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नालंदा बीजेपी मीडिया, पुलिस और सिविल कोर्ट ग्रुप में आपत्तिजनक तस्वीर वायरल, मचा हड़कंप

Amazing act of the education department, dead teacher's salary stopped, show cause notice issued!
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बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। सोशल मीडिया के व्हाट्सएप ग्रुप्स आजकल संवाद और सूचना के आदान-प्रदान का एक महत्वपूर्ण माध्यम बन चुके हैं। लेकिन जब ऐसे सम्मानित ग्रुप्स में अनुचित सामग्री साझा की जाती है तो यह न केवल चिंता का विषय बन जाता है। बल्कि इससे जुड़े लोगों की गरिमा पर भी असर पड़ता है।

सोमवार की शाम करीब 5 बजे नालंदा में बीजेपी मीडिया ग्रुप और सिविल कोर्ट ग्रुप में अचानक एक आपत्तिजनक नग्न तस्वीर साझा किए जाने से हड़कंप मच गया। इन ग्रुप्स में कई सम्मानित सदस्य, वकील, पत्रकार और प्रशासनिक क्षेत्र से जुड़े लोग शामिल हैं। जिससे यह मामला और भी संवेदनशील बन गया।

बीजेपी मीडिया ग्रुप, जिसे पार्टी के मीडिया संपर्क के लिए बनाया गया था। अचानक अश्लील तस्वीर साझा होने के बाद चर्चा का विषय बन गया। ग्रुप के कई सदस्यों ने इसे लेकर नाराजगी जताई और इसकी कड़ी निंदा की। कुछ ही देर बाद इसी तरह की तस्वीर सिविल कोर्ट ग्रुप में भी साझा कर दी गई। जिससे ग्रुप के सदस्य भौचक्के रह गए।

जैसे ही यह तस्वीर वायरल हुई, ग्रुप के सम्मानित सदस्यों में आक्रोश फैल गया। कई लोगों ने इसे साइबर अपराध बताते हुए कार्रवाई की मांग की। कुछ सदस्यों ने ग्रुप एडमिन से तत्काल कार्रवाई की अपील की। जबकि कुछ ने ग्रुप से खुद को हटा लिया।

मामले को लेकर अब साइबर क्राइम से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि यह किसी शरारती तत्व द्वारा किया गया साइबर अटैक हो सकता है। ऐसे मामलों में साइबर सेल को तुरंत सूचना देकर जांच करानी चाहिए। ताकि पता लगाया जा सके कि यह किसी व्यक्ति की हरकत है या कोई हैकिंग का मामला है।

बीजेपी के स्थानीय नेताओं ने इस घटना पर चिंता जताई है और कहा है कि इस तरह के कृत्य को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। पार्टी इसे लेकर जांच कराने की बात कर रही है। वहीं सिविल कोर्ट ग्रुप से जुड़े कई वकीलों और न्यायिक अधिकारियों ने इस घटना पर असंतोष जताया है और जल्द से जल्द जिम्मेदार व्यक्ति को ढूंढने की मांग की है।

यदि किसी ग्रुप में अश्लील सामग्री साझा होती है तो ग्रुप एडमिन को तुरंत संबंधित व्यक्ति को ग्रुप से हटाना चाहिए। साइबर सेल को इसकी सूचना देनी चाहिए। ग्रुप की सेटिंग बदलकर केवल एडमिन को संदेश भेजने की अनुमति देनी चाहिए।

बहरहाल, नालंदा में हुई इस घटना ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर शिष्टाचार और सुरक्षा के नियमों का पालन कितना जरूरी है। साइबर अपराध बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे में जरूरी है कि हम डिजिटल सतर्कता बरतें और इस तरह की घटनाओं पर त्वरित कार्रवाई करें।

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