बिहार शरीफ (आशीष कुमार)। एक ओर जहां भीषण गर्मी से लोगों का जन जीवन अस्त व्यस्त हो गया है । वहीं रहुई प्रखंड के करीब पन्द्रह पंचायत के ग्रामीण अभी से बाढ़ की बिभिषका को याद कर सहम जा रहे हैं।
बाढ़ आने पर इस प्रखंड के दर्जनों गांव पूरी तरह जलमग्न हो जाता है। हालांकि बाढ़ के पूर्व जिला प्रशासन द्वारा टूटे तटबंधों और जमींदारी बाघों को दुरुस्त किया जा रहा है।
मगर ग्रामीणों की मांग है कि हर साल बाढ़ आने पर वैकल्पिक व्यवस्था की जाती है। मगर सरकार द्वारा इसका स्थायी निदान पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है।
रहुई प्रखंड के विजय सिंह मुखिया धर्मेंद्र कुमार,ललन प्रसाद व अन्य ग्रामीणों ने बताया कि इस प्रखंड के चिल्कीपुर मथुरापुर दुलचंदपुर मईफरीदा हवनपुरा इतासँग समेत करीब पन्द्रह पंचायत के कई ऐसे इलाके हैं जहां पर तटबंध टूटने पर जान माल के साथ साथ किसानों के कई हेक्टयर में लगे फसल बर्बाद हो जाता है।
बाढ़ से निपटने को लेकर मुकम्मल व्यवस्था के नाम पर बेफिजूल खर्च किया जाता है लेकिन इसका स्थाई निदान अभी तक नहीं निकाला गया। करोड़ों रुपया जर्जर तटबंध की मरम्मति के नाम पर बर्बाद किया जा रहा है। किसानों को अभी से ही अपनी उगाई गई मेहनत की फसल पर बाढ़ का काला साया मंडराता हुआ दिख रहा है।
मई फरीदा पंचायत के स्थानीय निवासी विजय सिंह ने कहा कि अभी किसान पिछले साल की भयानक बाढ़ की त्रासदी को भूले भी नहीं है क्योंकि इसकी भरपाई आज तक सरकार नहीं की गई है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों के द्वारा पंचाने नदी की स्थाई निराकरण को लेकर प्रारूप भी अधिकारियों के तैयार किया गया लेकिन यह प्रारूप फाइलों में ही सिमट कर रह गया जिसके कारण किसानों को एक बार फिर से त्रासदी की दंश की आशंका अभी सही सताने लगी है।