“गत तीन फरवरी को मंत्री के रूप में शिक्षा विभाग का जिम्मा विजय कुमार चौधरी को दिया गया। गत 15 मार्च को मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ और सुनील कुमार शिक्षा मंत्री बनाये गये…
नालंदा दर्पण डेस्क। बेशक आप यह जानकर चौंक जायेंगे कि राज्य के सरकारी प्राइमरी-मिडिल स्कूलों में वर्तमान शैक्षिक सत्र 2024-25 में पहली से आठवीं कक्षा के बच्चों की पाठ्य पुस्तकों में शिक्षा मंत्री के रूप में डॉ. चंद्रशेखर का नाम है।
वर्तमान शैक्षिक सत्र 2024-25 में सरकारी स्कूलों के पहली से आठवीं कक्षा के बच्चों को फिर से सभी विषयों की पाठ्य पुस्तकें निःशुल्क उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गयी है। बच्चों में नि:शुल्क वितरण के लिए पाठ्य पुस्तकों का प्रकाशन बिहार राज्य पाठ्य पुस्तक प्रकाशन निगम लिमिटेड ने किया है। सभी विषयों की पाठ्य पुस्तकों की आपूर्ति की जा चुकी हैं। पाठ्य पुस्तकें स्कूलों में ज्यादातर बच्चों के हाथों में पहुंच भी चुकी हैं।
चौंकाने वाली बात यह है कि हर विषय की पाठ्य पुस्तक के ‘प्राक्कथन’ में शिक्षा मंत्री के रूप में डॉ. चन्द्रशेखर के नाम का उल्लेख किया गया है। हिंदी की पाठ्य पुस्तक ‘किसलय’ के ही ‘प्राक्कथन’ को लें।
‘प्राक्कथन’ के दूसरे अनुच्छेद में लिखा है कि ‘बिहार राज्य की विद्यालयी शिक्षा की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए माननीय मुख्यमंत्री, बिहार श्री नीतीश कुमार, माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. चन्द्रशेखर एवं शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव श्री केके पाठक, भाप्रासे के मार्गदर्शन के लिए हम ह्रदय से कृतज्ञ है ।’
खास बात यह है कि पाठ्य पुस्तकें वर्तमान अप्रैल माह में बच्चों के हाथों में गयी हैं, जबकि डॉ. चन्द्रशेखर से शिक्षा मंत्री की कुर्सी गत जनवरी माह में ही छिन गयी थी। डॉ. चन्द्रशेखर के बाद शिक्षा विभाग में दो और मंत्री बदल गये।
डॉ. चन्द्रशेखर के बाद से सुनील कुमार शिक्षा विभाग के तीसरे मंत्री हैं। डॉ. चन्द्रशेखर के बाद गत जनवरी को आलोक मेहता शिक्षा विभाग के मंत्री बने। लेकिन, सात दिनों बाद ही महागठबंधन की सरकार चली गयी। उसके बाद गत 28 जनवरी को नीतीश कुमार के ही मुख्यमंत्रित्व में एनडीए की सरकार बनी।
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