नालंदा दर्पण डेस्क। बिहार राज्य के सभी अंगीभूत महाविद्यालयों में अब वरिष्ठ प्राध्यापक ही प्रभारी प्राचार्य बनाए जाएंगे। इस बाबत बिहार राजभवन ने राज्य के सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को निर्देश दिया है। राजभवन ने विश्वविद्यालयों में वरिष्ठ प्राध्यापकों की प्राचार्य पद पर नियुक्ति किए जाने संबंधी मामले में राजभवन ने कड़ा रुख अपनाया है।
राज्य के विश्वविद्यालयों में हर स्तर पर सुधार को प्राथमिकता दे रहे राज्यपाल एवं कुलाधिपति राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कतिपय कुलपतियों द्वारा कनीय शिक्षक को महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य बनाए जाने पर गहरी नाराजगी प्रकट की है।
पिछले माह 30 अगस्त को कुलपतियों की बैठक में अपनी नाराजगी जाहिर की थी। उन्होंने कहा था कि वरिष्ठ प्राध्यापक को ही महाविद्यालयों में प्रभारी प्राचार्य बनाए। इसका अनुपालन सुनिश्चित करें।
इसके मद्देनजर राज्यपाल के प्रधान सचिव राबर्ट एल. चॉंग्यू की ओर से यह निर्देश कुलपतियों को जारी किया गया है। इसमें कुलपतियों को यह हिदायत भी दी गई है कि कुछ महाविद्यालय में वरिष्ठ प्राध्यापकों के स्थान पर कनीय प्राध्यापकों को महाविद्यालय का प्रभारी प्राचार्य बनाया गया है, जो
बिहार के विश्वविद्यालयों के अंगीभूत महाविद्यालयों में प्राचार्य की नियुक्ति हेतु अधिसूचित परिनियम के प्रविधानों के विरुद्ध है। इसलिए निर्धारित प्रविधानों के आलोक में ही नियमानुसार आवश्यक कार्रवाई करते हुए महाविद्यालय में प्रभारी प्राचार्य बनाए जाएं। इस निर्देश को सर्वोच्च प्राथमिकता दें।
इस मामले में 15 दिनों के अंदर अनुपालन प्रतिवेदन भी राजभवन सचिवालय द्वारा ईमेल पर मांगे गये हैं। बहरहाल, राजभवन के इस निर्देश से पाटलिपुत्र विश्वविधालय सहित कई विश्वविद्यालयों के अंगीभूत महाविद्यालयों में प्रभारी प्राचार्य के पद से कनीय प्राध्यापकों की छुट्टी होगी।
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