नालंदा दर्पण डेस्क / मुकेश भारतीय। बिहार के नालंदा जिला अंतर्गत राजगीर में स्थित स्वर्ण भंडार का इतिहास अत्यंत प्राचीन और समृद्धशाली है। प्राचीन काल से ही यह स्थान स्वर्ण भंडार के लिए प्रसिद्ध रहा है और इसके खंडहर एवं पुरातात्विक साक्ष्य इस तथ्य की पुष्टि करते हैं। स्वर्ण भंडार की कई कहानियां सदियों से इस क्षेत्र में चली आ रही हैं और ये कहानियां इस स्थान की ऐतिहासिक महत्ता को और भी बढ़ा देती हैं।
राजगीर, जिसे पहले राजगृह के नाम से जाना जाता था। महाजनपद काल का एक महत्वपूर्ण नगर था। इस नगर की स्थापना मगध साम्राज्य के समय हुई थी और यह स्थान अनेक राजाओं और सम्राटों की राजधानी भी रह चुका है।
ऐतिहासिक दृष्टि से देखें तो यह स्थान बौद्ध धर्म और जैन धर्म के लिए भी महत्वपूर्ण था। यहां गौतम बुद्ध और महावीर स्वामी ने अपने उपदेश दिए थे। जो इस स्थान की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को और भी महत्वपूर्ण बनाते हैं।
स्वर्ण भंडार का विशेष महत्व उस समय से जुड़ा है, जब मगध साम्राज्य अपनी समृद्धि के चरम पर था। कहा जाता है कि इस स्थान पर बड़े पैमाने पर स्वर्ण और अन्य बहुमूल्य धातुओं का भंडारण किया जाता था।
इस क्षेत्र के खंडहरों में आज भी स्वर्ण की खोज करने वाले अनेक पुरातत्वविद और इतिहासकार आते हैं, जो इस स्थान के रहस्यों को उजागर करने का प्रयास करते हैं।
स्वर्ण भंडार से जुड़ी हुई अनेक कथाएं और किंवदंतियां भी प्रचलित हैं। जिनमें से कई कहानियां राजगीर की समृद्धि और ऐश्वर्य का वर्णन करती हैं।
इन कहानियों के माध्यम से हमें यह समझने का अवसर मिलता है कि कैसे यह स्थान प्राचीन भारत के समृद्धशाली नगरों में से एक था और कैसे यहां का स्वर्ण भंडार सदियों से लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
नालंदा पुरातत्व संग्रहालय: जहां देखें जाते हैं दुनिया के सबसे अधिक पुरावशेष
राजगीर में बनेगा आधुनिक तकनीक से लैस भव्य संग्रहालय
1.65 करोड़ खर्च से बजबजाती नाली बना राजगीर सरस्वती नदी कुंड
अतंर्राष्ट्रीय पर्यटन नगर राजगीर की बड़ी मुसीबत बने फुटपाथी दुकानदार