राजगीर (नालंदा दर्पण)। नालंदा विश्वविद्यालय परिसर में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास की ओर से आयोजित नालंदा ज्ञान कुंभ का समापन समारोह आज धूमधाम से हुआ। इस मौके पर झारखंड राज्य के राज्यपाल संतोष गंगवार ने समारोह की अध्यक्षता की और नालंदा की भूमि को ‘ज्ञान की भूमि’ के रूप में वर्णित करते हुए भारतीय ज्ञान परंपरा के महत्व को रेखांकित किया।
समारोह का संचालन नालंदा ज्ञान कुंभ के संयोजक राजेश्वर कुमार ने किया। जबकि मुख्य अतिथि के रूप में राम मंदिर न्यास से जुड़े गोविंद गिरी महाराज उपस्थित थे। नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अभय कुमार सिंह ने सभी अतिथियों का स्वागत किया।
राज्यपाल संतोष गंगवार ने अपने संबोधन में कहा, ‘नालंदा की भूमि ज्ञान की भूमि है और शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास का यह प्रयास नालंदा ज्ञान कुंभ के माध्यम से भारतीय ज्ञान परंपरा को स्थापित करना निसंदेह एक सराहनीय कार्य है’।
उन्होंने आगे कहा कि नालंदा का इतिहास भारत की स्वर्णिम काल को याद दिलाता है और यह ज्ञान कुंभ भारतीय संस्कृति को पुनर्जीवित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। जिससे आने वाले समय में भारतीय संस्कृति को वैश्विक स्तर पर मान्यता मिलेगी।
ज्ञात हो कि ज्ञान कुंभ भारत के चार प्रमुख स्थानों पर आयोजित किया जा रहा है। जिसका उद्देश्य भारतीय ज्ञान परंपरा को समृद्ध करना और देश के विकास में योगदान देना है। इस दौरान चरित्र निर्माण और व्यक्तित्व विकास पर भी जोर दिया गया, जो भारतीय शिक्षा का अभिन्न हिस्सा है।
मुख्य अतिथि गोविंद गिरी महाराज ने कहा, ‘इस ज्ञान कुंभ के माध्यम से हमें देश की संस्कृति को पुनर्जीवित करना है, क्योंकि धर्म और संस्कृति की रक्षा केवल ज्ञान से संभव है’।
उन्होंने नालंदा को अपनी आध्यात्मिक यात्रा का भाग्यशाली स्थल मानते हुए भारतीय संस्कृति के उत्थान में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना की।
न्यास के राष्ट्रीय संयोजक ए. विनोद ने भी अपने संबोधन में शिक्षा में सुधार और संस्कृति की रक्षा के प्रति न्यास की प्रतिबद्धता को उजागर किया और कहा कि भारतीय भाषाओं को प्रोत्साहित करने और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के लागू करने के लिए निरंतर कार्य हो रहा है।
समारोह का समापन नालंदा विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. रमेश प्रताप सिंह परिहार द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। इस कार्यक्रम में जय प्रकाश विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. परमेंद्र कुमार वाजपेयी, पूर्व कुलपति प्रो. केसी सिन्हा, दर्शन शास्त्र विद्वान प्रो. आरसी सिन्हा, नालंदा खुला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. संजय कुमार, और कई अन्य शिक्षाविद, शोधार्थी, प्राचार्य, शिक्षक और छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।
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