अब जिले के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों में बनेंगे बाल सुलभ शौचालय

“नालंदा जिले में पेयजल की समस्या भी आंगनबाड़ी केंद्रों के सामने एक बड़ी चुनौती है। विभागीय आंकड़ों के अनुसार जिले के 308 केंद्रों पर ही पेयजल सुविधा उपलब्ध है। जबकि 317 केंद्र अब भी इससे वंचित हैं…
बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। शौचालय विहीन आंगनबाड़ी केंद्रों पर अब बाल सुलभ शौचालय का निर्माण कराया जाएगा। ताकि नन्हे बच्चों को किसी भी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े। वर्तमान में नालंदा जिले के 338 आंगनबाड़ी केंद्र शौचालय विहीन हैं। जिससे वहां पढ़ने वाले बच्चों को परेशानी हो रही है। इस समस्या के समाधान के लिए विभाग द्वारा 200 चाइल्ड फ्रेंडली शौचालय निर्माण का बजट आवंटित किया गया है।
ये शौचालय आम शौचालयों से अलग होंगे। इनकी बनावट इस तरह की जाएगी कि छोटे बच्चे आराम से इनका उपयोग कर सकें। शौचालय में गिरने या चोट लगने जैसी संभावनाओं को न्यूनतम किया जाएगा। साथ ही इन शौचालयों में नल-जल कनेक्शन भी उपलब्ध होगा। इनकी दिशा का निर्धारण बच्चों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए किया जाएगा ताकि शौचालय में पर्याप्त रोशनी और वेंटिलेशन हो।
फिलहाल नालंदा जिले में कुल 3405 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हैं। जिनमें 1.25 लाख से अधिक बच्चे नामांकित हैं। इनमें से केवल 1379 केंद्र अपने भवन में संचालित हो रहे हैं। 1275 केंद्र किराये के भवन में चल रहे हैं। जिनमें से कई की स्थिति जर्जर है। शेष केंद्र स्कूलों (502) और अन्य सरकारी भवनों (249) में संचालित हो रहे हैं।
प्रत्येक शौचालय के निर्माण पर लगभग ₹36000 का खर्च आएगा। आईसीडीएस डीपीओ के अनुसार अगले एक महीने में शत-प्रतिशत शौचालय निर्माण का लक्ष्य पूरा कर लिया जाएगा। निर्माण कार्य के लिए स्थान का चयन बच्चों की सुविधा के आधार पर किया जाएगा।
सरकार के प्रयासों के बावजूद जिले के सभी आंगनबाड़ी केंद्र अपने भवन में संचालित नहीं हो रहे हैं। भवनहीन केंद्रों की समस्या के समाधान के लिए सभी प्रखंडों को पत्र भेजा गया है। सीओ से जमीन संबंधित एनओसी प्राप्त करने का प्रयास जारी है।
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