
इस्लामपुर (नालंदा दर्पण)। इस्लामपुर नगर परिषद के अंतर्गत पटना रोड पर स्थित मुहाने नदी अतिक्रमण की चपेट में आ चुकी है, जिसके कारण यह ऐतिहासिक नदी धीरे-धीरे संकीर्ण होकर नाले का रूप ले रही है। अतिक्रमणकारियों की बढ़ती गतिविधियों ने नदी के मूल स्वरूप को नष्ट करने की कगार पर ला खड़ा किया है, जिससे न केवल पर्यावरणीय संतुलन खतरे में है, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए भी कई समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं।
मुहाने नदी कभी इस क्षेत्र की जीवनरेखा हुआ करती थी। आज अतिक्रमण के कारण अपनी पहचान खो रही है। नदी के किनारों पर अवैध निर्माण और अनियंत्रित गतिविधियों ने इसके जल प्रवाह को बाधित कर दिया है।
हालत यह है कि शहर के नालों का गंदा पानी भी इस नदी में मिल रहा है, जिससे यह नदी धीरे-धीरे एक बदबूदार नाले में तब्दील होती जा रही है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि यदि समय रहते प्रशासन ने इस ओर ध्यान नहीं दिया, तो यह नदी पूरी तरह अपना अस्तित्व खो देगी।
नदी किनारे खुले में मांस-मछली की बिक्री भी एक बड़ी समस्या बन चुकी है। नवरात्रि जैसे पवित्र अवसरों के नजदीक आते ही इस गतिविधि का विरोध और तेज हो गया है। नगर परिषद ने मांस-मछली विक्रेताओं के लिए वैकल्पिक स्थल चिह्नित किए हैं, लेकिन इसका पालन नहीं हो रहा। इससे न केवल धार्मिक भावनाएँ आहत हो रही हैं, बल्कि राहगीरों और स्थानीय लोगों को आने-जाने में भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
मुहाने नदी के किनारे अतिक्रमण का असर सड़कों पर भी देखने को मिल रहा है। अवैध दुकानों और निर्माण के कारण सड़कें संकीर्ण हो गई हैं, जिससे यातायात में बाधा उत्पन्न हो रही है। इससे न केवल जाम की स्थिति बन रही है, बल्कि सड़क हादसों की आशंका भी बढ़ गई है।
कई बार छोटी-मोटी अप्रिय घटनाएँ हो चुकी हैं, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही। स्थानीय लोगों का कहना है कि हादसे होने के बाद प्रशासन हरकत में आता है, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। पीड़ित परिवारों को जीवन भर दर्द और घुटन का सामना करना पड़ता है, जिसका कोई मुआवजा नहीं मिलता।
मुहाने नदी के किनारे अतिक्रमण और अनियंत्रित गतिविधियों का असर न केवल पर्यावरण पर पड़ रहा है, बल्कि सामाजिक ताने-बाने को भी नुकसान पहुँच रहा है। बाहरी लोग जो इस रास्ते से शहर में प्रवेश करते हैं, उन्हें मांस-मछली की दुकानों के सामने से गुजरना मजबूरी बन गया है। इससे शहर की छवि पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। साथ ही, नदी के प्रदूषण और संकीर्ण होने से बरसात के दिनों में जलभराव की समस्या और गंभीर हो सकती है, जिसका खामियाजा पूरे शहर को भुगतना पड़ सकता है।
इस गंभीर समस्या को लेकर स्थानीय समाजसेवी और नेताओं ने प्रशासन और सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की माँग की है। बड़ी दुर्गा पूजा प्रबंध समिति के उपाध्यक्ष शिवदानी पांडेय, जदयू नेता आनंद कुमार, और समाजसेवी राजेश खन्ना ने संयुक्त रूप से इस मुद्दे पर चिंता जताई है।
उन्होंने प्रशासन से माँग की है कि अतिक्रमण हटाने और नदी को उसके मूल स्वरूप में लाने के लिए ठोस कदम उठाए जाएँ। साथ ही, मांस-मछली विक्रेताओं को चिह्नित स्थानों पर स्थानांतरित करने और सड़कों को अतिक्रमणमुक्त करने की माँग भी की गई है।
बहरहाल मुहाने नदी इस्लामपुर की बहुमूल्य धरोहर है और इसका संरक्षण न केवल पर्यावरण के लिए, बल्कि शहर की सांस्कृतिक और सामाजिक पहचान के लिए भी जरूरी है।
प्रशासन को चाहिए कि वह इस समस्या को गंभीरता से ले और त्वरित कार्रवाई करे। यदि समय रहते कदम नहीं उठाए गए तो यह नदी पूरी तरह नाले में तब्दील हो जाएगी और शहर को इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।









