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इस्लामपुर स्नातक महाविद्यालय में भ्रष्टाचार का बोलबाला, जांच की मांग

इस्लामपुर (नालंदा दर्पण)। पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के अधीनस्थ इस्लामपुर स्नातक महाविद्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के गंभीर आरोपों ने शैक्षणिक संस्थान की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

मुर्गीयाचक गाँव निवासी अश्विनी कुमार द्वारा विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार को लिखे गए एक पत्र में प्रभारी प्राचार्य प्रो. (डॉ.) नवीन कुमार पर कई संगीन आरोप लगाए गए हैं, जो महाविद्यालय के कोष की कथित लूट, अवैध नियुक्तियों और अनैतिक वित्तीय प्रथाओं की ओर इशारा करते हैं।

पत्र के अनुसार प्रभारी प्राचार्य द्वारा योग्यता और रोस्टर नियमों को दरकिनार करते हुए शिक्षकों और शिक्षकेत्तर कर्मचारियों की नियुक्तियां की गई हैं। इन नियुक्तियों के एवज में उम्मीदवारों से 3 से 5 लाख रुपये तक की रिश्वत वसूलने का आरोप है।

इसके अलावा कर्मचारियों को अनुचित तरीके से पदोन्नति दी गई है, जिसमें भी भारी रकम की उगाही की बात सामने आई है। यह स्थिति न केवल संस्थान की निष्पक्षता पर सवाल उठाती है, बल्कि योग्य उम्मीदवारों के अवसरों को भी प्रभावित करती है।

आरोपों में यह भी कहा गया है कि प्रभारी प्राचार्य द्वारा कर्मचारियों को 12 महीने के बजाय 16 महीने का वेतन भुगतान किया जा रहा है, जिसके बदले में भुगतान की गई राशि का आधा हिस्सा वापस वसूला जा रहा है।

इसके अतिरिक्त कर्मचारियों के वेतन में नियम-विरुद्ध वृद्धि की गई है, जिसके एवज में प्राचार्य द्वारा मोटी रकम वसूलने की बात कही गई है। यह स्पष्ट रूप से महाविद्यालय के वित्तीय कोष की लूट को दर्शाता है, जो एक गंभीर वित्तीय अनियमितता का मामला है।

पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि छात्रों से विभिन्न शैक्षणिक सेवाओं, जैसे- प्रमाणपत्रों, अंक पत्रकों और परीक्षा प्रवेश पत्रों के वितरण के लिए अवैध राशि वसूली जा रही है। प्रायोगिक परीक्षाओं में प्रति विद्यार्थी प्रति विषय 500 रुपये की अवैध वसूली का आरोप है। इसके साथ ही प्रायोगिक परीक्षाएं बिना किसी अधिकृत परीक्षक के आयोजित की जा रही हैं और अंकों का आवंटन मनमाने ढंग से किया जा रहा है। यह स्थिति न केवल शैक्षणिक गुणवत्ता को प्रभावित करती है, बल्कि छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ भी करती है।

महाविद्यालय के अधिकांश विभाग, जैसे- हिंदी, अंग्रेजी, भौतिकी, रसायन, गणित, भूगोल और इतिहास, शिक्षक-विहीन बताए गए हैं। इसके बावजूद विश्वविद्यालय के पोर्टल पर फर्जी हस्ताक्षर अपलोड किए जा रहे हैं, जो एक गंभीर धोखाधड़ी का संकेत है। यह स्थिति शैक्षणिक प्रणाली की विश्वसनीयता को और कमजोर करती है।

पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय द्वारा स्नातक महाविद्यालय, इस्लामपुर को परीक्षा केंद्र के रूप में मान्यता दी गई है, जो कथित तौर पर निर्धारित मापदंडों को पूरा नहीं करता। वीक्षण कार्य शिक्षकों के बजाय शिक्षकेत्तर कर्मचारियों द्वारा कराया जा रहा है और परीक्षाओं में कदाचार के नाम पर छात्रों से अवैध वसूली की जा रही है। यह न केवल विश्वविद्यालय की निष्पक्षता को प्रभावित करता है, बल्कि छात्रों के बीच असंतोष को भी बढ़ावा देता है।

पत्र में महाविद्यालय की मरम्मत, रंगाई-पुताई और फर्नीचर खरीद में फर्जीवाड़े का भी आरोप लगाया गया है। इसके अलावा परीक्षा परिणाम पर आधारित अनुदान के वितरण में कर्मचारियों से 10 हजार रुपये प्रति कर्मचारी की अवैध वसूली की बात सामने आई है।

स्वास्थ्य भत्ता (Medical Allowance) के रूप में कुल वेतन का 10% भुगतान किया जा रहा है, जो नियम-विरुद्ध है। सेवानिवृत्त कर्मचारियों को मनमाने ढंग से सम्मान राशि का भुगतान भी कोष की लूट का हिस्सा बताया गया है।

पत्र में यह चेतावनी दी गई है कि महाविद्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के कारण कर्मचारियों, छात्रों और स्थानीय नागरिकों में भारी रोष व्याप्त है। ऐसी आशंका जताई गई है कि यदि समय रहते कार्रवाई नहीं की गई तो महाविद्यालय में किसी भी समय अप्रिय घटना घट सकती है।

पत्र के प्रेषक अश्विनी कुमार ने विश्वविद्यालय प्रशासन से इस मामले की गहन जांच और प्रभारी प्राचार्य के खिलाफ कठोर अनुशासनिक कार्रवाई की मांग की है।

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