अन्य
Tuesday, April 1, 2025
अन्य

सीबीएसई का सख्त रुखः बोर्ड परीक्षा से वंचित हो सकते हैं ऐसे छात्र

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने ‘डमी स्कूलों’ में दाखिला लेने वाले छात्रों के लिए कड़ा रुख अपनाते हुए एक महत्वपूर्ण चेतावनी जारी की है। बोर्ड ने स्पष्ट किया है कि जो छात्र नियमित कक्षाओं में शामिल नहीं होंगे। उन्हें 12वीं की बोर्ड परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी जाएगी। इस कदम का उद्देश्य शिक्षा की गुणवत्ता को बनाए रखना और ‘डमी स्कूल’ संस्कृति पर लगाम लगाना है, जो पिछले कुछ वर्षों में कई क्षेत्रों में बढ़ती जा रही है।

सीबीएसई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि डमी स्कूलों’ में प्रवेश लेने के दुष्परिणामों की पूरी जिम्मेदारी छात्रों और उनके अभिभावकों की होगी। बोर्ड ने यह भी संकेत दिया है कि वह ऐसे स्कूलों और छात्रों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के लिए परीक्षा उपनियमों में संशोधन पर विचार कर रहा है। अधिकारी ने कहा कि हमारा लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि शिक्षा का वास्तविक मकसद पूरा हो, न कि केवल औपचारिकताओं के लिए स्कूलों का दुरुपयोग किया जाए।

दरअसल, ‘डमी स्कूल’ ऐसे शैक्षणिक संस्थान हैं, जहां छात्र औपचारिक रूप से दाखिला तो लेते हैं, लेकिन नियमित कक्षाओं में भाग लेने के बजाय कोचिंग संस्थानों में पढ़ाई करते हैं। ये स्कूल छात्रों को केवल बोर्ड परीक्षा के लिए पंजीकरण की सुविधा प्रदान करते हैं, जबकि सीबीएसई नियमों के अनुसार, छात्रों की न्यूनतम 75 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य है। यह प्रथा खासकर उन छात्रों में लोकप्रिय है जो प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे जेईई और नीट की तैयारी करते हैं।

सीबीएसई ने यह भी स्पष्ट किया कि जो छात्र नियमित कक्षाओं में भाग नहीं लेते, उन्हें राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एनआईओएस) के माध्यम से परीक्षा देनी होगी। बोर्ड का मानना है कि इससे ‘डमी स्कूलों’ की प्रथा पर अंकुश लगेगा और छात्रों को औपचारिक शिक्षा की ओर प्रेरित किया जा सकेगा। शासकीय बोर्ड की हालिया बैठक में इस मुद्दे पर गहन चर्चा हुई और सिफारिश की गई कि यह नियम शैक्षणिक सत्र 2025-26 से लागू किया जाए।

सीबीएसई ने न केवल छात्रों, बल्कि ऐसे स्कूलों पर भी नकेल कसने की योजना बनाई है जो ‘डमी’ संस्कृति को बढ़ावा देते हैं। अधिकारी ने बताया कि बोर्ड की संबद्धता नियमावली और परीक्षा उपनियमों के तहत ऐसे स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी, जो गैर-हाजिर छात्रों को प्रायोजित करते हैं या नियमों का उल्लंघन करते हैं। इसमें संबद्धता रद्द करना या अन्य दंडात्मक कदम शामिल हो सकते हैं।

इस फैसले से उन अभिभावकों और छात्रों में चिंता बढ़ गई है जो कोचिंग और स्कूल के बीच संतुलन बनाने की कोशिश करते हैं। एक अभिभावक ने कहा, “हमारे बच्चे प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए कोचिंग पर निर्भर हैं, लेकिन अब स्कूल की उपस्थिति भी अनिवार्य हो गई है। यह समय प्रबंधन के लिए बड़ी चुनौती है।” वहीं कुछ शिक्षाविदों ने इस कदम का स्वागत किया है। स्थानीय शिक्षक रमेश कुमार ने कहा, “यह सही दिशा में उठाया गया कदम है। शिक्षा केवल परीक्षा पास करने का जरिया नहीं, बल्कि समग्र विकास का माध्यम होनी चाहिए।”

बहरहाल, सीबीएसई की परीक्षा समिति इस मामले पर और विचार-विमर्श कर रही है। बोर्ड का कहना है कि नियमों का पालन सुनिश्चित करने के लिए तकनीकी सहायता और निगरानी तंत्र को भी मजबूत किया जाएगा। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम लंबे समय में शिक्षा प्रणाली को पारदर्शी और जवाबदेह बनाएगा। लेकिन इसके लिए स्कूलों, छात्रों और अभिभावकों के बीच बेहतर समन्वय की जरूरत होगी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

जुड़ी खबर

error: Content is protected !!
विश्व को मित्रता का संदेश देता वैशाली का यह विश्व शांति स्तूप राजगीर सोन भंडारः जहां छुपा है दुनिया का सबसे बड़ा खजाना यानि सोना का पहाड़ राजगीर वेणुवन की झुरमुट में मुस्कुराते भगवान बुद्ध राजगीर बिंबिसार जेल, जहां से रखी गई मगध पाटलिपुत्र की नींव