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नालंदा पुरातत्व संग्रहालय बंद, सैलानी नाराज, पर्यटन कारोबार पर असर

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Nalanda Archaeological Museum closed, tourists angry, impact on tourism business
Nalanda Archaeological Museum closed, tourists angry, impact on tourism business

राजगीर (नालंदा दर्पण)। विश्व धरोहर प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के समीप स्थित भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) का पुरातत्व संग्रहालय 100 से अधिक साल पुराना है। वह सैलानियों के लिए करीब साढ़े आठ महीने से बंद है।

मार्च 2024 से संग्रहालय आधुनिकीकरण और मरम्मत कार्य के नाम पर बंद कर दिया गया था, लेकिन अब तक इसका कार्य पूरा नहीं हो सका है, जिससे देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों में गहरी नाराजगी है।

संग्रहालय बंद रहने से पर्यटन पर असरः संग्रहालय के बंद होने का सीधा असर नालंदा आने वाले सैलानियों पर पड़ रहा है। यहां आने वाले पर्यटक नालंदा विश्वविद्यालय के भग्नावशेष को देखकर विश्व धरोहर की झलक तो पा रहे हैं, लेकिन संग्रहालय बंद होने के कारण उसकी ऐतिहासिक धरोहर और पुरावशेषों को देखने से वंचित रह जाते हैं।

संग्रहालय में नालंदा के समृद्ध इतिहास, पुरातत्व और सांस्कृतिक धरोहर की झलक मिलती है, जिसे देखने का सपना अब तक अधूरा है। दूर-दूर से आने वाले सैलानियों को निराश होकर लौटना पड़ रहा है, जिससे नालंदा की प्रतिष्ठा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।

मरम्मत और आधुनिकीकरण कार्य में देरीः संग्रहालय को आठ मार्च 2024 को मरम्मत और आधुनिकीकरण के लिए बंद किया गया था और इसे कुछ ही महीनों में खोलने की योजना थी। आर्कियोलॉजी महानिदेशक यदुवीर सिंह रावत द्वारा समय पर मरम्मत कार्य पूरा करने का निर्देश दिया गया था।

इसके बावजूद धीमी गति और लापरवाही के कारण यह कार्य अब तक अधूरा है। संग्रहालय के मुख्य द्वार पर आज भी ताले लगे हैं, और गेट पर बंद की सूचना प्रदर्शित है।

सैलानियों और स्थानीय कारोबारियों की नाराजगीः पर्यटक, जो काफी दूर से खर्च करके नालंदा आते हैं, संग्रहालय बंद होने से बेहद नाराज हैं।

एक पर्यटक ने कहा, “हमने नालंदा का विश्व धरोहर स्थल देखा, लेकिन संग्रहालय देखने का सपना अधूरा रह गया। इतने लंबे सफर और खर्च के बाद यह निराशाजनक है।”

संग्रहालय के बंद होने का प्रभाव स्थानीय व्यापारियों पर भी पड़ रहा है। संग्रहालय के आसपास स्थित दुकानें और व्यवसाय, जो मुख्य रूप से पर्यटकों पर निर्भर हैं, अब सैलानियों की कमी से प्रभावित हो रहे हैं।

राजस्व और प्रतिष्ठा को नुकसानः संग्रहालय के लंबे समय से बंद रहने से एएसआई को राजस्व की हानि हो रही है। इसके अलावा यह नालंदा जैसे ऐतिहासिक स्थल की प्रतिष्ठा को भी नुकसान पहुंचा रहा है। सैलानियों का विश्वास टूट रहा है और संग्रहालय के बंद रहने से नालंदा की सांस्कृतिक विरासत को समझने के अवसर कम हो रहे हैं।

मौलिक संरचना पर खतरा और भविष्य की चिंताः आधुनिकीकरण कार्य के दौरान संग्रहालय की मौलिक संरचना को भी नुकसान पहुंचने की चिंताएं बढ़ रही हैं। इससे नालंदा की ऐतिहासिक विरासत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

संग्रहालय का जीर्णोद्धार कार्य कब तक पूरा होगा, इसका कोई स्पष्ट समय नहीं बताया जा रहा है। इससे स्थानीय लोग और पर्यटक दोनों ही परेशान हैं।

पुनरुद्धार में तेजी की आवश्यकता: इस महत्वपूर्ण सांस्कृतिक केंद्र के पुनरुद्धार में तेजी लाने की जरूरत है। इससे न केवल सैलानियों को बेहतर अनुभव मिलेगा, बल्कि स्थानीय पर्यटन और अर्थव्यवस्था को भी समर्थन मिलेगा।

संग्रहालय के खुलने से नालंदा का समृद्ध इतिहास और सांस्कृतिक धरोहर सैलानियों के सामने फिर से जीवित हो सकेगी। इससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय व्यापार को पुनर्जीवित किया जा सकेगा।

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