बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। नालंदा जिला स्वास्थ्य विभाग की मिलीभगत से बिना निबंधन के फर्जी कागजात (Corruption in health) पर कई अल्ट्रासाउंड का संचालन किया जा रहा है। वंही इन अवैध अल्ट्रासाउंड केन्द्रों में भ्रूण परीक्षण (लिंग परीक्षण) कर बेटियों को दुनिया देखने से पहले ही उसे नष्ट कर अमानवीय कमाई भी खूब हो रही है।
बिना चिकित्सक के चलता है अल्ट्रासाउंड केन्द्रः राजगीर नगर अवस्थित सवेरा अल्ट्रासाउंड, बुद्वा अल्ट्रासाउंड एवं पटालिपुत्रा अल्ट्रासाउंड बिना चिकित्सक और निबंधन के 6 माह से संचालित हो रहा है। जिस पर कहीं से कोई कार्रवाई नहीं हो रहा है।
इस केन्द्रों की रिपोर्ट पर्ची में जिस चिकित्सक दीपक कुमार का नाम बताया गया है, वह पटना जिले के बेरिया के निवासी है तथा सरकारी सेवा में पटना के गुरू गोविन्द अस्पताल में पदस्थापित हैं तथा उनके नाम से अगमकुआं में ग्रीन डैनोलौजिग्स अल्ट्रासाउंड संचालित है। वही समस्तीपुर जिले के सदर अस्पताल के निकट सवेरा अल्ट्रासाउंड संचालित है।
सूत्र बताते हैं कि उक्त चिकित्सक के नाम से अन्य जिलो में भी कई अल्ट्रासाउंड केन्द्र संचालित हो रहे हैं। वहीं बिहारशरीफ के सदर अस्पताल के निकट सीटी अल्ट्रासाउंड निबंधित है। मगर निबंधित चिकित्सक विजय प्रताप सिंह के द्वारा सेन्टर बंद करने की सूचना नालंदा जिलाधिकारी एवं नालंदा सिविल सर्जन को 6 माह पहले ही लिखित रुप से दे दी गई है। इसके बाबजूद बाबजूद सीटी अल्ट्रासाउंड अवैध रुप से संचालित हो रहा है।
वहीं बिहारशरीफ के रांची रोड स्थित पटालिपुत्रा अल्ट्रासाउंड अवैध रुप से संचालित हो रहा है। जिसके निबंधन में भी चिकित्सक विजय प्रताप सिंह का नाम दिया गया है। जबकि चिकित्सक विजय प्रताप सिंह को खुद नहीं पता है कि उनका नाम पटालिपुत्रा अल्ट्रासाउंड के संचालन में कैसे डाल दिया गया है। इस अल्ट्रासाउंड केन्द्र का निबंधन करने के लिए चिकित्सक के प्रमाण पत्र और जाली हस्ताक्षर युक्त आवेदन कर्यालय में जमा किया गया है।
वही नालंदा जिले के इस्लामपुर अवस्थित पटालिपुत्रा अल्ट्रासाउंड के निबंधन हेतु डॉक्टर अफताब आलम का नाम दिया गया है। मगर नवीकारण हेतु आवेदन की जाँच करने अवर मुख्य चिकित्सक पदाधिकारी डॉक्टर कुमकुम प्रसाद एवं प्रखंड विकास पदाधिकारी इस्लामपुर की संयुक्त दल ने इस अल्ट्रासाउंड केन्द्र के निरीक्षण के समय डॉक्टर अफताब आलम के उपस्थित नहीं होने की रिपोट दी है।
कहते हैं कि पटालिपुत्रा अल्ट्रासाउंड के मामले में सिविल सर्जन कार्यालय में पदास्थापित लिपिक राजीव कुमार के द्वारा वारीय पदाधिकारी को उक्त रिपोर्ट को हटा कर उसे नवीकरण करने का काम किया गया है, जो अलग जाँच का विषय है।
सूत्र आगे बतातें है कि सिविल सर्जन कार्यालय के लिपिक राजीव कुमार के खिलाफ कार्यप्रबंधक जिला स्वास्थ्य समिति नालंदा एवं सिविल सर्जन नालंदा की जाँच रिपोट में लिपिक राजिव कुमार के द्वारा संक्षिका दबाने एवं अवैध रुप से संचालित करने को लेकर प्राथमिकी दर्ज कराने की संचिका दबाने का आरोप लगाया गया है।
परन्तु, इतना सब होने के बाबजूद उक्त लिपिक का प्रभार तक भी नहीं बदला गया है। इससे इससे साफ स्पष्ट होता है कि भ्रष्टाचार के इस खेल में छोटे-बड़े सभी पदाधिकारी संलिप्त है। और आम जनता के जान के साथ खिलवाड़ कर उनसे मोटा माल वसूलने का धंधा कर रहे हैं। जिसकी सुध लेने वाला कोई नहीं हैं।
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