बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। खरीफ मौसम के अंतर्गत धान क्रय की आधिकारिक प्रक्रिया तो नालंदा जिले में शुरू हो चुकी है, लेकिन इस वर्ष किसानों को पैक्स चुनाव के बीच धान बेचने में कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
धान खरीदने की प्रक्रिया बेहद धीमी गति से चल रही है, जिसके कारण किसान बाजार में मजबूर होकर अपने धान को कम कीमत पर व्यवसायियों को बेचने के लिए बाध्य हो रहे हैं। धान क्रय की शुरुआत हुए 10 दिन से अधिक हो चुके हैं, लेकिन अब तक जिले भर के सिर्फ 42 किसानों ने 344 टन धान बेचा है, जो कि बेहद कम है।
पैक्स चुनाव बना धान क्रय में रुकावटः इस साल नालंदा जिले में धान क्रय की स्थिति और भी जटिल हो गई है क्योंकि पैक्स (प्राथमिक कृषि सहकारी समिति) के चुनाव की प्रक्रिया चल रही है। इस वजह से कई समितियां धान की खरीद में दिलचस्पी नहीं दिखा रही हैं।
जिले में 16 प्रखंडों में से चार प्रखंडों- सिलाव, कतरीसराय, बेन और अन्य में अब तक एक भी पैक्स केंद्र पर धान खरीद की प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई है। अधिकांश प्रखंडों में सिर्फ एक-दो समितियां ही खरीद कर रही हैं, वह भी व्यापार मंडल की।
सरकारी दरों और बाजार के अंतर से किसान परेशानः राज्य सरकार ने इस साल ए-ग्रेड धान का समर्थन मूल्य 2320 रुपये प्रति क्विंटल और सामान्य धान का मूल्य 2300 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है।
हालांकि बाजार में व्यापारी केवल 1800 रुपये प्रति क्विंटल देने को तैयार हैं, जिससे किसानों को प्रति क्विंटल लगभग 500 रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है। रबी की फसल की तैयारी के लिए किसानों को तत्काल पूंजी की जरूरत है और सरकारी दर पर धान की खरीद नहीं हो पाने से वे मजबूरी में अपनी उपज व्यवसायियों को कम कीमत पर बेच रहे हैं।
समितियों की निष्क्रियता और चुनावी व्यस्तताः धान क्रय प्रक्रिया के लिए नालंदा जिले में 221 समितियों को चुना गया है, जिनमें से 198 पैक्स समितियां हैं और शेष 13 व्यापार मंडल। सभी चयनित समितियों को धान खरीद के लिए कैश क्रेडिट भी दे दिया गया है, लेकिन पैक्स चुनाव की वजह से समितियां खरीद में रुचि नहीं ले रही हैं। चुनावी प्रक्रिया के कारण सहकारिता से जुड़े अधिकारी, प्रखंड और पंचायत स्तर के लोग भी धान क्रय प्रक्रिया पर ध्यान नहीं दे पा रहे हैं।
किसानों की मांग और सरकारी उपेक्षाः नालंदा जिले में अब तक 33,284 किसानों ने धान बेचने के लिए निबंधन कराया है। प्रति रैयत किसान से 250 क्विंटल और गैर रैयत से अधिकतम 100 क्विंटल धान की खरीद होनी है, लेकिन वर्तमान स्थिति में सरकारी खरीद की धीमी गति ने किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
किसान चाहते हैं कि धान की खरीद में तेजी लाई जाए। ताकि उन्हें उचित मूल्य मिल सके और वे रबी की फसल के लिए आवश्यक पूंजी जुटा सकें। फिलहाल पैक्स चुनाव के चलते धान क्रय प्रक्रिया सुस्त है और अगर स्थिति जल्द नहीं सुधरी तो किसानों को बड़े पैमाने पर आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है।
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