हिलसा में बाढ़ की तबाही, लोकाइन नदी का कहर जारी

हिलसा (नालंदा दर्पण)। लोकाइन नदी का उफान हिलसा क्षेत्र के लिए आफत बन गया है। लोकाइन नदी में लगातार बढ़ता जलस्तर और बार-बार टूटते तटबंध ने स्थानीय किसानों और ग्रामीणों की नींद उड़ा दी है। करायपरसुराय प्रखंड के गुलरिया बिगहा के पास महज दस दिनों में दूसरी बार तटबंध टूटने से खेतों में बाढ़ का पानी तेजी से फैल रहा है, जिससे फसलों को भारी नुकसान और तबाही की आशंका बढ़ गई है।
पिछले कुछ दिनों से लोकाइन नदी के जलस्तर में लगातार वृद्धि देखी जा रही है। बीती शाम जलस्तर में कमी की उम्मीद थी, लेकिन अगली सुबह पानी दो फीट और बढ़ गया। नदी खतरे के निशान को पार कर चुकी है, और रात में जलस्तर के और बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।
एकगरसराय के राढ़ील गांव और छिलका के समीप पानी का बहाव तेज हो गया है। हालांकि प्रशासन ने उदेरा स्थान बराज से 17 हजार क्यूसेक पानी नियंत्रित रूप से छोड़ा है। फिर भी तटबंधों पर रिसाव की खबरें चिंता बढ़ा रही हैं।
हालांकि प्रशासन ने टूटे तटबंधों की मरम्मत शुरू कर दी है, लेकिन कार्य की गति और गुणवत्ता पर सवाल उठ रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि मरम्मत में बालू से भरे बैग का इस्तेमाल किया जा रहा है, जबकि मिट्टी के बैग अधिक मजबूती प्रदान करते। इस लापरवाही के कारण तटबंध बार-बार टूट रहे हैं, जिससे बाढ़ का खतरा और गहरा गया है।
वहीं करायपरसुराय प्रखंड के गुलरिया बिगहा में 16 जुलाई को उदेरा स्थान बराज से 1 लाख 15 हजार क्यूसेक पानी छोड़े जाने के बाद तटबंध टूट गया था। उस समय पानी के दबाव से सांध पंचायत के पास करीब 55 फीट का कटाव हुआ था।
ग्रामीणों ने प्रशासन और जल संसाधन विभाग से मरम्मत की गुहार लगाई थी, लेकिन शुरुआती दरार को नजरअंदाज करने का नतीजा यह हुआ कि तटबंध पूरी तरह ध्वस्त हो गया।
वहीं बीती रात एक बार फिर गुलरिया बिगहा के पास तटबंध में 12 फीट का कटाव हो गया। बाढ़ का पानी अब खेतों और गांवों की ओर तेजी से बढ़ रहा है। गुलरिया बिगहा के ग्रामीणों में प्रशासन के प्रति भारी नाराजगी है।
उनका कहना है कि मरम्मत कार्य में देरी और घटिया सामग्री का उपयोग बार-बार तटबंध टूटने का कारण बन रहा है। हमने बालू के बैग के इस्तेमाल का विरोध किया था, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। अब फिर वही हाल है। अगर जल्द मरम्मत नहीं हुई तो पूरा गांव डूब जाएगा।
हालांकि प्रशासन ने दावा किया है कि मरम्मत कार्य तेजी से चल रहा है और स्थिति पर नजर रखी जा रही है। लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि अगर तत्काल ठोस कदम नहीं उठाए गए तो बाढ़ से होने वाली तबाही को रोकना मुश्किल होगा।









