डेंगू हो सकता है हड्डीतोड़ बुखारः घबराएं नहीं, तुरंत पहुंचें मॉडल सदर अस्पताल

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। नालंदा जिले में वायरल बीमारी डेंगू के संभावित प्रसार को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने पूरी मुस्तैदी दिखाई है। मॉडल सदर अस्पताल में एक विशेष डेंगू वार्ड बनकर पूरी तरह तैयार हो गया है, जहां मरीजों को सभी जरूरी दवाएं, जांच और इलाज की सुविधा उपलब्ध है। अस्पताल प्रशासन का स्पष्ट संदेश है- डेंगू से घबराएं नहीं, बल्कि लक्षण दिखते ही तुरंत सरकारी अस्पताल पहुंचें। इससे न केवल समय पर इलाज मिलेगा, बल्कि जानलेवा स्थिति से भी बचा जा सकेगा।

Dengue can be a bone-breaking fever: Don’t panic, immediately reach Model Sadar Hospital

अस्पताल स्वास्थ्य प्रबंधक के अनुसार डेंगू के बढ़ते खतरे को ध्यान में रखते हुए स्पेशल वार्ड को पूरी तरह सुसज्जित कर लिया गया है। फिलहाल इस वार्ड में छह बेड लगाए गए हैं, लेकिन यदि मरीजों की संख्या में इजाफा होता है तो अतिरिक्त बेड तुरंत जोड़े जाएंगे। हम पूरी तरह अलर्ट मोड पर हैं। कोई भी मरीज बिना इलाज के नहीं रहेगा।

हाल के दिनों में अस्पताल में डेंगू के इक्का-दुक्का मरीज पहुंचे थे, लेकिन समुचित इलाज और आवश्यक दवाओं की उपलब्धता के कारण उन्हें जल्द ही डिस्चार्ज कर दिया गया। वर्तमान में वार्ड में कोई डेंगू मरीज भर्ती नहीं है, जो स्वास्थ्य विभाग की सक्रियता का प्रमाण है। फिर भी विभाग किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है।

डेंगू क्या है और कैसे फैलता है? डेंगू एक वायरस जनित बीमारी है, जो मुख्य रूप से एडीज एजिप्टी प्रजाति की मादा मच्छरों के काटने से फैलती है। ये मच्छर दिन के समय खासकर सुबह और शाम में सबसे ज्यादा सक्रिय रहते हैं।

डेंगू को ‘हड्डीतोड़ बुखार’ भी कहा जाता है, क्योंकि इससे जोड़ों और मांसपेशियों में असहनीय दर्द होता है। इसके मुख्य लक्षण अचानक तेज बुखार आना, सिरदर्द और आंखों के पीछे दर्द, जोड़ों और मांसपेशियों में गंभीर दर्द, थकान, उल्टी और त्वचा पर चकत्ते हैं।

बिहारशरीफ मॉडल सदर अस्पताल में डेंगू की सभी जांचें और जरूरी दवाएं मुफ्त उपलब्ध हैं। प्लेटलेट्स की कमी होने पर ट्रांसफ्यूजन की सुविधा भी है। समय पर इलाज से 99% मरीज ठीक हो जाते हैं। देरी करने से स्थिति गंभीर हो सकती है।

बचाव के सरल लेकिन प्रभावी उपायः डेंगू का कोई स्पेशल वैक्सीन या दवा नहीं है, इसलिए बचाव ही सबसे बड़ा इलाज है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, मच्छरों के प्रजनन को रोकना और काटने से बचना जरूरी है। यहां कुछ व्यावहारिक सुझाव दिए जा रहे हैं।

मच्छर निरोधक का उपयोग करें: DEET, पिकारिडिन या नींबू यूकेलिप्टस तेल युक्त क्रीम, स्प्रे या लोशन लगाएं। बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए डॉक्टर की सलाह लें।

कपड़ों का ध्यान रखें: पूरी आस्तीन के कपड़े और पैंट पहनें, खासकर सुबह-शाम। हल्के रंग के कपड़े मच्छरों को कम आकर्षित करते हैं।

मच्छरदानी का इस्तेमाल: सोते समय मच्छरदानी लगाएं, खासकर बच्चों और बुजुर्गों के लिए।

साफ-सफाई बनाए रखें: घर और आसपास जमा पानी को हटाएं। कूलर, गमले, टायर या किसी भी बर्तन में पानी एक सप्ताह से ज्यादा न जमने दें। मच्छर इसी में अंडे देते हैं।

घर की सुरक्षा: खिड़कियों और दरवाजों पर जाली लगवाएं। पानी की टंकी, बर्तनों को ढककर रखें। ये उपाय अपनाकर न केवल डेंगू, बल्कि चिकनगुनिया और मलेरिया जैसी अन्य मच्छर जनित बीमारियों से भी बचा जा सकता है।

Dengue can be a bone-breaking fever: Don’t panic, immediately reach Model Sadar Hospital

नालंदा जिला स्वास्थ्य विभाग ने ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में जागरूकता अभियान चला रखा है। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, आशा बहनें और डॉक्टर घर-घर जाकर लोगों को बचाव के टिप्स बता रही हैं। डेंगू कोई नई बीमारी नहीं है, लेकिन लापरवाही से जानलेवा बन सकती है। सरकारी अस्पताल में मुफ्त और गुणवत्तापूर्ण इलाज है, इसलिए निजी क्लिनिक के चक्कर में न पड़ें।

नालंदा जिले में अब तक डेंगू के मामले नियंत्रण में हैं, लेकिन मानसून आगे बढ़ने के साथ सतर्कता बरतना जरूरी है। यदि आपको या आपके परिवार में कोई लक्षण दिखे तो तुरंत मॉडल सदर अस्पताल पहुंचें। यहां न केवल इलाज, बल्कि विशेषज्ञों की सलाह भी मुफ्त मिलेगी। स्वास्थ्य विभाग का संदेश साफ है- डेंगू से डरें नहीं, लड़ें और जीतें! साफ-सफाई और जागरूकता से हम इस बीमारी को जड़ से खत्म कर सकते हैं।

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