पुलिस ADG कुंदन कृष्णन के बिगड़े बोल से किसानों में उभरा आक्रोश

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहार राज्य में लगातार बढ़ती हत्या की घटनाओं पर सफाई देने आए बिहार पुलिस के अपर पुलिस महानिदेशक (ADG) कुंदन कृष्णन खुद विवादों में घिर गए हैं। पटना में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में एडीजी कुंदन कृष्णन ने कहा है कि मॉनसून से पहले खेतों में काम नहीं होता, युवाओं के पास रोजगार नहीं रहता, इसलिए अप्रैल से जून के बीच हत्या की घटनाएं बढ़ जाती हैं।
उनके इस बयान ने राजनीतिक से लेकर सामाजिक हलकों तक में गुस्से की लहर दौड़ा दी है। एडीजी का यह कथन सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिसमें वे अप्रत्यक्ष रूप से किसानों को अपराध के बढ़ते आंकड़ों के लिए जिम्मेदार ठहराते नजर आ रहे हैं।
एडीजी के इस बयान से सबसे ज्यादा आक्रोशित राज्य के किसान संगठन नजर आ रहे हैं। संयुक्त किसान मोर्चा बिहार ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि कुंदन कृष्णन ने बिहार के मेहनतकश किसानों का अपमान किया है।
मोर्चा के प्रवक्ता ने बयान जारी कर कहा है कि किसान खेतों में अनाज उपजाते हैं, अपराध नहीं करते। अपराध वे करते हैं जिन्हें संरक्षण पुलिस से मिलता है।
संयुक्त किसान मोर्चा ने चेतावनी दी है कि यदि एडीजी कुंदन कृष्णन ने सार्वजनिक रूप से माफी नहीं मांगी, तो राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन, पुतला दहन और 20 जुलाई को दिल्ली में आयोजित जनरल बॉडी मीटिंग में निंदा प्रस्ताव पारित किया जाएगा।
मोर्चा ने ये भी आरोप लगाया कि आज पुलिस थाने शरीफों के नहीं, बल्कि चोर-उचक्कों, दलालों और अपराधियों के अड्डे बन चुके हैं। किसान थाने जाने से डरता है, लेकिन पुलिस अपराधियों की सरपरस्ती करती है।
कुंदन कृष्णन के बयान पर विपक्ष ने जहां सरकार पर सवाल उठाए हैं, वहीं सत्ताधारी दल के कुछ नेताओं ने भी इसे गैर-जिम्मेदाराना और दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है। राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा गर्म है कि क्या यह बयान आगामी विधानसभा चुनाव से पहले किसानों के वोट बैंक को प्रभावित करेगा?
बहरहाल इस पूरे घटनाक्रम ने राज्य में कानून-व्यवस्था और किसान सम्मान दोनों पर गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं। प्रेस कॉन्फ्रेंस की क्लिप सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है, जिसमें एडीजी कहते नजर आ रहे हैं कि अप्रैल, मई और जून में सबसे ज्यादा हत्याएं होती हैं, क्योंकि तब खेतों में काम नहीं होता।
इस बयान को लेकर यूजर्स में भी नाराजगी दिख रही है। सोशल मीडिया पर कई लोगों ने एडीजी को पद से हटाने की मांग की है। अब सवाल ये है कि क्या बिहार सरकार इस बयान पर कोई औपचारिक सफाई देगी? क्या एडीजी कुंदन कृष्णन माफी मांगेंगे या इस विवाद को नजरअंदाज करेंगे? और सबसे बड़ा सवाल कि क्या वाकई अपराध का कारण बेरोजगारी है या पुलिस की कार्यशैली में कोई खामी है?









