“रहुई प्रखंड मनरेगा भवन की जर्जर स्थिति प्रशासनिक उदासीनता का जीता-जागता उदाहरण है। क्या प्रशासन किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है? अगर समय रहते उचित कदम नहीं उठाए गए तो इस भ्रष्टाचार का खामियाजा जनसमुदाय को भुगतना पड़ सकता है…”
रहुई (नालंदा दर्पण)। रहुई प्रखंड कार्यालय परिसर अवस्थित ग्रामीण विकास विभाग का मनरेगा भवन आज अपनी दुर्दशा की कहानी खुद बयां कर रहा है। करीब 10 साल पहले बने इस भवन की स्थिति इतनी जर्जर हो चुकी है कि यह किसी भी समय ढह सकता है। इस भवन में प्रधानमंत्री गारंटी रोजगार योजना (मनरेगा) का कार्यालय संचालित है। यहां पदाधिकारी और पंचायत प्रतिनिधि अपनी जान जोखिम में डालकर कार्य करने को मजबूर हैं।
इस मनरेगा भवन की दीवारों में बड़ी दरारें आ चुकी हैं और इसकी छत कई जगहों से कमजोर हो गई है। खासकर बारिश के मौसम में भवन की स्थिति और भी खतरनाक हो जाती है। पिछले साल की बाढ़ के दौरान भवन में करीब एक सप्ताह तक पानी भरा रहा। इससे इसकी संरचना और अधिक कमजोर हो गई।
सांख्यिकी पदाधिकारी मोहम्मद अब्दुल हसन के अनुसार इस समस्या के समाधान के लिए मुख्यालय को दो-तीन बार लिखित आवेदन भेजा गया है। लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। अधिकारियों और पंचायत प्रतिनिधियों ने कई बार भवन की मरम्मत या नए भवन के निर्माण की मांग की है, लेकिन उनकी आवाज अनसुनी रह गई।
भवन की जर्जर हालत को लेकर स्थानीय जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों में भारी असंतोष है। एक पंचायत समिति सदस्य ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि यह भवन हमारे विभाग की लापरवाही और भ्रष्टाचार का प्रतीक बन गया है। अगर जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो यह किसी बड़े हादसे का कारण बन सकता है।
यहां कार्यरत कर्मचारियों का कहना है कि वे हर दिन डर के साए में काम करते हैं। एक कर्मचारी ने बताया कि जब भी तेज हवा चलती है या बारिश होती है तो लगता है कि यह भवन गिर जाएगा और वे काल के गाल में समा जाएंगे।
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