बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। चंडी प्रखंड के माधोपुर के बिहटा-सरमेरा पथ पर वर्षों से अवैध तरीके से संचालित बायो डीजल पंप आखिर कार सील हो गया।
बिना एनओसी लिए पिछले चार साल से यह डीजल पंप चल रहा था। बाबजूद पदाधिकारी आंख मूंदे थे। आइल एसोसिएशन के शिकायत के बाद यह कार्रवाई की गई।
बताया जाता है कि माधोपुर फोर लाइन के पास संचालित बायो डीजल पंप वर्षों से तेल कंपनी की आंख में धूल झोंक कर चलाया जा रहा था। इस बायो डीजल के लिए तेल कंपनियों ने किसी प्रकार का एनओसी भी नहीं दिया था।
कंपनी से तेल नहीं खरीदकर कालाबाजार से तेल खरीदा जा रहा था। लोगों को टैंकर के माध्यम से तेल दिया जा रहा था। उपर से बायो डीजल के नाम पर संचालक द्वारा गोरखधंधा की शिकायत भी मिल रही थी।
लोगों ने बताया कि किरासन तेल मिलाकर बायो डीजल तैयार किया जा रहा था। तेल सीधे नोजल से न देकर टैंकर से दिया जा रहा था।
पेट्रोल पंप एसोसिएशन के द्वारा कई बार डीएम को शिकायत भी भेजी गई। शिकायत के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई।इस बार दबाब के बाद वरीय पदाधिकारी हरकत में दिखे,उसके बाद पंप को सील कर दिया गया है।
डीलर्स एसोसिएशन की ओर से कहा जा रहा है कि भले ही पंप सील कर दिया गया है। लेकिन संचालक फिर भी अपनी मनमानी कर रहे हैं। वे टैंकर के माध्यम से तेल वाहनों को मुहैया करा रहे है।
सदस्यों ने जिला प्रशासन से इस बाबत ठोस कदम उठाने की मांग की है। ऐसे में सवाल उठता है कि जब एनओसी नहीं था तो बायो डीजल पंप कैसे चल रहा था।यह जांच का विषय है!
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हैलो नालंदा दर्पण,
अवैध धंधे से ही लोग आज पैसा कमाना चाहते हैं वैध तरीकेकार से नहीं। जो कि आपकी इस पोस्ट से स्पष्ट भी है। बहरहाल अगर आप ऐसा लिखें “बायो डीजल पंप सील पर गैरकानूनी सेल चालू” उचित वाक्य है।”गोरख-धंधा” शब्द अनुचित है ।
भगवान शिव महायोगी स्वरूप में भगवान “गुरु गोरखनाथ” होते हैं।भगवान शिव के पवित्र कल्याणकारी नाम को किसी अवैध धंधे से जोडने से लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचती है और शिव तो सदैव कल्याणकारी हैं।” गोरख-धंधा “शब्द अनुचित है और एक निम्न श्रेणी की उपहासात्मक अपमानजनक गरिमाहीन अभद्र संज्ञा है जो प्रयोग में नहीं होनी चाहिए कृप्या इस संवेदनशील पहलू का भी संज्ञान लें ।
अगर आप इस शब्द के स्थान पर किसी उचित शब्द जैसे जैसे अवैध धंधा/काला धंधा /धांधली /ठगधंधा /गडबडघोटाला /फर्जीवाड़ा /धोखाधड़ी का प्रयोग करें और अपने रिपोर्टिंग टीम को इस संवेदनशील पहलू की ओर आगाह कर भविष्य की पुनरावृति से बचें तो ज्वलंत पत्रकारिता उत्कृष्ट ही प्रतीत होगी।
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