बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहार शिक्षा विभाग के नए निर्देश (Online Attendance) पर नालंदा जिले के सभी सरकारी विद्यालयों के शिक्षक सुबह सवेरे ई-शिक्षा कोष पोर्टल एप पर अपनी अपनी ऑनलाइन उपस्थिति बनाने के लिए हलकान दिखे। सरकारी विद्यालयों के शिक्षक स्कूल पहुंचते ही अपने मोबाइल में लोड इ-शिक्षा पोर्टल पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में जुट गए।
कई शिक्षकों की उपस्थित तो जैसे तैसे जरूर दर्ज हुई, लेकिन बड़ी संख्या में शिक्षकों की उपस्थिति पहले ही दिन दर्ज नहीं हो सकी। इससे शिक्षक काफी परेशान नजर आए।
उल्लेखनीय है कि जिले में कुल 2372 सरकारी विद्यालय है। इनमें लगभग 13783 शिक्षक पदस्थापित है। ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज कराने के पहले दिन मात्र 543 विद्यालयों के 1169 शिक्षकों ने ही ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज करने में सफलता पाई। जबकि 12614 शिक्षकों की उपस्थिति ऑनलाइन विधि से दर्ज नहीं हो सकी। इनमें बड़ी संख्या में महिला शिक्षिका भी हैं।
कई शिक्षकों के पास एंड्रॉयड फोन का अभाव भी है तो कई विद्यालयों में नेटवर्क की समस्या भी पाई गई। पहले दिन अटेंडेंस बनाने में सरवर की भी समस्या देखी गयी। इन सभी कारणों से ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज कराने के पहले ही दिन शिक्षकों को काफी फजीहत उठानी पड़ी।
स्कूलों में देर से शुरू हुई कक्षाएं: नालंदा जिले के कई स्कूलों में ऑनलाइन अटेंडेंस बनाने के चक्कर में शिक्षक परेशान होते रहे। इसके कारण जहां कई शिक्षकों की उपस्थिति भी नहीं बन जिले में ऑनलाइन अटेंडेंस की मदद करते भी देखे गए।
कई विद्यालयों में तो नेटवर्क नहीं मिलने के कारण शिक्षक दौड़े-दौड़े स्कूल की छत पर भी पहुंच कर उपस्थिति दर्ज कराने में जुट गए। हालांकि इसके बावजूद भी बड़ी संख्या में शिक्षकों की ऑनलाइन उपस्थिति नहीं बन सकी। इससे शिक्षकों में भारी निराशा भी देखी जा रही है।
पोर्टल पर नहीं मिल रहा था सही लोकेशन: ई-शिक्षा कोष पोर्टल पर अटेंडेंस बनाने में शिक्षकों को काफी परेशानी उठानी पड़ी। जो शिक्षक विद्यालय के कार्यालय में बैठकर भी अटेंडेंस बनाने का प्रयास कर रहे थे। उनका लोकेशन भी 10-20 किलोमीटर दूर बता रहा था।कई शिक्षकों का लोकेशन तो स्कूल में रहते हुए भी दूसरे जिले और दूसरे प्रदेशों का भी बता रहा था।
वहीं नालंदा जिला शिक्षा पदाधिकारी कहते हैं कि अभी जो भी समस्याएं आएंगी, उसमें धीरे-धीरे विभाग द्वारा सुधार किया जाएगा। फिलहाल विभाग द्वारा तीन महीने तक इस पोर्टल पर बनाए जा रहे अटेंडेंस को प्रायोगिक तौर पर ही रखा गया है। इससे शिक्षकों को घबराने की जरूरत नहीं है।
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