राजगीर (नालंदा दर्पण)। पर्यटन नगरी राजगीर के वैभारगिरी पर्वत पर अवस्थित महाभारत कालीन ऐतिहासिक, पुरातात्विक धरोहर सिद्धनाथ मंदिर का सौंदर्यीकरण अब जल्द होने वाला है।
कई हजार वर्षों से उपेक्षा का दंश झेल रहे ऐतिहासिक, पुरातात्विक धरोहर के विकास के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण सहित मुख्यमंत्री सचिवालय, पर्यटन एवं वन पर्यावरण विभाग अब सक्रिय दिखने लगा है। विभिन्न विभागों के बीच अब सिद्धनाथ के लिए पत्राचार प्रारंभ हो गया है।
चक्रवर्ती सम्राट राजा जरासंध ने 5 हजार वर्ष पूर्व की थी इस मंदिर की स्थापनाः लगभग पांच हजार वर्ष पूर्व इस मंदिर की स्थापना मगध के चक्रवर्ती सम्राट राजा जरासंध ने किया था। तब राजा जरासंध द्वारा भेलवा डोप तालाब में स्नानोपरांत प्रतिदिन इस मंदिर में पूजा अर्चना किया जाता था।
सनातन धर्म के राजाओं के शासन समाप्ति के उपरांत कालान्तर में यह मंदिर जीर्ण शीर्ण हालात में हो गयी है।
यहाँ मांगी गई हर मनोकामना होती है पूर्णः वैभारगिरी पर्वत की सबसे ऊंच श्रृंखला पर स्थापित यह मंदिर मगध के वैभवशाली निर्माण कला के दर्शन करवाता है। जैसा कि इस मंदिर का नाम है, वैसी ही मान्यता है कि सिद्धनाथ मंदिर में मांगी गई हर मनोकामना पूर्ण होती है।
बिहार सरकार के प्रधान सचिव के निर्देश पर बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम के कार्यपालक अभियंता एवं जिला प्रशासन नालंदा के अधिकारियों के द्वारा सिद्धनाथ के स्थल निरीक्षण उपरांत सरकार को रिपोर्ट सौंपी गई है।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीन है यह मंदिरः इस रिपोर्ट के अनुसार वैभारगिरी पर्वत का स्वामित्व पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग को है जबकि सिद्धनाथ मन्दिर का देख रेख भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीन है।
ऐतिहासिक, पुरातात्विक धरोहर होने के बाबजूद बिहार सरकार के पर्यटन मानचित्र पर इस मंदिर का कहीं जिक्र भी नही है। ऐसे में स्थानीय लोगो के द्वारा लगातार सरकार एवँ विभाग पर सवाल उठाये जा रहे थे।
वर्ष 2019 में निकली थी धरोहर सुरक्षा संकल्प यात्राः वर्ष 2019 में सावन की तीसरी सोमवारी को धरोहर सुरक्षा संकल्प यात्रा भी अखाड़ा परिषद की ओर से निकाली गई, जिसमें जिसमे स्थानीय विधायक रवि ज्योति सहित पूर्व विधान पार्षद राजू यादव भी सम्मिलित हुए। तात्कालीन विधायक रवि ज्योति के द्वारा विधानसभा में प्रश्न भी उठाया गया था।
सनातन धर्म श्रद्धालु से लेकर इतिहास और पुरातत्व के जानकार भी इस स्थल की उपेक्षा एवं सरकार की अनदेखी पर काफी चिंतित रहे। विभागों में पत्राचार एवँ सोशल मीडिया पर आंदोलन छेड़कर सरकार से इसके विकास की मांग की गई थी।
रंग लाया भारतीय जरासंध अखाड़ा परिषद का अथक प्रयासः विदित हो कि अखिल भारतीय जरासंध अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय महासचिव श्याम किशोर भारती के द्वारा बीते वर्ष अगस्त माह में मुख्यमंत्री सहित प्रधान सचिव एवं विभागीय अधिकारियों को पत्र प्रेषित कर सिद्धनाथ के संरक्षण, सौंदर्यीकरण एवं विकास की गुहार लगाई गई थी।
विभागीय सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव कार्यालय, पर्यटन विभाग,पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग सहित भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की ओर से वितीय वर्ष में इसके विकास की रूपरेखा खींची जाएगी।
बहुत जल्द मिलेगी सौन्दर्यपूर्ण सुविधाः इस संदर्भ में विभिन्न विभागों का पत्राचार भी प्रारंभ हो गया है। ऐसे में बहुत जल्द मंदिर परिसर के संरक्षण के साथ पानी, बिजली, शौचालय सहित अन्य सौंदर्यीकरण देखने को मिलेगा।
अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय महासचिव श्याम किशोर भारती ने कहा कि पुरातात्विक महत्व के इस ऐतिहासिक धरोहर को जनमानस एवं सरकार के समक्ष लाने के लिए लगातार प्रयास किये गए हैं। धरोहर सुरक्षा संकल्प यात्रा के साथ स्थानीय स्तर पर लोगों के सामूहिक आवाज से ही हज़ारो वर्षों से उपेक्षित सिद्धनाथ के विकास की संभावना बढ़ी है।