सिपाही भर्ती परीक्षाः एक परीक्षार्थी से 7-8 लाख में हुआ था सॉल्वर गैंग का सौदा

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। नालंदा पुलिस ने सिपाही भर्ती परीक्षा में एक बड़े सॉल्वर गिरोह का खुलासा किया है, जिसने नकल के लिए हाई-टेक तकनीक का सहारा लिया था। नूरसराय थाना क्षेत्र के मकनपुर स्थित आरपीएस स्कूल में आयोजित परीक्षा के दौरान एक परीक्षार्थी को माइक्रो ब्लूटूथ डिवाइस के साथ नकल करते पकड़ा गया। जिसके बाद पुलिस की त्वरित कार्रवाई से गिरोह के चार सदस्यों को गिरफ्तार किया गया। इस घटना ने परीक्षा प्रणाली की पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं और कई बड़े खुलासों की ओर इशारा कर रहा है।
पुलिस जांच में सामने आया कि गिरोह का मास्टरमाइंड धनेश्वरघाट स्थित ए टू जेड केमिस्ट्री कोचिंग सेंटर का संचालक मनोज कुमार था। यह गिरोह 7 से 8 लाख रुपये में लिखित परीक्षा पास कराने का सौदा करता था। इस सेटिंग में स्कूल के लेखापाल प्रवीण कुमार सिंह की अहम भूमिका थी, जो परीक्षा केंद्र में वीक्षक भी था। प्रवीण ने ही अभ्यर्थी को माइक्रो ब्लूटूथ डिवाइस उपलब्ध कराया था, जिसे कोचिंग संचालक मनोज कुमार ने उसे सौंपा था।
घटना का खुलासा तब हुआ, जब परीक्षा केंद्र के एक अन्य वीक्षक को अभ्यर्थी उत्पल कांत कुमार के प्रश्न पढ़ने के तरीके पर संदेह हुआ। जांच के दौरान अभ्यर्थी के पास से माइक्रो ब्लूटूथ डिवाइस बरामद हुआ, जिसके बाद पूछताछ में उसने पूरे सॉल्वर गिरोह का पर्दाफाश किया।
पुलिस ने निम्नलिखित चार लोगों को गिरफ्तार किया है- उत्पल कांत कुमार: बेगूसराय जिला के साहेबपुर कमाल थाना क्षेत्र के परौरा गांव का निवासी, अभ्यर्थी। विजय कुमार: शेखपुरा जिला के अरियरी थाना क्षेत्र के हुसैनाबाद गांव का निवासी, उत्पल का दोस्त और गिरोह से संपर्क कराने वाला। प्रवीण कुमार सिंह: मकनपुर आरपीएस स्कूल का लेखापाल और वीक्षक, रहुई भदवा गांव का निवासी। मनोज कुमार: गिरोह का मास्टरमाइंड, धनेश्वरघाट के एटूजेड केमिस्ट्री कोचिंग सेंटर का संचालक और गिरियक के सिकरपुर गांव का निवासी।
पुलिस ने इनके पास से एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस, एक माइक्रो ब्लूटूथ, एक पैन कार्ड, एक आधार कार्ड, केंद्रीय चयन परिषद का प्रवेश पत्र और चार मोबाइल फोन बरामद किए हैं।
जांच में खुलासा हुआ कि अभ्यर्थी उत्पल कांत शेखपुरा में एक निजी नौकरी करता था, जहां उसकी मुलाकात विजय कुमार से हुई। विजय ने उसे स्कूल के लेखापाल प्रवीण कुमार सिंह से मिलवाया। जिसने कोचिंग संचालक मनोज कुमार के साथ सेटिंग की। 7 लाख रुपये में लिखित परीक्षा पास कराने का सौदा तय हुआ। इस सेटिंग में लेखापाल ने वीक्षक की भूमिका निभाते हुए अभ्यर्थी को नकल के लिए डिवाइस उपलब्ध कराया।
पुलिस का मानना है कि इस सॉल्वर गिरोह की जड़ें गहरी हो सकती हैं। सर्किल इंस्पेक्टर रामशंकर सिंह ने बताया कि अभ्यर्थी के पास से इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस बरामद होने के बाद एसपी ने एक विशेष जांच टीम का गठन किया। इस टीम ने त्वरित कार्रवाई करते हुए गिरोह के सरगना समेत तीन अन्य सदस्यों को गिरफ्तार किया। अंदेशा है कि लेखापाल प्रवीण कुमार सिंह अन्य परीक्षाओं में भी इस तरह की सेटिंग में शामिल रहा होगा। अगर पुलिस गहन जांच करे तो कई और लोगों की संलिप्तता सामने आ सकती है।
नूरसराय थानाध्यक्ष रजनीश कुमार ने बताया कि कुछ अन्य लोगों की संलिप्तता भी उजागर हुई है, जिनकी गिरफ्तारी के लिए छापेमारी जारी है। जांच टीम में नगर थानाध्यक्ष सम्राट दीपक, डीआईयू प्रभारी आलोक कुमार सिंह, नूरसराय थानाध्यक्ष और दारोगा शशि कुमार शामिल हैं। हालांकि पुलिस अभी यह स्पष्ट नहीं कर पाई है कि इस गिरोह ने कितने अभ्यर्थियों को ब्लूटूथ डिवाइस उपलब्ध कराए थे।
बहरहाल,यह घटना सिपाही भर्ती परीक्षा जैसे महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं की विश्वसनीयता पर सवाल उठाती है। नालंदा पुलिस की इस कार्रवाई ने नकल के इस हाई-टेक जाल को तो उजागर किया है। लेकिन यह भी सवाल उठता है कि ऐसी घटनाएं कितने समय से चल रही थीं और कितने अभ्यर्थी इस तरह के गिरोहों का शिकार बन चुके हैं।









