि यह प्रशिक्षण कक्षा 1 से 3 तक के बच्चों में भाषा कौशल को बढ़ावा देने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

इसका लक्ष्य शिक्षकों को प्रभावी और बाल-केंद्रित शिक्षण तकनीकों से परिचित कराना है, जिससे बच्चों में पढ़ने और शब्द निर्माण की क्षमता का विकास हो सके।

डॉ. फरहत ने कहा कि यह प्रशिक्षण शिक्षकों को भाषा शिक्षण की नवीन और रचनात्मक विधियों से अवगत कराता है। इससे शिक्षण प्रक्रिया न केवल अधिक प्रभावी बनेगी, बल्कि बच्चों के लिए भी रोचक और आकर्षक होगी।

प्रशिक्षण के दौरान माइक्रो इंप्रूवमेंट प्रोग्राम (एमआईपी) की अवधारणा पर भी विस्तृत चर्चा हुई। इस कार्यक्रम के तहत शिक्षकों को बच्चों को कहानियां सुनाने, पढ़ाने और नए शब्दों के निर्माण की तकनीकों से अवगत कराया गया।

इन गतिविधियों का उद्देश्य बच्चों की रचनात्मकता, पठन क्षमता और अभिव्यक्ति कौशल को बढ़ाना है। मास्टर ट्रेनर अब इन तकनीकों को अन्य शिक्षकों तक पहुंचाएंगे। जिससे यह पहल पूरे राज्य में व्यापक स्तर पर लागू हो सके।

डॉ. निर्मला ने बताया कि पठन कौशल के साथ-साथ शब्द निर्माण की रचनात्मक विधियां बच्चों में आत्मविश्वास और अभिव्यक्ति की क्षमता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। यह प्रशिक्षण शिक्षकों को इन तकनीकों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए तैयार करता है।

प्रशिक्षण के दौरान यह भी जानकारी दी गई कि यह कोर्स अगस्त माह में दीक्षा एप पर अपलोड किया जाएगा। इस कोर्स को प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षक पूरा कर सकेंगे। जिससे उनकी पेशेवर दक्षता में और वृद्धि होगी।

डॉ. अर्चना नाथ ने बताया कि यह प्रशिक्षण दक्षता-आधारित और रचनात्मक भाषा शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए तैयार किया गया है। इसके माध्यम से बच्चों के पठन कौशल में गति, सटीकता और रुचि का विकास होगा।

इस प्रशिक्षण के माध्यम से न केवल मास्टर ट्रेनरों की क्षमता में वृद्धि हुई है, बल्कि बिहार के प्राथमिक शिक्षा क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण बदलाव लाने की दिशा में कदम बढ़ा रही है। मास्टर ट्रेनर अब अपने-अपने क्षेत्रों में अन्य शिक्षकों को प्रशिक्षित करेंगे। इससे बच्चों के भाषा कौशल में सुधार होगा।

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