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BPBC टीचर छोड़िए जनाब, यहां तो DPO खुद फर्जी प्रमाण पत्र पर बहाल है !

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Leave aside BPBC teachers, here the DPO himself is reinstated on a fake certificate!

नालंदा दर्पण डेस्क। BPBC- सीमांचल क्षेत्र अंतर्गत किशनगंज जिला से एक सनसनीखेज खबर सामने आया है। यहां बेंच डेक्स क्रय, सिविल वर्क तथा हाउस किपिंग कार्य में 50 करोड़ से उपर का घोटाला हुआ है। उपर से किशनगंज डीपीओ के भी फर्जी प्रमाण पत्र पर बहाल होने की सूचना प्रकाशित हुई है।

सीमांचल उदय के अनुसार किशनगंज से जुड़ा मामला पटना सचिवालय तक पहुंच चुका है और कभी भी बड़ी कार्रवाई हो सकती है। कहा जाता है कि विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों ने बड़ी बेरहमी से तत्कालीन अपर मुख्य सचिव केके पाठक का भय दिखाकर करोड़ों रुपये की उगाही कर बंदर बांट किया है।

इस लूट का किंगपिन डीपीओ (एसएसए लेखा योजना) सूरज कुमार झा को माना जा रहा है। डीपीओ सूरज कुमार झा की किशनगंज में पहली पदस्थापना है। शिक्षा विभाग ने 4 फरवरी 2022 को श्री झा को नियुक्ति पत्र निर्गत किया है। बीते दो वर्षों में श्री झा ने भ्रष्टाचार के सारे रिकॉर्ड तोड़ डाले। इनका रसूख किशनगंज जिला में ऐसा है कि जांच पदाधिकारी एवं वरीय पदाधिकारी से भी अपने इच्छानुसार पत्र निर्गत करवा लेते है।

डीपीओ सूरज कुमार झा की नियुक्ति पर कोटि को लेकर उठ रहे सवालः बिहार सरकार शिक्षा विभाग की अधिसूचना संख्या-171 दिनांक 4 फरवरी 2022 निदेशक प्रशासन सह अपर सचिव सुशील कुमार के हस्ताक्षर से जारी 69 बिहार शिक्षा सेवा के अधिकारी को औपबंधिक रूप से परिवीक्षा पर नियुक्त कर पदस्थापित किया गया।

नियुक्ति पत्र के क्रमांक 55 पर सूरज कुमार झा पूर्वी चंपारण मोतिहारी निवासी को आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWC) में नियुक्त कर कार्यक्रम पदाधिकारी किशनगंज के रूप में पदस्थापित किया गया। श्री झा के पिता का नाम विशेश्वर झा है तथा स्थाई पता सुखी सेमरा ग्राम पलनवा मोतीहारी है। जबकि वर्तमान पता इंदिरा नगर भटकी रोड, रांची झारखंड है।

जबकि सरकार ने नियुक्ति पत्र की शर्त की कंडिका 3 के (vi) में स्पष्ट अंकित किया है कि यह नियुक्ति उपरोक्त नवनियुक्त पदाधिकारीयों द्वारा समर्पित शपथ पत्र के आधार पर शैक्षणिक एवं अन्य संगत प्रमाण पत्र पत्रों को सही मानकर इस शर्त पर की जा रही है कि भविष्य में शैक्षणिक प्रमाण पत्र एवं अभिलेखों के संबंध में गलत सूचना पाए जाने की स्थिति में इनकी सेवा कभी भी बिना किसी पूर्व सूचना के समाप्त कर दी जाएगी एवं आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जायेगी।

नियुक्ति पत्र की शर्त की कंडिका 3 के (xii) मे अंकित है कि नियुक्ति के उपरांत पदस्थापित पद का प्रभार ग्रहण करने के समय संबंधित स्थान एवं कार्यालय में विहित प्रपत्र में चल अचल संपत्ति का ब्यौरा निश्चित रूप से समर्पित किया जायेगा।

डीपीओ की अवैध नियुक्ति का यह है प्रमाणः डीपीओ सूरज कुमार झा की नियुक्ति आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग कोटि के तहत की गई है। यानी सरकार के द्वारा नियम के आलोक में 10 प्रतिशत आरक्षण का लाभ प्राप्त किया है।

प्रावधान के अनुसार EWS कोटि का लाभ लेने वाले सामान्य कोटि के उम्मीदवार को 5 एकड़ से कम जमीन, परिवार का कुल वार्षिक आय 8 लाख रुपए से कम एक हजार वर्ग फीट से अधिक का मकान नहीं होना चाहिए।

डीपीओ सूरज कुमार झा के पिता सरकारी सेवक थे। जिसकी वार्षिक आय उस समय 8 लाख रु से अधिक थी। श्री झा ने अपनी संपत्ति का ब्योरा जो विभाग को समर्पित किया है, उसमें अपने नाम से 8 बीघा जमीन पूर्वी चंपारण मोतिहारी में दर्शाया है, जिसकी कीमत 80 लाख अंकित है। मोतिहारी शहर में 5 डिसमिल तथा रांची शहर में साढ़े चार डिसमिल जमीन का उल्लेख भी डीपीओ ने किया है।

श्री झा पर बैंक सहित किसी भी संस्था का कर्ज नहीं है। जो कम आश्चर्यजनक नही है। स्पष्ट है कि EWC की शर्त का उल्लंघन कर नियुक्ति की गई है, क्योंकि श्री झा के पास 8 बीघा जमीन है। जबकि EWC कोटि के उम्मीदवार को 5 एकड़ से कम जमीन होना चाहिए।

इस बाबत डीपीओ सूरज कुमार झा का कहना है कि गलती से संपत्ति के ब्योरा में 8 बीघा लिख दिया गया है, जबकि उन्हें 5 बीघा जमीन है। जिसका सुधार किया जा रहा है। परिवार के 8 लाख की आमदनी पर बताया कि उनके पिता सरकारी सेवक थे। वे सेवानिवृत हो गये है। मेरी मोतिहारी और राँची में जमीन है।

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