बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहार सरकार ने अपने सरकारी स्कूलों में शिक्षा के स्तर को ऊंचा उठाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। अब तक केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) से संबद्ध स्कूलों में पढ़ाई जाने वाली राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) की किताबें बिहार के सरकारी स्कूलों में भी लागू की जाएंगी।
नई शिक्षा नीति के तहत पाठ्यक्रम में बदलाव के अनुसार राज्य के सरकारी स्कूलों में कक्षा छह से आठवीं तक के छात्र-छात्राओं को एनसीईआरटी की किताबों से पढ़ाया जाएगा। यह व्यवस्था आगामी शैक्षणिक सत्र यानी 1 अप्रैल 2025 से लागू होगी।
राज्य शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) के निदेशक सज्जन आर के अनुसार अब तक एनसीईआरटी की किताबें केवल सीबीएसई स्तर के स्कूलों में ही उपयोग की जाती थीं। लेकिन अब बिहार के सरकारी स्कूल भी इस प्रणाली को अपनाएंगे।
उन्होंने स्पष्ट किया कि कक्षा छह से आठवीं तक के लिए एनसीईआरटी की मूल पुस्तकों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। इन कक्षाओं के बच्चे वही पाठ्यक्रम पढ़ेंगे, जो सीबीएसई से संबद्ध स्कूलों में पढ़ाया जाता है। हालांकि इन किताबों में बिहार के संदर्भ को जोड़ा गया है। जिसमें राज्य की संस्कृति, सभ्यता, महान विभूतियां, पर्यटन स्थल और ऐतिहासिक स्थलों का उल्लेख शामिल किया गया है। बाकी सभी अध्याय एनसीईआरटी के मूल पाठ्यक्रम के अनुसार ही होंगे।
नया पाठ्यक्रम और परीक्षा व्यवस्थाः एससीईआरटी निदेशक ने बताया कि सितंबर 2025 में होने वाली कक्षा छह से आठवीं की अर्धवार्षिक परीक्षा और मार्च 2026 में होने वाली वार्षिक परीक्षा दोनों ही एनसीईआरटी के नए पाठ्यक्रम के आधार पर आयोजित की जाएंगी। इसके लिए शिक्षकों को भी तैयार किया जा रहा है। शिक्षकों को नए पाठ्यक्रम से संबंधित दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं और उनकी ट्रेनिंग की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। साथ ही किताबों को स्कूलों तक पहुंचाने का काम तेजी से चल रहा है। मार्च 2025 के अंत तक सभी सरकारी स्कूलों में ये किताबें उपलब्ध हो जाएंगी।
भविष्य की योजना: एससीईआरटी निदेशक ने आगे बताया कि नई शिक्षा नीति के तहत पाठ्यक्रम में बदलाव जरूरी हो गया था। इस कड़ी में वर्ष 2026 से कक्षा नौवीं से बारहवीं तक के लिए भी एनसीईआरटी की किताबें लागू की जाएंगी। इसकी तैयारी अभी से शुरू कर दी गई है।
उनका कहना है कि एनसीईआरटी की किताबों से पढ़ाई करने से छात्रों को भविष्य में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में काफी सहूलियत होगी। क्योंकि ये किताबें राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त हैं और इनका पाठ्यक्रम प्रतियोगी परीक्षाओं के अनुरूप होता है।
शिक्षा में सुधार की दिशा में एक कदमः बिहार सरकार का यह कदम राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर करने और सरकारी स्कूलों को निजी स्कूलों के समकक्ष लाने की दिशा में एक बड़ी पहल माना जा रहा है। एनसीईआरटी की किताबें न केवल वैज्ञानिक और व्यवस्थित ढंग से तैयार की जाती हैं, बल्कि ये छात्रों को देश और राज्य के व्यापक परिप्रेक्ष्य से जोड़ने में भी मदद करती हैं। बिहार के संदर्भ को शामिल करने से बच्चों में अपनी जड़ों के प्रति जागरूकता भी बढ़ेगी।
बहरहाल, इस बदलाव से जहां एक ओर शिक्षकों और अभिभावकों में उत्साह देखा जा रहा है। वहीं दूसरी ओर स्कूलों में संसाधनों की उपलब्धता और शिक्षकों की ट्रेनिंग को लेकर कुछ चुनौतियां भी सामने आ सकती हैं। फिर भी यह कदम बिहार की शिक्षा व्यवस्था में एक नई उम्मीद की किरण लेकर आया है। आने वाले वर्षों में इसके परिणाम राज्य के छात्रों के भविष्य पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।
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