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राहुल गांधी के लिए दशरथ मांझी के घर बना शौचालय मिनटों में गायब!

विकास की राजनीति और राजनीति का विकास? इन दोनों के फर्क को गहलौर गांव में राहुल गांधी के इस दौरे ने उजागर कर दिया है। दशरथ मांझी जैसे जननायक के परिवार के लिए अगर एक स्थायी शौचालय तक ना हो और नेताओं के स्वागत के लिए फौरन सुविधा उपलब्ध हो जाए तो यह सवाल तो उठेगा ही कि क्या विकास सिर्फ कैमरे के लिए होता है? एक आदमी जिसने पहाड़ तोड़ दिया, उसके घर की ज़मीन पर आज भी विकास अटका है...!

The VIP toilet built for Rahul Gandhi disappeared within minutes! The development show-off at Dashrath Manjhi's house exposed the administration
The toilet built for Rahul Gandhi disappeared within minutes! The development show-off at Dashrath Manjhi’s house exposed the administration

नालंदा दर्पण डेस्क। बीते 6 जून को कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बिहार दौरे के दौरान गया जिले के गहलौर गांव में कुछ ऐसा हुआ, जिसने प्रशासन की संवेदनशीलता और विकास के दावों को कठघरे में खड़ा कर दिया है। माउंटेन मैन दशरथ मांझी के परिवार से मिलने पहुंचे राहुल गांधी के स्वागत में जिला प्रशासन ने अस्थाई बाथरूम बना डाला, जो उनके जाते ही पार्ट-पुर्जों में बदलकर गायब कर दिया गया। अब इस पूरे प्रकरण पर सवाल उठ रहे हैं कि क्या विकास सिर्फ नेताओं के कैमरे में आने तक सीमित रह गया है?

The VIP toilet built for Rahul Gandhi disappeared within minutes! The development show-off at Dashrath Manjhi's house exposed the administration
The  toilet built for Rahul Gandhi disappeared within minutes! The development show-off at Dashrath Manjhi’s house exposed the administration

दशरथ मांझी के आवास पर राहुल गांधी की यात्रा से पहले आनन-फानन में एक शानदार शौचालय बनाया गया। लेकिन जैसे ही राहुल गांधी वहां से रवाना हुए, जिला प्रशासन के कर्मचारी आए और शौचालय के हिस्सों को खोलकर अपने साथ ले गए। इसे देखकर ग्रामीण हैरान रह गए।

The VIP toilet built for Rahul Gandhi disappeared within minutes! The development show-off at Dashrath Manjhi's house exposed the administration
The toilet built for Rahul Gandhi disappeared within minutes! The development show-off at Dashrath Manjhi’s house exposed the administration

दशरथ मांझी की पोती अंशु कुमारी ने बताया कि यह कोई नई बात नहीं है। जब भी कोई नेता आता है, कुछ देर के लिए बिजली, पानी, सड़क और यहां तक कि शौचालय भी मिल जाता है। उनके जाने के बाद सब कुछ वैसे का वैसा हो जाता है।

उन्होंने यह भी बताया कि 2015 में एक शौचालय बना था, लेकिन उस पर सड़क बना दी गई। “पिछले 10 सालों से हमारे पास कोई शौचालय नहीं है। क्या यही है विकास?” अंशु ने सवाल उठाया।

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बिहार कांग्रेस अल्पसंख्यक सेल के अध्यक्ष उमेर खान ने इसे शर्मनाक बताया। यह माउंटेन मैन का परिवार है, जिन्होंने पहाड़ काटकर रास्ता बनाया और सरकार इनके लिए एक शौचालय तक नहीं बना सकी। यह प्रशासन की संवेदनहीनता का चरम है।

गया के डीएम शशांक शुभंकर ने सफाई दी कि वीवीआईपी मूवमेंट के दौरान प्रोटोकॉल के तहत अस्थाई व्यवस्थाएं की जाती हैं। उन्होंने कहा कि अगर मांझी परिवार को शौचालय नहीं मिला है तो जांच कर कार्रवाई की जाएगी।

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शशांक शुभंकर ने यह भी जोड़ा कि वे हाल ही में गया के डीएम बने हैं और अब इस मुद्दे की समुचित जांच और समाधान किया जाएगा।

गहलौर गांव का यह दौरा केवल सामाजिक मुलाकात नहीं था। राहुल गांधी का यह प्रयास दलित वोट बैंक को साधने की रणनीति के तहत देखा जा रहा है। दशरथ मांझी के बेटे भागीरथ मांझी ने राहुल गांधी से बोधगया सुरक्षित सीट से चुनाव लड़ने की इच्छा जताई, जिस पर राहुल गांधी ने विचार करने का आश्वासन भी दिया।

विकास की राजनीति और राजनीति का विकास? इन दोनों के फर्क को गहलौर गांव में राहुल गांधी के इस दौरे ने उजागर कर दिया है। दशरथ मांझी जैसे जननायक के परिवार के लिए अगर एक स्थायी शौचालय तक ना हो और नेताओं के स्वागत के लिए फौरन सुविधा उपलब्ध हो जाए तो यह सवाल तो उठेगा ही कि क्या विकास सिर्फ कैमरे के लिए होता है? एक आदमी जिसने पहाड़ तोड़ दिया, उसके घर की ज़मीन पर आज भी विकास अटका है!

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