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फतुहा-इस्लामपुर रेलखंड का होगा दोहरीकरण, गुमटी को लेकर भड़के ग्रामीण

हिलसा (नालंदा दर्पण)। फतुहा-इस्लामपुर रेलखंड का शुभारंभ लगभग 20 वर्ष पूर्व हुआ था। अब इसकी दोहरीकरण की योजना के तहत चर्चा में है। इस महत्वाकांक्षी परियोजना के तहत रेलवे विभाग ने कई रेलवे क्रॉसिंग (गुमटी) को बंद करने का निर्णय लिया है। जिसका स्थानीय स्तर पर तीव्र विरोध हो रहा है। तकनीकी कारणों से इन गुमटियों को बंद करने की प्रक्रिया शुरू की गई है। लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि इससे उनकी रोजमर्रा की जिंदगी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

खबर है कि दानापुर सीनियर डीइएन शैलेंद्र कुमार के नेतृत्व में रेलवे विभाग और स्थानीय प्रशासन की टीम ने कृष्णापुर गांव के पास स्थित रेलवे गुमटी नंबर-19 को बंद करने का कार्य शुरू किया। इस दौरान कृष्णापुर के ग्रामीणों ने इसका पुरजोर विरोध किया। हिलसा के प्रखंड विकास पदाधिकारी अमर कुमार, हिलसा नगर परिषद के कार्यपालक अधिकारी रविशंकर प्रसाद और रेलवे अधिकारियों ने ग्रामीणों को समझाने की कोशिश की। जिसके बाद गुमटी नंबर 19 को बंद कर दिया गया।

इसके बाद रेलवे विभाग की टीम कामता हॉल्ट के पास स्थित रेलवे गुमटी नंबर-17 को बंद करने पहुंची। यहां कामता गांव के ग्रामीणों  ने तीखा विरोध दर्ज किया। ग्रामीणों का कहना था कि यह रास्ता रेलवे लाइन के निर्माण से पहले गांव का मुख्य मार्ग था। रेलवे ने लोगों की सुविधा और सुरक्षा के लिए इस स्थान पर गुमटी बनाई थी, जो अब तक बिना किसी परेशानी के काम कर रही थी।

रेलवे विभाग ने कामता गांव में गुमटी बंद करने से पहले बनवारीपुर मार्ग के समीप रेलवे लाइन के किनारे एक वैकल्पिक सड़क का निर्माण कराया था। हालांकि ग्रामीणों का कहना है कि यह सड़क बेहद संकीर्ण है और कामता गांव में स्थित पैक्स गोदाम तक बड़ी गाड़ियों की आवाजाही के लिए उपयुक्त नहीं है। गुमटी बंद होने से ग्रामीणों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ेगा।

इसी बीच रेलवे विभाग ने बनवारीपुर गांव के पास रेलवे गुमटी नंबर-18 को बंद करने का कार्य शुरू किया। इसकी जानकारी मिलते ही सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण एकजुट होकर विरोध में उतर आए। जेसीबी मशीन से गड्ढे खोदने की प्रक्रिया शुरू होते ही ग्रामीण गड्ढों में खड़े हो गए और मुख्य सड़क को जाम करने की धमकी दी।

सूचना मिलते ही हिलसा थाना के अपर थाना अध्यक्ष राकेश कुमार पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे और आक्रोशित ग्रामीणों को शांत करने की कोशिश की। इसके बाद एसडीओ प्रवीण कुमार ने भी घटनास्थल का दौरा किया और कामता एवं बनवारीपुर गांव में वैकल्पिक रास्तों का निरीक्षण किया।

ग्रामीणों ने एसडीओ के वाहन का घेराव करते हुए गुमटी को खुलवाने की मांग की। उनका कहना था कि गुमटी बंद होने से उन्हें मुख्य सड़क तक पहुंचने के लिए लंबा चक्कर लगाना पड़ेगा। यह उनकी दैनिक गतिविधियों को प्रभावित करेगा।

एसडीओ ने ग्रामीणों को आश्वासन दिया कि वह इस मुद्दे को जिलाधिकारी के समक्ष उठाएंगे और दो दिनों के भीतर इसका समाधान निकाला जाएगा। इस आश्वासन के बाद ग्रामीणों का गुस्सा कुछ हद तक शांत हुआ। लेकिन वे अपनी मांगों को लेकर अड़े रहे।

हालांकि फतुहा-इस्लामपुर रेलखंड का दोहरीकरण रेलवे नेटवर्क को और सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे रेल यातायात की गति और क्षमता में वृद्धि होगी। लेकिन स्थानीय स्तर पर गुमटियों को बंद करने का निर्णय ग्रामीणों के लिए असुविधा का कारण बन रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि रेलवे विभाग को वैकल्पिक व्यवस्था को और मजबूत करना चाहिए। ताकि उनकी दैनिक जरूरतें प्रभावित न हों।

बीते लोकसभा चुनाव के दौरान भी रेलवे गुमटियों को बंद करने की कोशिश की गई थी। लेकिन ग्रामीणों के विरोध के कारण इसे टाल दिया गया था। अब एक बार फिर यह मुद्दा गरमाया है और ग्रामीण अपनी मांगों को लेकर मुखर हैं। इस घटना ने स्थानीय प्रशासन और रेलवे विभाग के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है।

अब आगे यह देखना दिलचस्प होगा कि रेलवे विभाग और प्रशासन इस समस्या का समाधान कैसे निकालते हैं और क्या ग्रामीणों की चिंताओं का निवारण हो पाता है। फिलहाल यह मुद्दा क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है।

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