“सभी थानों में वैसे अपराध जिसमें मामूली सजा या जुर्माने का प्रावधान है का अनुसंधान भी वर्षों से लंबित रखा गया है। अनुसंधान लंबित रहने के कारण न सिर्फ इसका फायदा अपराधियों को मिलती है, बल्कि निर्दोष को बेवजह कोर्ट का चक्कर लगाने पड़ते हैं। हालांकि कोर्ट द्वारा कई बार पुलिस पदाधिकारियों से जवाब-तलब किया गया है फिर भी अनुसंधान लंबित ही है….
नालंदा दर्पण डेस्क। अपर जिला मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी सह डीएलएमसी के प्रभारी सचिव मानवेन्द्र मिश्र ने वर्षों से ऐसे ही लंबित मामलों को लेकिन सोहसराय थानाध्यक्ष से कोर्ट में सदेह हाजिर होकर लंबित रहने का कारण सहित सूची मांगी है।
एक सप्ताह के अंदर पांच साल से ऊपर के लंबित पुराने मामलों की प्रगति रिपोर्ट समुचित कारण के साथ सदेह हाजिर होकर उपस्थित नहीं कराने पर विभागीय कार्रवाई के लिए वरीय पदाधिकारी को लिखा जायेगा।
यदि निर्धारित अवधि में जवाब दाखिल नहीं किया गया तो न्यायालय यह मानकर एकपक्षीय कार्रवाई करेगी कि बचाव में कुछ नहीं कहना है। साथ ही इस आदेश की कॉपी एसपी को भी भेजी गयी है।
अनुसंधान समीक्षा कर निर्देश दें एसपीः न्यायालय द्वारा यह भी निर्देश दिया गया है कि एसपी अपने स्तर से अन्य थानों में अनुसंधान के लिए पांच साल से ऊपर के मामलों की समीक्षा कर थाना