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अतिक्रमण की भेंट चढ़ रही गांव की सड़कें और गलियां

बेन (नालंदा दर्पण)। सड़कें और गलियाँ जनता के सुगम आवागमन के लिए बनाई जाती हैं, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में ये अतिक्रमण की भेंट चढ़ रही हैं। प्रखंड के किसी भी गाँव की गलियों का दौरा करें, तो शायद ही कोई गली अतिक्रमण से अछूती मिले। यही हाल प्रखंड मुख्यालय की सड़कों का है, जहाँ अतिक्रमण ने यात्रियों, वाहन चालकों और राहगीरों के लिए आवागमन को दूभर कर दिया है।

सड़कों और गलियों पर अतिक्रमण के कई रूप देखने को मिलते हैं। लोग सड़कों पर निर्माण सामग्री जैसे रेत, गिट्टी और ईंटें बिखेरकर छोड़ देते हैं। मवेशियों को सड़कों पर बाँधा जाता है, वाहनों को अनियोजित ढंग से पार्क किया जाता है और नालों का गंदा पानी सड़कों पर बहाया जाता है।

कुछ स्थानों पर तो सीढ़ियाँ तक बना दी गई हैं, जो आवागमन को और भी कठिन बना देती हैं। इन समस्याओं के कारण न केवल पैदल यात्रियों को परेशानी होती है, बल्कि वाहन चालकों को भी जाम और असुविधा का सामना करना पड़ता है।

स्थानीय लोगों द्वारा बार-बार शिकायत करने और पदाधिकारियों का ध्यान आकृष्ट करने के बावजूद इस समस्या का कोई ठोस समाधान नहीं निकल रहा। प्रशासन की उदासीनता के चलते अतिक्रमणकारी बेखौफ होकर सड़कों और गलियों को कब्जे में ले रहे हैं। इसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है, जो रोजमर्रा के आवागमन में बाधा और असुरक्षा का सामना कर रही है।

अतिक्रमण के अलावा गाँव की सड़कों और गलियों के निर्माण में भी घोर अनियमितता बरती जा रही है। मुखिया मद और विधायक मद से बनने वाली अधिकांश गलियों की ढलाई में प्राक्कलन के अनुसार गुणवत्ता और मानकों का पालन नहीं किया जाता।

नतीजतन ये सड़कें और गलियाँ कुछ ही महीनों में जर्जर हो जाती हैं। खराब निर्माण सामग्री और लापरवाही भरे कार्य के कारण सड़कों की हालत बद से बदतर होती जा रही है, जिससे ग्रामीणों का जीवन और कठिन हो रहा है।

अतिक्रमण की यह समस्या केवल प्रशासनिक विफलता का परिणाम नहीं है, बल्कि सामाजिक और नैतिक जिम्मेदारी की कमी भी इसका एक बड़ा कारण है। कुछ लोग स्वार्थवश सार्वजनिक सड़कों और गलियों को कब्जा रहे हैं, जिससे न केवल उनके पड़ोसियों को, बल्कि पूरे समुदाय को नुकसान हो रहा है। यह प्रवृत्ति न केवल सामुदायिक एकता को कमजोर करती है, बल्कि गाँव के विकास को भी बाधित करती है।

इस गंभीर समस्या से निपटने के लिए तत्काल कदम उठाने की जरूरत है। प्रशासन को चाहिए कि वह अतिक्रमण के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे और नियमित निरीक्षण सुनिश्चित करे। साथ ही सड़क निर्माण में पारदर्शिता और गुणवत्ता को बढ़ावा देने के लिए ठोस नीतियाँ बनाई जाएँ। ग्रामीणों को भी जागरूक करने की जरूरत है। ताकि वे सार्वजनिक संपत्ति के महत्व को समझें और अतिक्रमण को रोकने में सहयोग करें।

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