बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण संवाददाता)। समूचे नालंदा जिले में किसानों के लिए फार्मर आईडी रजिस्ट्रेशन (Farmer ID Registration) को अनिवार्य कर दिया गया है। ताकि वे कृषि विभाग की विभिन्न योजनाओं जैसे किसान सम्मान निधि, बीज अनुदान, प्रत्यक्षण और सहकारिता की फसल सहायता अनुदान का लाभ उठा सकें। इस पहल के तहत प्रत्येक प्रखंड के दो-दो राजस्व गांवों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में रजिस्ट्रेशन का काम शुरू किया गया है। हालांकि इस प्रक्रिया में कई समस्याएं सामने आ रही हैं। जिसके कारण रजिस्ट्रेशन का काम बेहद धीमी गति से चल रहा है।
फार्मर आईडी रजिस्ट्रेशन में कई तरह की बाधाएं सामने आ रही हैं। पहली बड़ी समस्या है जमाबंदी से संबंधित दस्तावेजों की कमी। कई किसानों के पास अद्यतन जमाबंदी रसीद नहीं है और जिले में लगभग 50 प्रतिशत किसानों की जमीन अभी भी उनके पूर्वजों के नाम पर दर्ज है। नियमानुसार 90 वर्ष से अधिक आयु के लोग खेती के लिए योग्य नहीं माने जाते। जिसके कारण जमीन को वर्तमान मालिक के नाम पर कराना अनिवार्य है।
दूसरी समस्या आधार और किसान रजिस्ट्रेशन में उपनाम का बेमेल होना है। उदाहरण के लिए कई मामलों में किसान रजिस्ट्रेशन में नाम प्रसाद दर्ज है। जबकि आधार कार्ड में कुमार लिखा है। इस तरह की विसंगतियों के कारण आवेदन स्वतः रिजेक्ट हो रहे हैं।
सबसे बड़ी समस्या है ओटीपी से संबंधित दिक्कतें। रजिस्ट्रेशन के लिए आधार से लिंक मोबाइल नंबर अनिवार्य है। लेकिन ओटीपी केवल 15 सेकंड के लिए वैध रहता है। कई किसानों के पास स्वयं का मोबाइल नहीं है और रजिस्ट्रेशन में दर्ज नंबर परिवार के किसी अन्य सदस्य का होता है। ओटीपी प्राप्त करने के लिए कॉल करने में ही समय निकल जाता है। जिससे रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाती।
जिला कृषि पदाधिकारी (डीएओ) राजीव कुमार ने बताया कि अभी तक केवल 240 किसानों का ही रजिस्ट्रेशन हो पाया है। समस्याओं की जानकारी मुख्यालय को दी जा रही है। ताकि समाधान निकाला जा सके। रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए प्रत्येक प्रखंड से दो-दो राजस्व गांवों में शिविर आयोजित किए जा रहे हैं।
रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया में कृषि कर्मियों के साथ,साथ राजस्व कर्मचारियों का सहयोग भी जरूरी है। सहायक निदेशक (कृषि अभियंत्रण) के अनुसार कृषि कर्मी ई-केवाईसी का काम करते हैं। लेकिन अंतिम स्वीकृति राजस्व कर्मचारियों द्वारा दी जाती है। हालांकि राजस्व कर्मचारी शिविरों में अपेक्षित समय नहीं दे पा रहे हैं। जिससे प्रक्रिया में और देरी हो रही है।
फार्मर आईडी रजिस्ट्रेशन के लिए आधार कार्ड, आधार से लिंक मोबाइल नंबर, जमीन की अद्यतन जमाबंदी रसीद, स्वामित्व वाली जमीन का खाता और खेसरा विवरण जैसे दस्तावेज अनिवार्य हैं।
सूचीबद्ध किसानों को एग्रीस्टेक परियोजना से जोड़ा जाएगा। जिसके तहत एक संपूर्ण डाटाबेस तैयार किया जाएगा। इसमें किसान का नाम, पिता का नाम, जमीन का विवरण, मोबाइल नंबर और आधार नंबर शामिल होगा। इस डाटाबेस के जरिए किसानों का सारा विवरण एक क्लिक पर उपलब्ध होगा और बार-बार ई-केवाईसी की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
डीएओ के अनुसार फार्मर आईडी से किसानों को कई लाभ मिलेंगे। किसान सम्मान निधि, बीज अनुदान और अन्य योजनाओं का लाभ लेने के लिए बार-बार दस्तावेज जमा करने की जरूरत नहीं होगी। सभी विवरण एक जगह उपलब्ध होने से योजनाओं का लाभ वास्तविक किसानों तक पहुंचेगा। बार-बार ई-केवाईसी की प्रक्रिया से छुटकारा मिलेगा।
कृषि विभाग ने इस वित्तीय वर्ष में सभी योजनाओं के लिए फार्मर आईडी को अनिवार्य कर दिया है। हालांकि रजिस्ट्रेशन में आ रही समस्याओं को देखते हुए सरकार को तकनीकी और प्रशासनिक स्तर पर सुधार करने की जरूरत है। ओटीपी की समय सीमा बढ़ाने, राजस्व कर्मचारियों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने और उपनाम बेमेल की समस्या के समाधान के लिए विशेष शिविर आयोजित किए जा सकते हैं।
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