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नीतीश के नालंदा में यूं बांटे जा रहे योगी के जहर ‘बटेंगे तो कटेंगे’

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Yogi's poison is being distributed in Nitish's Nalanda, 'If we divide, we will be cut'
Yogi's poison is being distributed in Nitish's Nalanda, 'If we divide, we will be cut'

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा चलाए गए ‘बटेंगे तो कटेंगे’ नारे का असर अब बिहार के राजनीतिक परिदृश्य में भी देखने को मिल रहा है। हाल ही में छठ पूजा के दौरान बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा में बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने इसी नारे के साथ प्रसाद सामग्री का वितरण किया। इससे सियासत में हलचल मच गई है।

छठ पूजा बिहार का सबसे बड़ा और प्रमुख धार्मिक पर्व माना जाता है। इस दौरान बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने व्रतधारियों के बीच फल, कपड़े और अन्य सामग्री बांटी। लेकिन यह वितरण जिस थैले में किया जा रहा था, उस पर दो प्रमुख स्लोगन लिखे थे- एक तरफ ‘बटेंगे तो कटेंगे’ और दूसरी तरफ ‘गर्व से कहो हम हिंदू’। इन नारों ने छठ के धार्मिक माहौल में अचानक राजनीतिक चर्चा को बढ़ावा दिया है।

बजरंग दल कार्यकर्ताओं का कहना है कि छठ पूजा सनातन धर्म का सबसे बड़ा पर्व है और इसे हिंदू समाज की एकजुटता का प्रतीक माना जाता है। इस पवित्र अवसर पर हिंदू समाज को एकजुट रहने का संदेश दे रहे

राजनीतिक संदर्भ और प्रभावः यह घटना ऐसे समय पर सामने आई है, जब बिहार की राजनीति में हिंदुत्व की विचारधारा को लेकर चर्चाएं तेज हो रही हैं। हाल ही में केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने ‘हिंदू स्वाभिमान यात्रा’ का आयोजन किया था। इसे लेकर भी विपक्ष ने कड़ी आलोचना की थी। अब नालंदा में बजरंग दल द्वारा ‘बटेंगे तो कटेंगे’ के संदेश के साथ छठ पूजा के दौरान प्रसाद वितरण सामग्री ने सियासी माहौल को और गरमा दिया है।

यह नारा मूल रूप से उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ द्वारा अल्पसंख्यक समुदायों और धार्मिक ध्रुवीकरण के संदर्भ में दिया गया था। लेकिन इसका प्रसार अब बिहार में भी होने लगा है। नीतीश कुमार के गृह क्षेत्र में इस तरह के स्लोगन के साथ प्रसाद सामग्री वितरण किए जाने से यह सवाल उठ रहा है कि क्या बिहार की सियासत भी उत्तर प्रदेश की तर्ज पर ध्रुवीकरण की ओर बढ़ रही है?

विपक्ष का तीखा रुखः बिहार की विपक्षी पार्टियों ने इस घटना को लेकर कड़ी आलोचना की है। उनका कहना है कि छठ जैसा पवित्र पर्व धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से सभी समुदायों को एकजुट करता है। इसे राजनीतिक एजेंडा के लिए इस्तेमाल करना गलत है। कुछ नेताओं ने आरोप लगाया कि यह राज्य में धार्मिक ध्रुवीकरण की कोशिश है। जोकि बिहार की बहुलतावादी संस्कृति के खिलाफ है।

संभावित राजनीतिक परिणामः यह घटना बिहार की राजनीति के लिए कई मायनों में अहम हो सकती है। एक ओर जहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में राज्य सरकार ने सामाजिक सौहार्द और शांति बनाए रखने पर जोर दिया है। वहीं दूसरी ओर बजरंग दल और अन्य हिंदुत्ववादी संगठनों की गतिविधियां राज्य में राजनीतिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा दे सकती हैं। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि नीतीश कुमार और उनकी पार्टी इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाते हैं।

फिलहाल, नालंदा में छठ के दौरान ‘बटेंगे तो कटेंगे’ स्लोगन के साथ प्रसाद वितरण से बिहार की सियासत में एक नई बहस शुरू हो गई है। यह घटना बताती है कि हिंदुत्व का राजनीतिक एजेंडा अब केवल उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं है, बल्कि बिहार में भी इसके प्रभाव को बढ़ाने की कोशिश की जा रही है। इससे सियासी तापमान बढ़ने के संकेत साफ हैं और आने वाले चुनावों में यह मुद्दा प्रमुख रूप से उभर सकता है।

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