घोर कुप्रबंधन का शिकार है दनियावां प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र

Date:

दनियावां प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में चल रही ये अनियमितताएँ न केवल सरकारी संसाधनों की बर्बादी को दर्शाती हैं, बल्कि गरीब और जरूरतमंद मरीजों के हक को भी छीन रही हैं। इस मामले में जाँच और सख्त कार्रवाई की माँग अब जोर पकड़ रही है

दनियावां (नालंदा दर्पण)। दनियावां प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कभी क्षेत्र के लोगों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं का आधार हुआ करता था। लेकिन आज कुप्रबंधन और भ्रष्टाचार की चपेट में आ चुका है। अस्पताल के कर्मचारी मनमाने ढंग से संचालन कर रहे हैं और शिकायतों का कोई असर नहीं दिख रहा है।

सूत्रों के अनुसार यहाँ के अकाउंटेंट प्रेम कुमार झा, क्लर्क करण कुनाल और सहायक मोहम्मद आविद जैसे कर्मचारी खुलेआम अनियमितताओं को अंजाम दे रहे हैं। जिससे अस्पताल की व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है।

अस्पताल में सबसे बड़ा घोटाला जनरेटर और बिजली व्यवस्था से जुड़ा हुआ है। जानकारी के मुताबिक अस्पताल में पावर सप्लाई की अधिकतम क्षमता 10 KV की है। लेकिन यहाँ 58.5 KV का जनरेटर लगवाया गया है। जिसकी लागत 1 लाख 10 हजार रुपये बताई जा रही है।

नियमानुसार इस जनरेटर के संचालन और प्रबंधन के लिए तीन विशिष्ट कर्मचारियों की नियुक्ति होनी चाहिए। लेकिन प्रेम कुमार झा, करण कुनाल और मोहम्मद आविद ने इसे अपने हाथ में ले रखा है। इन तीनों ने अतिरिक्त स्टाफ की नियुक्ति ही नहीं की और उनके वेतन को आपस में बाँट लिया।

इसके अलावा बिजली मेंटेनेंस के नाम पर मनमाने बिल बनाकर सरकारी धन की लूट की जा रही है। सूत्रों का दावा है कि ये तीनों पहले से ही ठेकेदारी के कॉन्ट्रैक्ट में साझेदारी रखते थे, जो इस घोटाले की जड़ माना जा रहा है।

मोहम्मद आविद पर यह भी आरोप है कि वह चिकित्सक पदाधिकारी से जबरन लॉगबुक पर हस्ताक्षर करवाता है। जिससे इन अनियमितताओं को वैधता देने की कोशिश की जाती है। यहाँ तक कि अस्पताल की व्यवस्था को इन तीनों ने पूरी तरह ‘हाईजैक’ कर लिया है।

अस्पताल की बदहाली का आलम यह है कि नए साल के पहले महीने जनवरी में मरीजों को भोजन तक उपलब्ध नहीं कराया गया। फरवरी से भोजन की व्यवस्था शुरू हुई। लेकिन यह दनियावां बाजार के होटलों से लाकर दी जाने लगी, जो स्वास्थ्य मानकों के लिए पूरी तरह अनुचित है। प्रधानमंत्री सुरक्षा अभियान जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम भी यहाँ ठप पड़ गए हैं।

ANM बैठकों में भी हालात जुदा नहीं हैं। यहाँ नाश्ते-पानी की व्यवस्था नहीं की जाती, लेकिन इसके नाम पर अमान्य बिल बनाकर राशि निकाल ली जाती है। BCM सुमन कुमारी पर आरोप है कि वह आशा कार्यकर्ताओं से नजराना (रिश्वत) लिए बिना कोई काम नहीं करतीं और उन्हें लगातार प्रताड़ित करती हैं।

अस्पताल के क्लर्क करण कुनाल की स्थिति भी संदिग्ध है। उनकी मूल पोस्टिंग बेछली प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में है। लेकिन वह दनियावां में मात्र 3 दिन ही आते हैं। बाकी समय उनकी गैरमौजूदगी में भी वेतन और अन्य लाभ उठाए जा रहे हैं। कर्मचारियों की इस मनमानी का असर अस्पताल की सेवाओं पर साफ दिखता है।

स्थानीय लोगों और मरीजों ने इन अनियमितताओं की शिकायत प्रभारी और उच्च अधिकारियों से कई बार की, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। शिकायतों का असर शून्य होने से यहाँ भ्रष्टाचार बेरोकटोक फल-फूल रहा है। लोगों का कहना है कि अगर जल्द ही इसकी जाँच और सुधार नहीं किया गया, तो यह स्वास्थ्य केंद्र पूरी तरह से ढह जाएगा।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Share post:

Subscribe

spot_imgspot_img

Popular

More like this
Related

Burberry is the First Brand to get an Apple Music Channel Line

Find people with high expectations and a low tolerance...

For Composer Drew Silva, Music is all About Embracing Life

Find people with high expectations and a low tolerance...

Pixar Brings it’s Animated Movies to Life with Studio Music

Find people with high expectations and a low tolerance...

Concert Shows Will Stream on Netflix, Amazon and Hulu this Year

Find people with high expectations and a low tolerance...
error: Content is protected !!
ये हैं भारत के 15 विश्व प्रसिद्ध प्राचीन विश्वविद्यालय नालंदा विश्वविद्यालय: प्राचीन इतिहास की नई शुरुआत 10 most beautiful actresses in the world : विश्व की 10 सबसे सुंदर अभिनेत्रियां जानें प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय से जुड़े अनसुलझे रहस्य