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ACS डॉ. सिद्धार्थ की केके पाठक से तुलना करती वायरल तस्वीर के मायने

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Meaning of the viral picture comparing ACS Dr. Siddharth with KK Pathak

नालंदा दर्पण डेस्क। पिछले दो दिनों से बिहार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव (ACS) डॉ. एस. सिद्धार्थ की यह तस्वीर खूब वायरल हो रही है। कुछ लोग इसे पूर्व ACS केके पाठक से भी एक कदम आगे बता रहे हैं और तारीफों के पूल बांध रहे हैं। लेकिन मीडिया खासकर सोशल मीडिया पर सुर्खियां पाने की ललक व्यवस्था में कितना सुधार लाएगा, इसका भी विश्लेषण होना जरुरी है

खबर है कि स्कूल में छुट्टी हो गयी थी। बच्चे कंधे पर किताब-कॉपियों का बैग लटकाए स्कूल से अपने वापस घर लौट रहे थे। उसी दौरान अचानक पटना सचिवालय के विकास भवन के सामने उनके सामने एक कार रुकी। बच्चे कुछ समझ पाते कि कार का दरवाजा खुला और शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ को सामने देख बच्चे दंग रह गए।

कहते हैं कि अपर मुख्य सचिव डॉ. सिद्धार्थ शिक्षा विभाग जा रहे थे। तभी उनकी नजर सामने से आते बच्चों पर पड़ी। स्कूलों में 12.10 बजे छुट्टी हुई थी। उन्होंने वहां रुककर बच्चों से उनके नाम पूछे । उनमें एक ने अपना नाम अक्षय बताया, तो दूसरे ने सुभाष। दोनों ही बच्चे प्रारंभिक विद्यालय के थे। दोनों ही स्कूल ड्रेस में थे। संभवत: उन्हें स्कूल ड्रेस में ही देख कर डॉ. सिद्धार्थ ने अपनी गाड़ी रुकवायी थी । ताकि उनसे कक्षा में करायी जाने वाली पढ़ाई-लिखाई की जानकारी ले सकें ।

अब तक दोनों बच्चे भी सहज हो चुके थे। राह चलते लोग और फुटपाथ पर कारोबार करने वाले दुकानदारों के साथ उनके ग्राहकों की नजरें भी उधर ही टिक गयीं। डॉ. सिद्धार्थ ने बच्चों से स्कूल में होने वाली पढ़ाई की जानकारी ली।
बच्चों ने उन्हें बताया कि स्कूल में बढ़िया से पढ़ाया जाता है। बच्चों ने स्कूल की पढ़ाई को बेहतर बताया। डॉ. सिद्धार्थ ने एक बच्चे से उनके होमवर्क की कॉपी मांगी। वे कॉपी के पन्ने उलट-पलट कर देखने लगे। कॉपी अंग्रेजी की थी।

डॉ. सिद्धार्थ ने यह भी देखा कि शिक्षक द्वारा होमवर्क कैसे चेक किया गया है। अचानक उनके मुंह से निकला कि इसमें तो डेट है ही नहीं । बच्चों से कई और जानकारी लेने के बाद उन्हें पढ़ाई के प्रति प्रोत्साहित करते हुए डॉ. सिद्धार्थ अपनी गाड़ी में बैठ गये । अब, बच्चे गाड़ी को जाते हुए देख रहे थे।

बता दें कि शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव की कुर्सी संभालने के बाद डॉ. एस. सिद्धार्थ ने विभाग के अधिकारियों को भी निर्देश दिया था कि जब भी स्कूल के निरीक्षण करने जाएं तो स्कूल आते-जाते बच्चों से बात करें। उनके अभिभावकों से बात करें। इससे बच्चों और अभिभावकों की समस्याएं शिक्षा विभाग के संज्ञान में आयेंगी । इससे समस्याओं का निराकरण होगा। हालांकि उन्हें स्कूलों में जाकर समस्या की जड़ खोदकर देखनी चाहिए कि असल कौन से दीमक यह हाल बना रखा है।

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