नालंदा में चुनावी हलचल के बीच मिनी गन फैक्ट्री का भंडाफोड़, पिता-पुत्र गिरफ्तार

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की चुनावी हलचल के बीच अपराधियों की हलचल भी तेज हो गई है। नालंदा जिले में कानून-व्यवस्था को मजबूत करने के लिए पुलिस की विशेष कार्रवाई ने अवैध हथियारों के कारोबार से जुड़े बदमाशों को एक बड़ा झटका दिया है।
सोहसराय थाना क्षेत्र के मंसूरनगर छोटी पहाड़ी इलाके में छिपी एक अवैध हथियार बनाने की ‘मिनी फैक्ट्री’ का पर्दाफाश हो गया। सीएपीएफ (केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल) के सहयोग से की गई संयुक्त छापेमारी में पुलिस ने पिता-पुत्र की जोड़ी को धर दबोचा। इस कार्रवाई से न केवल अवैध हथियारों का जखीरा बरामद हुआ, बल्कि चुनावी हिंसा को रोकने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी साबित हुआ।
यह कार्रवाई सोमवार 23 अक्टूबर 2025 को दोपहर के आसपास अंजाम दी गई, जब सोहसराय थानाध्यक्ष के नेतृत्व में पुलिस टीम ने मंसूरनगर की तंग गलियों में सघन घेराबंदी की। संदेह के घेरे में आए दिलीप मिस्त्री (पिता स्व. मुन्नी मिस्त्री) और उनके बेटे आदित्य कुमार (पिता दिलीप मिस्त्री) के घर पर धावा बोलते ही माहौल तनावपूर्ण हो गया।
घर के अंदरूनी हिस्सों की तलाशी लेते ही पुलिस को एक छिपे हुए कमरे में हथियार निर्माण का पूरा कारखाना मिला। यह दृश्य किसी बॉलीवुड फिल्म का लग रहा था। ग्राइंडर की चिंगारियां उड़ती हुईं, लोहे के टुकड़े बिखरे पड़े और बीच में अधूरे कट्टे पड़े मिले।
पुलिस ने तलाशी में जो जखीरा बरामद किया, वह देखने लायक था। एक देसी कट्टा, एक 315 बोर का दो नली वाला कट्टा, दो कारतूस और नकद 5950 रुपये के अलावा हथियार बनाने के सैकड़ों उपकरणों का ढेर लग गया। इसमें ग्राइंडर मशीनें, झाड़ी मशीन, आरी, हथौड़ा, कटर, रेती, रिंच, स्क्रूड्राइवर, बैरल, बटखारा, चदरा, स्प्रिंग और अन्य लोहे के औजार शामिल थे।
कुल मिलाकर 40 से अधिक सामान बरामद हुए, जो इस ‘मिनी फैक्ट्री’ की क्षमता को बयां कर रहे थे। ये हथियार न केवल स्थानीय स्तर पर बिकते थे, बल्कि आसपास के जिलों में भी सप्लाई किए जाते थे, जैसा कि आरोपितों ने पूछताछ में कबूल किया।
पूछताछ के दौरान दिलीप और आदित्य ने सारा राज खोल दिया। उन्होंने बताया कि वे लंबे समय से इस अवैध धंधे में लिप्त थे। पिता दिलीप मिस्त्री पहले मिस्त्री का काम करते थे। उन्होंने अपने कौशल का गलत इस्तेमाल करते हुए घरेलू उपकरणों से हथियार बनाना सीख लिया था।
बेटा आदित्य उनके ‘उत्तराधिकारी’ बन चुका था, जो बाजार में ग्राहकों से संपर्क करता था। दिलीप ने पुलिस को बताया। हमारे पास ऑर्डर आते थे, और हम 5-10 हजार रुपये में कट्टा बेच देते थे। यह कबूलनामा सुनकर थाने का माहौल सन्नाटे में डूब गया। पुलिस ने उनके बताए गए अन्य ठिकानों पर तत्काल छापेमारी शुरू कर दी है और जल्द ही और गिरफ्तारियां हो सकती हैं।
बिहारशरीफ सदर डीएसपी नुरुक हक ने इस कार्रवाई को चुनावी सुरक्षा के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने ‘नालंदा दर्पण’ से बातचीत में कहा कि अवैध हथियारों का निर्माण और बिक्री चुनावी हिंसा का बड़ा खतरा है। हमारी टीम लगातार अभियान चला रही है, और यह सफलता उसी का नतीजा है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि इस मामले में सोहसराय थाने में कांड संख्या 319/25 दर्ज कर ली गई है और आर्म्स एक्ट के तहत सख्त कार्रवाई की जा रही है। छापेमारी टीम में स्थानीय पुलिसकर्मियों के अलावा सीएपीएफ के जवान भी शामिल थे, जिनकी सतर्कता ने इस ऑपरेशन को सफल बनाया।









