
बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। नालंदा जिले की अस्थावां विधानसभा सीट इस बार चुनावी रणभेरी की सबसे गर्मागर्म जंग का केंद्र बन चुकी है। जहां एक ओर एनडीए की ओर से जनता दल (यूनाइटेड) के समर्पित प्रत्याशी और निवर्तमान विधायक डॉ. जितेंद्र कुमार अपनी मजबूत पकड़ बचाने उतरे हैं, वहीं महागठबंधन समर्थित राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के रविरंजन कुमार ने कड़ी चुनौती दे दी है।
लेकिन असली ट्विस्ट की बात करें तो पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी रहे प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी की प्रत्याशी लता सिंह ने पूरे क्षेत्र में एक नई लहर पैदा कर दी है। कुल सात दावेदारों के बीच दो महिला उम्मीदवारों जन सुराज की लता सिंह और निर्दलीय शबनम लता की मौजूदगी ने इस सीट को और भी रोचक बना दिया है।
यहां संपन्न हुए मतदान में मतदाताओं का उत्साह देखने लायक था। सुबह सात बजे से ही बूथों पर लंबी-लंबी कतारें लग गईं, और दोपहर तक जिला प्रशासन की गाड़ियां पूरे क्षेत्र में सरपट दौड़ती रहीं। पुलिस महकमे ने शांतिपूर्ण चुनाव सुनिश्चित करने के लिए विशेष सतर्कता बरती।
सरमेरा प्रखंड के सुदूरवर्ती इलाकों में घुड़सवार बल की एक सेक्शन तैनाती की गई, जो मतदाताओं को सुरक्षा का एहसास दिलाने के साथ-साथ चुनावी माहौल को एक फिल्मी टच दे रही थी। पूरे विधानसभा क्षेत्र में 80 प्रतिशत से अधिक मतदान का अनुमान है, जो पिछले चुनावों से काफी बेहतर है।
हालांकि, मतदान की यह शांतिपूर्ण तस्वीर में एक छोटी-सी दरार जरूर नजर आई। अस्थावां के बूथ संख्या एक, जो मध्य विद्यालय जक्की में स्थित है, वहां ईवीएम में खराबी के कारण वोटिंग करीब एक घंटे देरी से शुरू हुई। सुबह नौ बजे तक मशीन ठीक करने में जुटे तकनीकी दल की वजह से कई बुजुर्ग वोटरों को इंतजार करना पड़ा। प्रशासन ने जल्दी ही वैकल्पिक व्यवस्था की और दोपहर तक बूथ सामान्य हो गया। यह घटना न केवल मतदान प्रक्रिया की मजबूती को रेखांकित करती है, बल्कि ईवीएम पर बहस को भी ताजा कर देती है।
अब बात चुनावी समीकरण की। डॉ. जितेंद्र कुमार 2015 से इस सीट पर काबिज हैं, अपनी विकास योजनाओं जैसे सड़क निर्माण, स्वास्थ्य केंद्रों का विस्तार और शिक्षा सुविधाओं के दम पर आगे हैं। जदयू कार्यकर्ता दावा करते हैं कि एनडीए की मजबूत मशीनरी और केंद्र-राज्य सरकार की योजनाओं का फायदा उन्हें मिलेगा।
लेकिन राजद के रविरंजन कुमार ने पिछड़ी जातियों और किसान वर्ग को निशाना बनाते हुए आक्रामक प्रचार किया। उनके समर्थकों का मानना है कि यह सीट पिछड़ों की आवाज बनेगी। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के बनवारी कुमार, सोशलिस्ट यूनिटी सेंटर ऑफ इंडिया (कम्युनिस्ट) के प्रत्याशी, जन सुराज की लता सिंह, आजाद समाज पार्टी (काशीराम) के हिमांशु कुमार पासवान और निर्दलीय शबनम लता भी मैदान में हैं।
इनमें से जन सुराज का प्रवेश सबसे ज्यादा चर्चित रहा, क्योंकि पार्टी ने स्थानीय मुद्दों जैसे बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की अनदेखी और बेरोजगारी पर सीधा हमला बोला है। प्रत्याशी लता सिंह पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं जदयू अध्यक्ष रहे आरसीपी सिंह की बेटी है।
विशेषज्ञों का मानना है कि जन सुराज की मौजूदगी ने वोटों का बंटवारा कर दिया है, जो जदयू के लिए खतरे की घंटी है। यह सीट ट्रेडिशनली जदयू का गढ़ रही है, लेकिन राजद की सधी हुई रणनीति और जन सुराज का नया चेहरा रोमांचक त्रिकोणीय मुकाबला बना रहा है। महिला वोटरों का रुझान लता सिंह की ओर हो सकता है। निर्दलीय शबनम लता की उम्मीदवारी भी स्थानीय स्तर पर कुछ हलचल मचा रही है, जो सामाजिक न्याय के मुद्दे पर केंद्रित है।
मतदान संपन्न होते ही अस्थावां के चाय-टपरी से लेकर राजनीतिक चौपालों तक बहस छिड़ी हुई है। क्या डॉ. जितेंद्र अपनी सीट बरकरार रख पाएंगे या रविरंजन कुमार ‘परिवर्तन’ की लहर लाएंगे? जन सुराज का ‘सर्वे’ कितना प्रभावी साबित होगा? यह तो नतीजे ही बताएंगे।
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