“यह प्रकरण केवल परीक्षा प्रक्रिया तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सरकारी भर्ती परीक्षाओं में पारदर्शिता और छात्रों के अधिकारों का भी महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है…
बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की 70वीं प्रारंभिक परीक्षा का विवाद अब नया मोड़ ले चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दायर याचिका पर सुनवाई करने से इनकार करते हुए याचिकाकर्ताओं को पटना हाईकोर्ट जाने की सलाह दी है।
दरअसल इस याचिका में परीक्षा को रद्द करने और प्रदर्शनकारियों पर पुलिस के लाठीचार्ज के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई थी। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि परीक्षा में बड़े पैमाने पर धांधली हुई है। इसके अलावा प्रदर्शनकारियों पर बिहार पुलिस द्वारा की गई बर्बरता की जांच की मांग की गई थी।
याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया था कि इस मामले की जांच सीबीआई से कराई जाए और इसकी निगरानी सुप्रीम कोर्ट के एक रिटायर्ड जज द्वारा की जाए।
मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता को संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत पटना हाईकोर्ट में अपील करनी चाहिए। अदालत ने याचिकाकर्ता के वकील के उस तर्क को भी खारिज कर दिया, जिसमें प्रदर्शनकारियों पर हुए लाठीचार्ज को राष्ट्रीय मुद्दा बताया गया था।
BPSC ने 20 सितंबर 2024 को संयुक्त सिविल सेवा परीक्षा के लिए 1964 पदों पर भर्ती के लिए नोटिफिकेशन जारी किया था। यह आयोग के इतिहास की सबसे बड़ी भर्ती थी। लेकिन इसके बाद से ही विवादों का सिलसिला शुरू हो गया। परीक्षा प्रक्रिया में अनियमितताओं के आरोप लगे।
पदों की संख्या पांच बार बदली गई और परीक्षा की तारीख भी तीन बार स्थगित की गई। इसके चलते परीक्षार्थियों में आक्रोश फैल गया। दिसंबर 2024 में हुए प्रदर्शन के दौरान कई प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया, जिससे यह मुद्दा और तूल पकड़ गया।
जनसुराज पार्टी के नेता प्रशांत किशोर ने कहा कि उनकी पार्टी इस मामले को पटना हाईकोर्ट में उठाएगी। उनका कहना था कि सीधे सुप्रीम कोर्ट जाने पर याचिका खारिज हो सकती है। इसीलिए पार्टी के वकीलों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर करने का निर्णय लिया। जहां तक परीक्षा रद्द करने और जांच कराने की मांग का सवाल है तो हाईकोर्ट के फैसले पर ही परीक्षार्थियों की उम्मीदें टिकी हैं।
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