हरनौत में महिला विधायक बनने की होड़, क्या टूटेगा पुरुष वर्चस्व ?

हरनौत (नालंदा दर्पण)। बिहार विधानसभा की डुगडुगी अब बजने वाली है। महिला सशक्तिकरण और‌ महिलाओं की उत्थान की दिन-रात राग अलापने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के हरनौत विधानसभा में महिलाओं में प्रथम विधायक बनने की होड़ मची हुई है।

ऐसे में हरनौत विधानसभा क्षेत्र से भावी उम्मीदवार अब खुलकर सड़क पर आने लगे हैं। कई तो महीनों पहले से चुनाव प्रचार अभियान में लगें हुए हैं। उनका प्रचार वाहन क्षेत्र में घूम रहा है तो कुछ अपने राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता सम्मेलन में अपनी ताकत दिखा चुके हैं।

राजनीतिक दल महिलाओं की हित की बातें बहुत अधिक करते हैं, लेकिन जब मुख्य राजनीतिक दलों को महिलाओं को टिकट देने की बात आती है तो चिमाई साध लेते हैं। वहीं क्षेत्रीय दल महिलाओं को टिकट देती रही है, लेकिन वोट उन्हें नहीं मिल पाता है। अर्थात राजनीतिक दल महिलाओं को लोकतंत्र में ‘माननीय’ बनने की इजाजत नहीं देती है।

पिछले चुनाव में लोजपा की ममता देवी ‘रनर’ जरूर रही। हरनौत विधानसभा में हालांकि महिलाएं चुनाव मैदान में उतरती रही है, लेकिन नीतीश कुमार की पार्टी जदयू अभी तक हरनौत से एक भी महिला को टिकट देने में कंजूसी की है। पिछले 25 साल से यहां हरिनारायण सिंह का एकछत्र साम्राज्य रहा है।

कांग्रेस की ओर से एक बार चंडी प्रखंड की पूर्व प्रमुख वसुंधरा कुमारी को टिकट मिली थी। अब वसुंधरा कुमारी पिछले एक दशक से जदयू में हैं और टिकट के लिए अपनी उपस्थिति दिखा रही है।

हरनौत विधानसभा में इस बार बदलाव की मांग जदयू के अंदर उठ रही है। बीते शुक्रवार को हरनौत विधानसभा क्षेत्र से सैकड़ों की संख्या में लोगों का हुजूम पटना सीएम हाउस पहुंची, जहां सीएम नीतीश कुमार कार्यकर्ताओं और समर्थकों से मिल रहे थे। हालांकि उन्होंने आश्वासन दिया है कि हरनौत में इस बार बदलाव होगा?

लेकिन इधर हरिनारायण सिंह के पुत्र अनिल कुमार शत प्रतिशत आश्वस्त हैं कि जदयू से टिकट उन्हें ही मिलेगा। पिछले महीने चंडी के मगध महाविद्यालय में एनडीए कार्यकर्ता सम्मेलन में भी वर्तमान विधायक का विरोध और‌ नारेबाजी की गई थी। हालांकि इस नारेबाजी के पीछे एक भावी उम्मीदवार की पटकथा बताई गई।

इस कार्यकर्ता सम्मेलन में महिलाओं का भी अपना वर्चस्व दिखा। डॉ वसुंधरा कुमारी के साथ जदयू के वरिष्ठ नेता संजय कांत सिन्हा की पत्नी डॉ पूनम सिंह का भी दबदबा दिखा। हालांकि दोनों जदयू से टिकट की लाइन में हैं। वहीं जिला परिषद के पूर्व अध्यक्ष पिंकी कुमारी भी जदयू की टिकट की लाइन में पटना सीएम से मिलने पहुंच गई थी।

इस बार फिर से क्षेत्र की एक और महिला उम्मीदवार एवं बहुचर्चित पेपर लीक मामले में जेल में बंद कुख्यात संजीव मुखिया की पत्नी ममता देवी अपनी उपस्थिति पहले से दर्ज करा चुकी हैं। वह क्षेत्र का भ्रमण महीनों से कर रही है। प्रचार वाहन दौड़ रहा है। ममता देवी ने अपनी राजनीतिक शुरुआत जदयू से की। तब वह काफी सक्रिय नेत्री रही और यकीन था कि 2020 में जदयू हरनौत से टिकट देगी।

लेकिन पानी की तरह पैसा बहाने के बाबजूद ऐसा नहीं हुआ। फिर आनन फानन में लोजपा से टिकट हासिल कर मैदान में उतरी। इस बार चर्चा है कि वह एक राष्ट्रीय पार्टी से टिकट की जुगाड़ में लगी है। ऐसे में अगर टिकट नहीं भी मिलता है तो वह निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में आएगी ही आएगी, ऐसा कहा जा रहा है।

फिलहाल हरनौत की राजनीति में महिलाएं पहली बार महिला ‘माननीय’ बनने के लिए मैदान में मेहनत कर रही है, अब सियासत पर निर्भर करता है कि वह महिलाओं को राजनीति में कितनी भागीदारी देती है।

ऐसे में महिलाओं के लिए जि़या जालधंरी की पंक्तियां “हिम्मत है तो बुलंद कर आवाज़ का आलम, चुप बैठने से हल नहीं होने का मसला” शायद कुछ प्रेरणा दे जाएं जीत की ओर कदम बढ़ाने की।

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