बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। देश भर में प्रतियोगी परीक्षाओं की विश्वसनीयता को चुनौती देने वाले पेपर लीक माफिया की दुनिया में एक नाम तेजी से उभर कर सामने आया है-संजीव कुमार। इसे प्रायः स्थानीय लोग लुटन मुखिया के नाम से भी जानते हैं।
नालंदा के नगरनौसा में रहने वाले इस शख्स का नाम आज सिर्फ बिहार ही नहीं, बल्कि कई राज्यों में कुख्यात हो चुका है। संजीब कुमार नूरसराय हॉर्टिकल्चर कॉलेज में तकनीकी सहायक के पद पर तैनात हैं। उसने हिलसा के पेपर लीक डॉन डॉ. रंजीत को अपना आइडियल मानते हुए अपनी ज़िंदगी के रास्ते को अपराध की ओर मोड़ते हुए सरकारी भर्ती परीक्षाओं के पेपर लीक का एक बड़ा जाल बुन लिया।
आज लुटन मुखिया की पहचान एक अंतर्राज्यीय पेपर लीक गिरोह के मास्टरमाइंड के रूप में हुई है। इसका नेटवर्क न केवल बिहार, बल्कि उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों में भी फैला हुआ है। उसके ऊपर आरोप हैं कि वह सिपाही भर्ती परीक्षा और बीपीएससी शिक्षक भर्ती परीक्षा जैसे महत्वपूर्ण परीक्षाओं के पेपर लीक में भी शामिल रहा है। उसका बेटा पेपर लीक मामले में अभी पटना बेऊर जेल में है। वह भी एक संगठित गिरोह के आपराधिक गतिविधियों की बानगी बन गया है।
अपराध की दुनिया में काले पैसे से अकूत संपत्ति बनाने के बाद लुटन मुखिया ने राजनीति में भी अपनी पकड़ मजबूत करनी चाही। पहले उसने अपनी पत्नी ममता देवी को भूतहाखार पंचायत का मुखिया बनवाया। पर जब जदयू के सीएम नीतीश कुमार ने वर्तमान विधायक हरिनारायण सिंह का टिकट काटकर ममता को भाव नहीं दिया तो उसने वर्ष 2020 के हरनौत विधानसभा सीट पर लोजपा से टिकट हासिल कर वह मैदान में उतर गई। उसने चुनाव प्रचार के दौरान करोड़ों रुपये पानी की तरह बहाए। लेकिन ममता को हार का सामना करना पड़ा।
संजीव मुखिया ने अपनी आपराधिक गतिविधियों में सिर्फ खुद को ही नहीं, बल्कि अपने बेटे शिव कुमार उर्फ डॉ. शिव को भी शामिल कर लिया। आज डॉ. शिव बीपीएससी पेपर लीक मामले में जेल में बंद है। यह इस बात का संकेत है कि वह और उसका गिरोह कितनी गहराई तक डूबा हुआ है। लूटन मुखिया का नेटवर्क इतना मजबूत है कि उसका नाम नीट यूजी परीक्षा और उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती परीक्षा के पेपर लीक मामलों में भी आ चुका है।
वेशक संजीव उर्फ लुटन मुखिया ने राजनीति और अपराध दोनों में पैर जमाने की कोशिश की, लेकिन उसका असली चेहरा एक अपराधी के रूप में सामने आया है, जो देश की शैक्षणिक और भर्ती प्रक्रियाओं को दूषित कर रहा है। उसका गिरोह आज भी कई राज्यों में सक्रिय है और वह प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती बना हुआ है।
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