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बिहारशरीफ स्मार्ट सिटी परियोजना खुली पोल, सड़कें बनीं तालाब

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। महज चार घंटे की बारिश ने एक बार फिर बिहारशरीफ स्मार्ट सिटी परियोजना की हकीकत को उजागर कर दिया। हल्की बूंदाबांदी में ही शहर की प्रमुख सड़कें जलमग्न हो गईं और घंटों बाद भी पानी का जमावड़ा बना रहा।फोन एक्सचेंज, पुरानी पोस्ट ऑफिस, रांची रोड, अम्बेर, सोहसराय, रामचंद्रपुर, टिकुलीपर, नालंदा कॉलनी, मगध कॉलनी, देवीसराय और अनुराग सिनेमा हॉल रोड जैसे इलाकों में सड़कें तालाब में तब्दील हो गईं।

Rain exposed the reality of Biharsharif Smart City project, roads became ponds
Rain exposed the reality of Biharsharif Smart City project, roads became ponds

इस जलजमाव ने न केवल आम जनजीवन को प्रभावित किया, बल्कि स्मार्ट सिटी के दावों पर भी सवाल खड़े कर दिए। बारिश के साथ ही सड़कों पर जमा पानी और गहरे गड्ढों ने लोगों की परेशानियों को दोगुना कर दिया। स्कूली बच्चे, कोचिंग जाने वाले छात्र और दफ्तर लौटने वाले कर्मचारी उबड़-खाबड़ रास्तों से होकर गुजरने को मजबूर रहे।

रामचंद्रपुर के मिंतू बस स्टैंड से खलिहानीपर तक का रास्ता तो बेहद खतरनाक हो चुका है। सड़क पर तीन-तीन फुट गहरे गड्ढे बारिश के पानी में डूबे रहते हैं। जिसके कारण हर दिन लोग गिरकर घायल हो रहे हैं। पानी में गड्ढे दिखते नहीं और हर कदम पर खतरा मंडराता है। यहां स्मार्ट सिटी का सपना तो दिखाया गया। लेकिन हकीकत में सिर्फ परेशानी मिली।

टिकुलीपर इलाके में अधूरे नाले की वजह से हाल ही में एक स्कूली बच्चे की दुखद मृत्यु हो चुकी है। इस हादसे के बावजूद नाला निर्माण एजेंसी की उदासीनता जस की तस बनी हुई है। नाले पर कई जगहों पर अतिक्रमण है। पानी निकासी की कोई व्यवस्था नहीं। हल्की बारिश में भी हमारी दुकानों में पानी घुस आता है।

स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत शुरू हुए नाले और सीवरेज कार्य अधर में लटके हैं। जिसके कारण मामूली बारिश भी शहरवासियों के लिए आफत बन जाती है।

Rain exposed the reality of Biharsharif Smart City project, roads became ponds
Rain exposed the reality of Biharsharif Smart City project, roads became ponds

बिहारशरीफ को स्मार्ट सिटी बनाने का वादा भले ही जोर-शोर से किया गया हो। लेकिन जमीनी हकीकत निराशाजनक है। अधिकांश मोहल्लों में नालों और सीवरेज सिस्टम का काम अधूरा है। कई जगहों पर दुकानदारों और मकान मालिकों ने नालों पर कब्जा कर लिया है, जिससे जल निकासी पूरी तरह ठप हो गई है।

निर्माण एजेंसियों की लापरवाही और प्रशासन की निष्क्रियता ने शहर को खतरे की कगार पर ला खड़ा किया है। शहरवासियों का गुस्सा अब सड़कों पर साफ दिखाई दे रहा है। लोग प्रशासन और निर्माण एजेंसियों से जवाब मांग रहे हैं।

ऐसे में सवाल यह है कि इन अधूरी परियोजनाओं का काम कब पूरा होगा? क्या प्रशासन और ठेकेदारों की जवाबदेही तय होगी? बिहारशरीफ के लोग अब केवल वादों से नहीं, बल्कि ठोस कार्रवाई से राहत चाहते हैं। क्या स्मार्ट सिटी का सपना सचमुच हकीकत बन पाएगा या यह बारिश की तरह हर बार बह जाएगा?

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