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डायट यौन उत्पीड़नः पटना SCERT की तीन सदस्यीय जांच टीम संस्थान पहुंची

इस मामले के सामने आने के बाद शिक्षा जगत से जुड़े लोग और स्थानीय नागरिकों में चर्चा का माहौल गरमा गया है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि जब संस्थान जैसी गंभीर जगहों पर इस तरह की घटनाएं हो सकती हैं, तो छात्र-छात्राओं की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित होगी?

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। नूरसराय स्थित डाइट (DIET-जिला स्तरीय शैक्षणिक प्रशिक्षण संस्थान) इन दिनों एक गंभीर यौन उत्पीड़न के मामले को लेकर सुर्खियों में है। आरोपों की गंभीरता को देखते हुए बिहार राज्य शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण परिषद (SCERT), पटना ने तीन सदस्यीय विशेष जांच कमिटी का गठन किया है, जिसने गुरुवार को संस्थान पहुंचकर मामले की गहराई से जांच शुरू की।

जांच टीम में विभाग की संयुक्त निदेशक सुषमा कुमारी, विभाग प्रभारी डॉ. स्नेहाशीष दास एवं नालंदा के जिला शिक्षा पदाधिकारी शामिल थे। टीम का मुख्य उद्देश्य संस्थान के संगीत एवं कला विषय के व्याख्याता डॉ. राहुल कुमार पर लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों की सत्यता की जांच करना था।

जानकारी के अनुसार, डॉ. राहुल कुमार पर आरोप है कि उन्होंने संस्थान में कार्यरत पुरुष गार्डों, पुरुष मेस कर्मियों और दैनिक आधार पर कार्यरत कुछ अन्य कर्मियों के साथ अशोभनीय एवं अनुचित व्यवहार किया। इस गंभीर आरोप की पुष्टि संस्थान द्वारा पहले ही गठित सात सदस्यीय आंतरिक जांच कमिटी ने भी की थी, जिसमें डॉ. राहुल को दोषी ठहराया गया था।

हालांकि, एससीईआरटी पटना द्वारा गठित जांच टीम की रिपोर्ट से ही अंतिम निष्कर्ष सामने आएगा, जिसके बाद विभागीय या कानूनी कार्रवाई की दिशा तय होगी। जांच टीम ने पीड़ित तीन पुरुष गार्डों से गहन पूछताछ की। हालांकि, प्रशिक्षण कार्य बंद रहने और मेस कर्मियों के घर चले जाने के कारण उनसे पूछताछ नहीं हो सकी।

इस दौरान प्रभारी प्राचार्य डॉ. फरहत जहां से भी सवाल-जवाब किए गए, साथ ही संस्थान से संबंधित महत्वपूर्ण दस्तावेजों व फाइलों की जांच भी की गई। सूत्रों के अनुसार, जांच टीम ने पूरे मामले को काफी संवेदनशील माना है और रिपोर्ट तैयार करने में कोई कोताही नहीं बरती जा रही है।

अब तक इस प्रकरण की पुलिस में शिकायत नहीं की गई है, जिससे यह सवाल भी उठ रहे हैं कि क्या संस्थान इस मामले को अंदरूनी तौर पर ही सुलझाने की कोशिश कर रहा है?

विभागीय सूत्रों के अनुसार जांच रिपोर्ट के आधार पर अनुशासनात्मक कार्रवाई तय की जाएगी। यदि आरोपों की पुष्टि होती है तो संबंधित व्याख्याता के विरुद्ध निलंबन या सेवा समाप्ति तक की अनुशंसा की जा सकती है।

इस मामले के सामने आने के बाद शिक्षा जगत से जुड़े लोग और स्थानीय नागरिकों में चर्चा का माहौल गरमा गया है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि जब संस्थान जैसी गंभीर जगहों पर इस तरह की घटनाएं हो सकती हैं, तो छात्र-छात्राओं की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित होगी?

अब सबकी निगाहें SCERT जांच कमिटी की रिपोर्ट पर टिकी हैं, जो आने वाले दिनों में पूरे मामले की दिशा तय करेगी।

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