नालंदा दर्पण डेस्क। अब सरकारी स्कूल के हेडमास्टर को भी अब प्रतिदिन पढ़ाना होगा और इसकी रिपोर्ट शिक्षा विभाग को देनी होगी। वर्ष 2000 तक हेडमास्टर भी कक्षा लिया करते थे। लेकिन अब उनके द्वारा कार्यालय का अधिक कामकाज का बोझ का हवाला दिया जाने लगा।
बिहार शिक्षा विभाग के अनुसार हेडमास्टर जब खुद भी कक्षाएं लेंगे तो उन्हें पूर्व में किए गए पढ़ाई कि भी ज्ञान होगा। इससे उनमें और पढ़ने और पढ़ाने की जिज्ञासा बढ़ेगी। इसीलिए हेडमास्टर को प्रत्येक कक्षा का भ्रमण करने के लिए भी निर्देशित किया गया है।
बताया जाता है कि हेडमास्टर स्कूल के कागजी काम में ही फंसे रहते हैं, वे कक्षाएं नहीं लेते हैं। अब हेडमास्टर अपने कार्यों का बंटवारा शिक्षकों में करेंगे और टीचर हेडमास्टर का सहयोग करेंगे। इससे होगा कि हेडमास्टर कक्षाएं ले पाएंगे।
इससे यह होगा कि हेडमास्टर को यह पता चलेगा कि किस कक्षा में विषय के टीचर पढ़ा रहे हैं। बच्चों में उक्त विषय की समझ आ रही या नहीं। बच्चों को दिए गए एफएलएन किट का प्रयोग पढ़ाने में हो रहा या नहीं, यह पता चल पाएगा।
स्कूलों का निरीक्षण कर्मी भी कक्षाओं में जाकर पढ़ाई की व्यवस्था को देखेंगे। निरीक्षण कर्मी बच्चों से संबंधित विषय पर सवाल भी कर सकते हैं। निरीक्षण कर्मी को भी पाठ्य पुस्तक का अध्ययन करने के लिए कहा गया है।
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