नालंदा दर्पण डेस्क। पिछले डेढ़ दशक से येन-क्रेन-प्रकेरेन बिहार की सत्ता पर काबिज कथित ‘विकास पुरुष’ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गृह जिला नालंदा। ग्राम्रीण विकास एवं संसदीय कार्य मंत्री श्रवण कुमार का गृह प्रखंड बेन।
यहाँ शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी बुनियादि सुविधाओं की बात करें तो एक ही निष्कर्ष निकलता है कि पंसदीदा अफसरों के बाबजूद चुल्लू भर पानी में डूब मरने की तस्वीरें सामने कैसे आती है?
यह हालत है नालंदा जिले के बेन प्रखंड के नोहसा पंचायत के बुल्ला बिगहा राजकीय प्राथमिक विद्यालय की। जहाँ वर्षों से जीर्ण-शीर्ण फूस की झोपड़ी में पठन-पाठन हो रही है।
इस स्कूल में 2 शिक्षक भी पदास्थापित हैं। फोटो-वीडियो देखने से लगता है कि यहाँ बच्चे भी काफी संख्या में पढ़ने आते हैं। झोपड़ी पर माइक्रो इम्प्रूवमेंट प्रोजेक्ट के तहत ‘पढ़े बिहार बढ़े बिहार’ का स्लोगन भी सुशोभित है।
बिहार के मुख्यमंत्री हों या उनके दुलारे मंत्री या नक्कारे पसंदीदा अफसरों की फौज, सवाल उठता है कि जब ऐसे पढ़ेंगे बच्चें तो कैसे बढ़ेगा बिहार। चौड़ी-चौड़ी सड़कें बनाना या गंगा का पानी मुंह में डालना अलग बात है, लेकिन भविष्य निर्माण करना सो अलग…