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नालंदा विश्वविद्यालय: ज्ञान कूटनीति के जरिए वैश्विक नेतृत्व की ओर अग्रसर

राजगीर (नालंदा दर्पण) नालंदा विश्वविद्यालय (Nalanda University), जो प्राचीन भारत की समृद्ध शैक्षणिक विरासत का प्रतीक है, एक बार फिर वैश्विक शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करा रहा है। बीते दिन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. (डॉ.) सचिन चतुर्वेदी ने नई दिल्ली में केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण से शिष्टाचार भेंट की। यह मुलाकात नालंदा विश्वविद्यालय की भारत और विश्व के उच्च शिक्षा परिदृश्य में उभरती भूमिका को रेखांकित करती है।

बैठक में कुलपति और केंद्रीय मंत्री के बीच नालंदा विश्वविद्यालय की वैश्विक शिक्षा में भूमिका, बहु-विषयक अनुसंधान, अंतर्राष्ट्रीय शिक्षण सहयोग, और ज्ञान कूटनीति जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर गहन विचार-विमर्श हुआ।

प्रो. चतुर्वेदी ने मंत्री को विश्वविद्यालय की नवीनतम उपलब्धियों और भविष्य की योजनाओं से अवगत कराया। इनमें जलवायु परिवर्तन, शांति अध्ययन, बौद्ध दर्शन और सतत विकास जैसे क्षेत्रों में विश्वस्तरीय पहलें शामिल हैं।

उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय का लक्ष्य केवल शैक्षणिक उत्कृष्टता तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारत की सॉफ्ट पावर और ज्ञान कूटनीति को वैश्विक मंच पर स्थापित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

प्रो. चतुर्वेदी ने इस बात पर बल दिया कि नालंदा विश्वविद्यालय न केवल एक शैक्षणिक संस्थान है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक और बौद्धिक विरासत को विश्व के सामने प्रस्तुत करने का एक सशक्त मंच भी है।

बैठक के दौरान कुलपति ने विश्वविद्यालय की वर्तमान प्रगति को रेखांकित किया कि नालंदा विश्वविद्यालय ने हाल के वर्षों में अपनी शैक्षणिक और अनुसंधान गतिविधियों में उल्लेखनीय प्रगति की है। विश्वविद्यालय ने जलवायु परिवर्तन और सतत विकास जैसे समकालीन वैश्विक मुद्दों पर केंद्रित पाठ्यक्रम और अनुसंधान परियोजनाओं को प्राथमिकता दी है। इसके अलावा बौद्ध दर्शन और शांति अध्ययन जैसे क्षेत्रों में विश्वविद्यालय ने वैश्विक शैक्षणिक समुदाय के साथ सहयोग को बढ़ावा दिया है।

प्रो. चतुर्वेदी ने विश्वविद्यालय के भौतिक, शैक्षणिक और संस्थागत विस्तार की योजनाओं पर भी प्रकाश डाला। इन योजनाओं में अत्याधुनिक बुनियादी ढांचे का विकास, अंतरराष्ट्रीय स्तर के संकाय की भर्ती और वैश्विक विश्वविद्यालयों के साथ साझेदारी शामिल हैं।

कुलपति ने इस बात पर जोर दिया कि ये प्रयास नालंदा विश्वविद्यालय को 21वीं सदी के वैश्विक शैक्षणिक केंद्र के रूप में स्थापित करेंगे।

चर्चा में वित्त मंत्रालय के सहयोग की महत्वपूर्ण भूमिका पर भी बल दिया गया। प्रो. चतुर्वेदी ने विश्वास व्यक्त किया कि मंत्रालय का समर्थन विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंच पर उच्च शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में भारत का नेतृत्व स्थापित करने में मदद करेगा।

बता दें कि प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय कभी विश्व के सबसे प्रतिष्ठित शैक्षणिक केंद्रों में से एक था और आज भी अपनी ऐतिहासिक विरासत को आधुनिक शिक्षा के साथ जोड़कर एक नया इतिहास रच रहा है। यह मुलाकात इस बात का प्रमाण है कि नालंदा विश्वविद्यालय न केवल भारत की शैक्षणिक उत्कृष्टता को पुनर्जनन दे रहा है, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत की सॉफ्ट पावर को भी मजबूत कर रहा है।

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विश्वविद्यालय की योजनाओं और दृष्टिकोण की सराहना की और इसे भारत के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बताया। इस मुलाकात से यह स्पष्ट है कि नालंदा विश्वविद्यालय न केवल शिक्षा के क्षेत्र में, बल्कि वैश्विक कूटनीति और सांस्कृतिक आदान-प्रदान में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार है।

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